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BSEB Class 9 Hindi गद्य Chapter 11. सूखी नदी का पुल | Sukhi Nadi Ka Pul Class 9th Hindi Solutions

October 28, 2023 by Leave a Comment

Bihar Board Class 9 Hindi सूखी नदी का पुल (Sukhi Nadi Ka Pul Class 9th Hindi Solutions)Text Book Questions and Answers

Sukhi Nadi Ka Pul Class 9th Hindi Solutions

11. सूखी नदी का पुल

पाठ का सारांश

प्रस्तुत कहानी ‘सूखी नदी का पुल’ गाँव के सामाजिक ताने-बाने में आए बदलाव की कहानी है। कहानी के मूल में लीलावती अर्थात बच्चीदाय की वह जमीन है जो उसे विवाह के समय पिता ने दान में दी थी।

गाँव के रेलवे स्टेशन पर गाड़ी जैसे ही रुकी, लीलावती उछाह भरे मन से आगवानी के लिए नैहर से आए लोगों को प्लेटफार्म पर देखने लगी। आगवानी में आए भाई, दोनोंभतीजे-सुरेश-नरेश तथा एक अपरिचित को देखकर उसे ऐसा लगा, जैसे—सूखी-प्यासी धरती पर बादल बरस गए हों। स्टेशन के बाहर जीप लगी हुई थी, जिसे देखकर लीलावती उदास हो गई, क्योंकि उसने सोचा था कि टप्परवाली बैलगाडी या ओहार वाली बैलगाड़ी आई होगी। सुरेश यह कहते हुए ड्राइवर वाले सीट पर बैठ गया कि “जीप अपनी है बुआ’ और नरेश ने जेब से कोई काली-सी चीज निकाली और झट से तौलिए में लपेट लिया । बुआ जिज्ञासा भरे शब्दों में पूछा-क्या है? कुछ नहीं, पिस्तौल है। पिस्तौल का नाम सुनते ही बुआ चौंक पड़ी। भैया ने मुस्कराते हुए कहा इसमेंअचरज की क्या बात है, बुच्चीदाय।” भैया के मुँह से बुच्चीदाय संबोधन सुनकर वह प्रेम रस से सराबोर हो गई तथा अपने भाई की ओर गौर से देखने लगी कि गाँवों में कैसा परिवर्तन हो गया कि जीवन भर खादी के कपड़े पहनने वाले अर्थात् आदर्श जीवन व्यतीत करने वाले की जेब में पिस्तौल । यह समय परिवर्तन की देन है। ग्रामीण परिवेश विकृत हो चुका है। आरक्षण के कारण अगड़ी-पिछड़ी तथा ऊँच-नीच की भावनाएँ इतनी प्रबल हो गई हैं कि एक वर्ग दूसरे वर्ग की जान के ग्राहक बन गए हैं। जमीन-जायदाद गले की हड्डी बन गई है। तुम्हारी वाली जमीन गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है। अच्छा हुआ कि तुम आ गई। जमीन का कोई फैसला करके ही जाना।

Sukhi Nadi Ka Pul Class 9th Hindi Solutions

            बुच्चीदाय तेरह-चौदह वर्षों के बाद नैहर लौटी है। इससे पहले माँ के श्राद्ध-कर्म में आई थी। जीप पर बैठी वह ग्रामीण सामाजिकता के विषय में सोचते हुए विचार मग्न हो जाती है कि नैहर सिर्फ भाई-भौजाई का नहीं होता बल्कि पूरा गाँव ही अपने भाई-भतीजे के समान होता है। इसी वैचारिक क्रम में उसे खवासिन टोली की सहेलिया माय याद आती है जिसके स्तन का दूध पीकर वह पली-बढ़ी थी। उस समय सामाजिक परिवेश कुछ और ही था, किंतु इस बार हर कुछ परिवर्तित देखती है। नदी पर कठपुल्ला की जगह सीमेंट का पुल, नदी में पानी की जगह रेत ही रेत, क्योंकि नदी सूख गई है। बुआ को गाँव भी बदला-बदला दिखाई दिया। खपरैल की जगह पक्का मकान, बिजली के तार, घर में फोन, फ्रिज, टी.वी. आदि-आदि। लेकिन बुआ तो तरस रही है, सखीसहेलियाँ नदी-पोखर, खेत-खलिहान, नाथ बाबा का थान्ह आदि के लिए, क्योंकि इनके साथ बुआ का गहरा संबध था।

