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6. जनतंत्र का जन्म कविता का व्‍याख्‍या | Jantantra ka janm vyakhya

July 7, 2022 by Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी के पद्य भाग के पाठ छ:  ‘जनतंत्र का जन्म ‘ (Jantantra Ka Janm Class 10 Hindi ) के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Jantantra ka janm vyakhya

6. जनतंत्र का जन्म
लेखक परिचय
लेखक- रामधारी सिंह दिनकर
जन्म- 23 सितम्बर 1908 ई0 में सिमरिया,
बेगूसराय (बिहार)
मृत्यु- 24 अप्रैल 1974 ई0 में
पिता- रवि सिंह
माता- मनरूप देवी

दिनकर जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव और उसके आस-पास हुई। 1928 ई0 में मोकामा घाट रेलवे हाई स्कुल से मैट्रिक और 1932 ई0 में पटना कॉलेज से इतिहास में बी॰ ए॰ ऑनर्स किया। ये बिहार विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर एवं भागलपुर विश्वविद्यालय में कुलपति रहे।

प्रमुख रचनाएँ- प्रणभंग, रेणुका, हुंकार, रसवंती, कुरूक्षेत्र, रश्मिरथी, नीलकुसुम, उर्वशी, हारे को हरिनाम, अर्धनारीश्वर, संस्कृति के चार अध्याय, शुद्ध कविता की खोज आदि

कविता परिचय- प्रस्तुत कविता में जनतंत्र के उदय के बारे में दिया गया है। जनतंत्र के राजनीतिक और ऐतिहासिक अभिप्रायों को कविता में उजागर करते हुए कवि यहाँ एक नवीन भारत का कल्पना करता है जिसमें जनता ही स्वयं सिंहासन पर आरूढ़ होने को है।

जनतंत्र का जन्म
सदियों की ठंडी-बुझी राख सुगबुगा उठी।
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है।।
दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो।
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।

भावार्थ- प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि दिनकर ने कहा है कि सदियों की ठंडी और बुझी हुई राख में सुगबुगाहट दिखाई पड़ रही है अर्थात क्रांति की चिनगारी भड़क उठी है। मिट्टी यानी जनता सोने की ताज पहनने के लिए व्याकुल है। राह छोड़ो, समय साक्षी है-जनता के रथ के पहियों की घर्घर आवाज सुनाई दे रही है। सिंहासन खाली करों जनता आ रही है।

जनता ? हाँ, मिट्टी की अबोध मुरतें वहीं,
जाड़े पाले की कसक सदा सहने वाली,
जब अंग-अंग में लगे साँप हो चुस रहे,
तब भी न कभी मुँह खोल दर्द कहने वाली।

भावार्थ-प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि दिनकर ने कहा है कि जनता सचमुच मिट्टी की अबोध मुरतें हैं। वह वह जाड़े की रात में जाड़ा-पाला की कसक (रूक-रूक कर होने वाली पीड़ा) को हमेशा सहती है। वह थोड़ा भी आह नहीं करती है। ठंड से शरीर ऐसा कंपकपाता है कि लगता है शरीर में हजारों साँप डंस रहे हैं। इतना पीड़ा और दुख के बावजूद वह अपनी दुख किसी से नहीं कहती है।

जनता ? हाँ, लंबी-बड़ी जीभ की वहीं कसम,
जनता सचमूच ही बड़ी वेदना सहती है।
सो ठीक, मगर, आखिर, इस पर जनमत क्या है ?
है प्रश्न गुढ़ जनता इस पर क्या कहती है।

भावार्थ- प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है। Jantantra Ka Janm Class 10 Hindi

इन पंक्तियों के द्वारा कवि दिनकर ने कहा है कि जनता सचमुच असह्य वेदना को सह कर जीती है फिर भी जीवन में उफ तक नहीं करती है। कवि शपथ लेकर कहता है कि लंबी-चौड़ी जीभ की बातों पर विश्वास किया जाए। जनता सचमूच बहुत ही पीड़ा सहती है। कवि कहता कि जनमत का सही-सही अर्थ क्या है ? कवि इस प्रश्न का उत्तर जानना चाहता है। यह प्रश्न बहुत ही गंभीर है।

मानो जनता हो फुल जिसे एहसास नहीं,
जब चाहो तभी उतार सजा लो दोंनो में।
अथवा, कोई दुधमुही जिसे बहलाने के
जन्तर-मन्तर सिमीत हों चार खिलौनों में ।।