            बुआ सहेलिया माय के लिए दो साड़ियाँ लाई थीं, किंतु शाम हो जाने के कारण वह उसके घर नहीं जा सकी। रात में जब भाई-भौजाई ने सहेलिया माय के परिवार की कहानी सुनाई तो उसके होश उड़ गए, क्योंकि सहेलिया माय का बेटा कलेसरा ने बुआ को विवाह के समय मिली पाँच एकड़ जमीन पर सिकमी बटाई का दावा ठोंक दिया, जिस कारण केस-मुकदमा तो हुआ ही, साथ-साथ कलेसरा ने उनके भाई पर फरसा चला दिया, बीच-बचाव में कलेसरा के बाप सोने लाल की कलाई कटकर जमीन पर गिर गई। कलेसरा खूनी राजनीतिक पार्टी से जुड़ा हुआ था। इन सब कारणों से गाँव अगड़ी तथा पिछड़ी दो वर्गों में बँट गया है। लेकिन बुआ यह सब अवसन्न भाव से देखती रही।दिन के तीसरे पहर बुआ कमल पोखर की तरफ निकल पड़ी तथा पोखर के ऊँचे मोहार पर खड़ी हसरत भरी नजर से खवासटोली की तरफ देखने लगी। शहनाई एवं खुरदुक बाजे की मीठी-मीठी मंगल ध्वनि की आवाज सुनकर लगा कि यह आवाज सहेलिया माय के घर से आ रही है। शहनाई का धुन सुनकर बुआ को रघू काका की याद आ गई क्योंकि उनकी शादी के बाद विदाई के समय काका ने समदौन की धुन बजाई थी— “बड़ा रे जतन से सुग्गा रे हम पोसलौं, सेहो सुग्गा उड़ले अकास।” खवासटोली से आती शहनाई की आवाज से बुआ का मन अशांत-सा हो गया। उन्हें अपने भतीजा से पता चला कि सहेलिया माय की पोती की शादी है। उस शादी में शामिल होने के लिए उनका मन उद्विग्न हो उठा और शाम के समय काँख में साड़ी दबाकर उसके घर चल पड़ी। पहुँचने पर उसने देखा कि आँगन गाँव की औरतों एवं बच्चों से भरा हुआ था। गीत-नाद हो रहा था। ओसारे पर पंजों के बल बैठी सहेलिया माय को लीलावती ने पहचान लिया। वह चुपके से उसके पास गई और पैरों पर गिर पड़ी, लेकिन आँखों का मंद ज्योति के कारण वह पहचान न सकी । लीलावती ने अपना परिचय देती हुई कहनेलगी-लाल बाबू की बेटी, बुच्ची दाय हूँ। सारे लोग उन्हें देख स्तब्ध थे। सहेलिया माय के सूखे स्तनों में जैसे दूध उतर आया, क्योंकि इसी के स्तन का दूध पीकर वह पलीबढ़ी थी। टोले के लोग बुच्ची दाय को देखने उमड़ पड़े। सोनेलाल भर्राई आवाज में कहने लगा कि तुम्हारे आने से जीवन धन्य हो गया । कलेसर उनके पैरों पर गिरकर अपने किए पर पश्चाताप के आँसू बहाने लगा। वहाँ का वातावरण इतना प्रेममय हो गया कि कुछ क्षण के लिए उस आँगन का सब कुछ ठहर गया।

            बारात आई। विवाह की विधियाँ चलती रहीं। बुच्ची दाय भी औरतों की झुंड में बैठी विवाह के भूले-बिसरे गीत रात भर गाती रही। अगले दिन बुच्चीदाय जब अपने भैया के घर लौटने के तैयार हुई तो पूरे टोले के लोगों से घिरी वह आम बगान के इस पार तक आई। इधर बबुआनटोले के लोग तथा भाई, भौजाई एवं भतीजे एकटक इसी तरफ देख रहे थे। इस समय बुच्चीदाय पूर्ण देहातिन लग रही थी। चेहरे पर परम उपलब्धि की अपूर्व आभा छिटक रही थी।