भावार्थ-प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने जनता को फुल के समान नहीं देखने और समझने को कहा है। कवि कहता है कि जनता फूल नहीं है कि इसे जब चाहो तब सजा लो या कोई दुधमुही बच्ची नहीं कि इसे दो-चार खिलौने देकर बहला दो। जनता की हृदय सेवा और प्रेम से जीता जा सकता है।

लेकिन, होता भूडोल, बवडंर उठते हैं
जनता तब कोपाकुल हो भृकुटी चढ़ाती है।
दो राह , समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो
सिहांसन खाली करो, कि जनता आती है।।

भावार्थ— प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि कहता है कि जनता के पास अपास शक्तियाँ होती है। जनता जब हुंकार भरती है तो भूकंप आ जाता है। बवंडर उठ खड़ा होता है। जनता के हुंकार के सामने कोई टिक नहीं सकता है। जनता की राह को कोई रोक नहीं सकता है। सुनो, जनता रथ पर सवार होकर आ रही है, उसकी राह को छोड़ दो और सिंहासन खाली करो क्योंकि जनता आ रही है।

हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती
साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है।
जनता की रोके, राह समय में ताव कहाँ ?
जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है।।

भावार्थ—प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि दिनकर ने कहा है कि जनता की हुँकार से, जनता की ललकार से महलों की नींव उखड़ जाती है। जनता की साँसों के बल से राजमुकुट हवा में उड़ते हैं। समय में वह शक्ति नहीं है जो जनता की राह को रोक सके। जनता जैसी चाहती है समय भी वैसा ही करवट लेती है।

अब्दो, शताब्दीयों, सहस्त्राब्द का अंधकार
बिता, गवाक्ष अंबर के दहके जाते हैं।
यह और नहीं कोई, जनता के स्वप्न अजय
चिरते तिमिर का वक्ष उमड़ते आते हैं।

भावार्थ—प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि दिनकर ने कहा है कि वर्षों, सैकड़ों वर्षों, हजारों वर्षों का अंधकारमयी समय बीत गया। यह जनता के स्वप्न है जो अंधकार को चिरते हुए धरा पर उतर रहे हैं।

सबसे विराट जनतंत्र जगत का आ पहुँचा।
तैतिस कोटी-हित सिंहासन तैयार करो
अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है।
तैतिंस कोटी जनता के सिर पर मुकुट धरो।

भावार्थ—प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि कहता है कि भारत में लोकतंत्र का उदय हो रहा है। भारत स्वाधीन हो चूका है। यहाँ लोकतंत्र की स्थाना हो रही है। तैंतीस करोड़ जनता की हीत की बात है। तैंतीस करोड़ सिंहासन तैयार करो क्योंकि अभिषेक राजा का नहीं बल्कि जनता का होनेवाला है। आज का शुभ दिन तैंतिस करोड़ जनता के सिर पर मुकुट रखने का है। उनके लिए आज शुभ दिन है।

आरती लिए तुम किसे ढ़ुढ़ता है मुरख
मंदिरों, राजप्रसादों में, तहखानों में
देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे
देवता मिलेंगें खेतों में, खलिहानों में।

भावार्थ—प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि का कहना है कि हम आरती लेकर मुर्ख बनकर किसे ढूँढ रहे हैं? मेंदिरों, राजमहलों, तहखानों में देवता नहीं मिलेंगे। वास्तविक देवता तो सड़कों पर गिट्टी तोड़नेवाला मजदूर और खेत-खलिहानों में काम करनेवाला किसना है। अर्थात कवि ने जनता का वास्तिविक देवता कहा है।

फावड़े और हल राजदंड बनने को है
धूसरता सोने में सिंगार सजाती है।
दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो
सिंहासन खाली करो की जनता आती है।

भावार्थ—प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित पाठ जनतंत्र के जन्म से लिया गया है।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि दिनकर ने कहा है लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है। लोकतंत्र का राजदंड कोई राजपत्र, कोई हथियार या कोई औजार नहीं होता है। लोकतंत्र का मूल राजदंड जनता का हल और कुदाल है। इसी से वह धरती से सोना उगाता है। धरती की धुसरता का सिंगार आज सोना से सजा हुआ है। अर्थात धूल ही स्वर्ण है। रास्ता शीघ्र दो, सिंहासन शीघ्रता से खाली करो, देखो जनता स्वयं आ रही है।

लघु-उत्तरीय प्रश्न (20-30 शब्दों में)____दो अंक स्तरीय

प्रश्न 1. कवि की दृष्टि में आज के देवता कौन हैं और वे कहाँ मिलेंगे? (Text Book,2011A,2011C,2016C,2017A)

उत्तर- कवि ने भारतीय प्रजा, जो खून-पसीना बहाकर देशहित का कार्य करती है, जिसके बल पर देश में सुख संपदा स्थापित होता है, किसान, मजदूर जो स्वयं आहूत होकर देश को सुखी बनाते हैं, को आज का देवता कहा है।

प्रश्न 2. कवि की दृष्टि में समय के रथ का घर्घर-नाद क्या है? स्पष्ट करें।

अथवा, दिनकर की दृष्टि में समय के रथ का घर्घर-नाद क्या है ? स्पष्ट करें। (Text Book 2016A)

उत्तर- कवि ने सदियों से राजतंत्र से शासित जनता की जागृति को उजागर करते हुए समय के चक्र की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है। राजसिंहासन पर प्रजा आरूढ़ होने जा रही है। समय की पुकार ही क्रांति की शंखनाद के रूप में रथ का घर्घर-नाद है।

प्रश्न 3, कवि ने जनता को ’दूधमुंही’ क्यों कहा है? (पाठ्य पुस्तक, 2014C)

उत्तर- सिंहासन पर आरूढ़ रहने वाले राजनेताओं की दृष्टि में जनता फूल या दूधमुंही बच्ची की तरह है। रोती हुई दूधमुंही बच्ची को शान्त रखने के लिए उसके सामने खिलौने दे दिये जाते हैं। उसी प्रकार रोती हुई जनता को खुश करने के लिए कुछ प्रलोभन दिए जाते हैं।

प्रश्न 4. कवि जनता के स्वप्न का किस तरह चित्र खींचता है? (पाठ्य पुस्तक, 2017A)

उत्तर- भारत की जनता सदियों से, युगों-युगों से राजा के अधीनस्थ रही है, लेकिन कवि ने कहा है कि चिरकाल से अंधकार में रह रही जनता राजतंत्र को उखाड़ फेंकने के स्वप्न देख रही है। राजतंत्र समाप्त होगा और जनतंत्र कायम होगा। राजा। नहीं बल्कि प्रजा राज करेगी।

प्रश्न 5. “देवता मिलेंगे खेतों में खलिहानों में“ पंक्ति के माध्यम से कवि किस देवता की बात करते हैं और क्यों? (Text Book 2013A,2012A)

उत्तर- प्रश्न के पंक्ति के माध्यम से कवि जनतारूपी देवता की बात करते हैं, क्योंकि कवि की दृष्टि में कर्म करता हुआ परिश्रमी व्यक्ति ही देवतास्वरूप है। मंदिरों-मठों में तो केवल मूर्तियाँ रहती हैं, वास्तविक देवता वे ही हैं जो अपने कर्म तथा परिश्रम से समाज को सुख-समृद्धि उपलब्ध कराते हैं।

प्रश्न 6. कवि के अनुसार किन लोगों की दृष्टि में जनता फूल या दुध मुंही बच्ची की तरह है और क्यों ? कवि क्या कहकर उनका प्रतिवाद करता है? (Text Book)

उत्तर- अंग्रेजी सरकार भी भारत की जनता को अबोध समरकर कुछ प्रलोभन देकर राजसुख में लिप्त है। वह समझती है कि जनता फूल या दुधमुंही बच्ची की तरह है लेकिन इसके प्रतिकार में कवि ने कहा है कि जब भोली लगनेवाली जनता जाग जाती है, जब उसे अपने में निहित शक्ति का आभास हो जाता है तब राजतंत्र हिल उठता है।

वस्‍तुनिष्‍ठ प्रश्‍नोत्तर
प्रश्‍न1. ‘उर्वशी’ किसकी कृति है?
(a) निराला      
 (b) दिनकर
(c) महादेवी वर्मा
(d) सुमित्रानंदन पंत

उत्तर-(b) दिनकर

प्रश्‍न2. दिनकर को साहित्य अकादमी पुरस्कार किस कृति पर मिला ?
(a) सामधेनी
(b) द्वंद्वगीत
(c) उर्वशी  
(d) संस्कृति के चार अध्याय

उत्तर- (d) संस्कृति के चार अध्याय

प्रश्‍न3. दिनकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार किस रचना पर प्राप्त हुआ?[20 (A) II]
(a) रश्मिरथी                
(b) वंशी
(c) परशुराम की प्रतीक्षा  
(d) तोलकुसुम

उत्तर-(b) वंशी

प्रश्‍न4. दिनकर ने कविता में ‘जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक कविता में ‘दुधमुही’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है?
(a) अपनी बेटी के लिए
(b) पड़ोस की बच्ची के लिए
(c) समाज के किसी बालिका के लिए
(d) जनता के लिए

उत्तर-(d) जनता के लिए

प्रश्‍न5. दिनकर किस विश्वविद्यालय के उपकुलपति (कुलपति ) बनाएगए थे?
(a) बिहार विश्वविद्यालय    
(b) पटना विश्वविद्यालय
(c) भागलपुर विश्वविद्यालय
(d) मगध विश्वविद्यालय

उत्तर- (c) भागलपुर विश्वविद्यालय

प्रश्‍न6. जनतंत्र में, कवि के अनुसार राजदण्ड क्या होंगे?Jantantra Ka Janm Class 10 Hindi
(a) ढाल और तलवार
(b) फूल और भौर
(c) फाँबड़े और हल    
(d) वाघ और भालू

उत्तर-(c) फाँबड़े और हल

प्रश्‍न7. कवि के अनुसार जनतंत्र के देवता कौन है?
(a) नेता
(b) शिक्षक
(c) किसान-मजदूर
(d) मंत्री

उत्तर-(c) किसान-मजदूर

प्रश्‍न8. भारत सरकार ने दिनकर को कौन-सा अलंकरण प्रदान किया?
(a) पद्म श्री
(b) भारतरत्न
(c) अशोक चक्र
(d) पद्म विभूषण

उत्तर-(d) पद्म विभूषण

प्रश्‍न9. ‘दिनकर’ की प्रमुख काव्य-कृति है:
(a) रेणुका
(b) रसवंती
(c) कुरुक्षेत्र
(d) इनमें सभी

उत्तर-(d) इनमें सभी

प्रश्‍न10. ‘दिनकर’ की गद्य-कृति है: Jantantra Ka Janm Class 10 Hindi
(a) अर्धनारीश्वर
(b) दिनकर की डायरी
(c) बट पीपल  
(d) इनमें सभी

उत्तर-(d) इनमें सभी

प्रश्‍न11. दिनकर जी के पिता का नाम क्या था?
(a) रवि सिंह  
(b) कैलाश सिंह
(c) मोहित सिंह 
(d) राजा सिंह

उत्तर-(a) रवि सिंह

प्रश्‍न12. ‘दिनकर’ ने अपनी पढ़ाई कहाँ तक की?
(a) इंटरमीडियट   
(b) बी. ए. ऑनर्स
(c) एम. ए. ऑनर्स
(d) पी-एच. डी.

उत्तर-(b) बी. ए. ऑनर्स

प्रश्‍न13. ‘दिनकर’ किल कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष के रूप में रहे?
(a) कॉमर्स कॉलेज, पटना
(b) लंगट सिंह कॉलेज, भागलपुर
(c) पटना कॉलेज, पटना
(d) इनमें कोई नहीं

उत्तर-(b) लंगट सिंह कॉलेज, भागलपुर

प्रश्‍न14. किसे सिंहासन खाली करने की बात कही गई है? Jantantra Ka Janm Class 10 Hindi
(a) राजतंत्र को     
(b) सामंतवाद को
(c) ‘a’ और ‘b’ दोनों
(d) इनमें कोई नहीं

उत्तर-(c) ‘a’ और ‘b’ दोनों

प्रश्‍न15. ‘दिनकरजी’ का निधन कब हुआ?
(a) 21 जनवरी, 1971
(b) 22 फरवरी, 1972
(c) 23 मार्च, 1973
(d) 24 अप्रैल, 1974

उत्तर-(d) 24 अप्रैल, 1974

प्रश्‍न16. ‘जनतंत्र का जन्म के कवि कौन हैं?
(a) रामधारी सिंह ‘दिनकर
(b) प्रेमधन
(c) घनानंद                  
(d) अज्ञेय

उत्तर-(a) रामधारी सिंह ‘दिनकर’

प्रश्‍न17. ‘दिनकर’ का जन्म कब हुआ?
(a) 21 अगस्त, 1906
(b) 23 सितम्बर, 1908
(c)25 अक्टूबर, 1910
(d) 27 नवम्बर, 1912

उत्तर- (b) 23 सितम्बर, 1908

प्रश्‍न18. ‘दिनकर’ का जन्म कहाँ हुआ?[19 (A)1]
(a) अल्गोड़ा, जहानाबाद
(b) सोनपुर, वैशाली
(c) दानापुर, पटना        
(d) सिमरिया, बेगूसराय

उत्तर-(d) सिमरिया, बेगूसराय

प्रश्‍न19. इनकी प्रारंभिक शिक्षा कहाँ से हुई थी?
(a) बंबई से
(b) पटना से
(c) गाँव से
(d) जिला स्कूल से

उत्तर-(c) गाँव से

प्रश्‍न20. ‘दिनकर’ की किस रचना में कर्ण को नायक बनाया गया है ? Jantantra Ka Janm Class 10 Hindi
(a) उर्वशी (b) रश्मिरथी
(c) हुंकार
(d) हारे को हरिनाम

उत्तर-(b) रश्मिरथी

प्रश्‍न21. ‘मिट्टी की ओर’ कृति है—
(a) पद्ध
(b) गद्य
(c) काव्य
(d) इनमें सभी

उत्तर-(b) गद्य

प्रश्‍न22. मिट्टी की अवोध मूरतें कौन है?

(a) नेता
(b) जनता
(c) मंत्री
(d) अधिकारी

उत्तर-(b) जनता

प्रश्‍न23. दिनकर जी के माता का नाम क्या था?
(a) यशोधरा देखो
(b) अहिल्या देवी
(c) मनरूप देवी  
(d) पूलली बाई

उत्तर-(c) मनरूप देवी

प्रश्‍न24. कवि के अनुसार देवता कहाँ मिलेंगे—
(a) मदिरों में
(b) घरों में
(c) खेतों में
(d) शहरों में

उत्तर-(c) खेतों में

प्रश्‍न25. जो भगवान को मंदिरों में खोजते है उन्हें कवि ने किससे सम्बोधित किया है:
(a) मूरस्थ से
(b) विहान से
(c) श्रेष्ठ से
(d) दयावान से

उत्तर-(a) मूरस्थ से

प्रश्‍न26. नैतीस कोटि …..के सिर पर मुकुट धरो— Jantantra Ka Janm Class 10 Hindi
(a) जनता
(b) राजा
(c) साभ
(d) भगवान

उत्तर-(a) जनता

प्रश्‍न27. राजप्रसाद कौन समास है?
(a) कर्मधारय
(b) अव्ययीभाव
(c) द्विगु
(d) तत्पुरुष

उत्तर-(d) तत्पुरुष

प्रश्‍न28. ‘नाद’ शब्द का अर्थ है:
(a) स्वर
(b) खिड़की  
(c) मुकुट
 (d) अनुभूति

उत्तर-(a) स्वर

प्रश्‍न29. निम्न में से कौन राज्यसभा के सदस्य बने—
(a) जीवनानंद दास      
(b) कुंवर नारायण
(c) रामधारी सिंह दिनकर
(d) यतीन्द्र मिश्र

उत्तर-(c) रामधारी सिंह दिनकर

प्रश्‍न30. रामधारी सिंह दिनकर रचित पाठ है: (19(A)
(a) हिरोशिमा   
(b) जनतंत्र का जन्म
(c) भारत माता  
(d) मछली

उत्तर-(b) जनतंत्र का जन्म

प्रश्‍न31. ‘सदियों की ठंडी बुझी राख सगबगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है। यह पंक्ति है:
(a) दिनकर की   
(b) निराला की
(c) महादेवी की
(d) अज्ञेय को

उत्तर-(a) दिनकर की

प्रश्‍न32. दिनकर किस काल के प्रमुख कवि हैं? Jantantra Ka Janm Class 10 Hindi
(a) भारतेन्दु युग
(b) द्विवेदी युग
(c) कायावाद 
(d) उत्तर छायावाद

उत्तर-(d) उत्तर छायावाद

प्रश्‍न33. किसके हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती है?
(a) शासक
(b) राजा
(c) विदेशी
(d) जनता

उत्तर-(d) जनता

प्रश्‍न34. दिनकर जी कवि के साथ-साथ:
(a) आलोचक भी थे.   
(b) गद्यकार भी थे
(c) उपन्यासकार भी थे
(d) संगीतकार भी थे

उत्तर-(b) गद्यकार भी थे

प्रश्‍न35, रामधारी सिंह दिनकर कहाँ के रहने वाले थे? Jantantra Ka Janm Class 10 Hindi
(a) उत्तर प्रदेश के
(b) मध्य प्रदेश के
(c) राजस्थान के
(d) बिहार के

उत्तर-(d) बिहार के

प्रश्‍न36. सदियों की लंबी-बुझी राख सुगवुगा उठी, मिट्टी सोने का ताजपहन इठलाती है-किस कविता की पंक्ति है?
(a) भारतमाता
(b) स्वदेशी
(c) हिरोशिमा
(d) जनतंत्र का जन्म

उत्तर-(d) जनतंत्र का जन्म

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