दूसरे दिन सुबह में भैया ने जब उसकी पाँच एकड़ जमीन की बात चलाई तो लीलावती ने कहा कि इस बार इस जमीन का कोई निर्णय करके जाऊँगी, क्योंकि इस जमीन के कारण आप लोग भी परेशानी में रहते हैं। भैया ने जमीन के सारे कागजात तथा हाल में कटाई गई रसीद लीलावती को सुपुर्द कर दिया। बहन लीलावती ने हाथ में कागजात लिए मुस्कुराकर बोली-आपसे वचन चाहती हूँ भैया। आप वचन दीजिए कि दान मिली जमीन का जो मैं करूँगी, उसे आपलोग मंजूर कीजिएगा। भैया ने उत्तर देते हुए कहा-तुम जो फैसला करोगी, हमें मंजूर होगा। लीलावती ने कहा कि यह जमीन सहेलिया माय को रजिस्ट्री करना चाहती हूँ क्योंकि उसका दूध पीकर जिंदगी पाई थी। सहेलिया माय और कलेसर कल फारबिसगंज रजिस्ट्री ऑफिस में मिलेंगे। भाई ने बहन का मान रखने के लिए फारबिसगंज जाने के लिए तैयार हो गए। भैया के खादी के कुर्ते की जेब में पिस्तौल की जगह जमीन के कागजात थे। लीलावती को ऐसा लग रहा था जैसे दूध की कोई उमगी हुई उजली नदी है और उस नदी में वह ऊब-डब नहा रहीहै |

अभ्यास के प्रश्न और उनके उत्तर

पाठ के साथ :

प्रश्न 1. स्टेशन के बाहर लगी जीप को देखकर लीलावती के मन को क्यों ठेस-सी लगी?
उत्तर- स्टेशन के बाहर लगी जीप को देखकर लीलावती के मन को इसलिए ठेस- सी लगी क्योंकि उसने तो सोचा था कि टप्परवाली बैलगाड़ी या ओहारवाली बैलगाडी आई होगी, जिस पर बैठकर वह देहाती परिवेश का आनंद लेती ।

प्रश्न 2. गाँव शहर से किस प्रकार भिन्न होता है? वर्णन करें ।
उत्तर — गाँव का वातावरण, सामाजिक संबंध, रहन-सहन तथा खान-पान अपने ढंग का होता है । गाँव में भाईचारे का संबंध होता है । हर वर्ग के लोग दूसरे वर्ग के साथ अपनापन के भाव से पेश आते हैं। सभी मिलजुल कर काम करते हैं। किसी के यहाँ कोई उत्सव होता है तो सभी अपना समझ हाथ बँटाते हैं। यही कारण है कि लीलावती कहती है — गाँव का नैहर सिर्फ अपने माँ-बाप या भाई- भौजाई का घर नहीं होता, पूरा गाँव होता है। शहर में ऐसी बात नहीं होती है । वहाँ व्यक्तिगत जीवन होता है । लोग एकांगी होते हैं। हर की अपनी समस्या होती है, दूसरे को उससे कोई लेना-देना नहीं होता ।

प्रश्न 3. ‘बुच्ची दाय’ ‘सुनने में लीलावती को आनंदातिरेक की अनुभूति क्यों होती है ?
उत्तर- ‘बुच्चीदाय’ सुनने में लीलावती को आनंदातिरेक की अनुभूति इसलिए होती है क्योंकि भैया के मुँह से बुच्चीदाय संबोधन प्रेम रस से सना हुआ था । उसमें अपनापन तथा अनुराग का भाव प्रकट हो रहा था ।

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प्रश्न 4. बुच्ची दाय को सबसे ज्यादा किसकी याद आती है और क्यों ?
उत्तर – बुच्ची दाय को सबसे ज्यादा याद सहेलिया माय की आती है क्योंकि वह उसी के स्तन का दूध पीकर पली हैं। उनकी माँ भी कहा करती थी कि सहेलिया माय खवासिन नहीं, अपितु तुम्हारी दूसरी माँ है । उसी ने अपना दूध पिलाकर तुमको जिंदा रखा। इसी कारण सहेलिया माय की ज्यादा याद आती है ।

प्रश्न 5. गाँव में लीलावती फोन, फ्रिज, टीवी, वीसीडी की जगह क्या देखना चाहती है?
उत्तर — गाँव में लीलावती फोन, फ्रिज, टी.वी., वीसीडी की जगह सखी-सहेलियाँ, । नदी-पोखर, खेत-खलिहान, टोले-पगडंडियाँ, नाथ बाबा का थान्ह, राजा सल्हेस का ‘गहबर, बुढ़िया बाड़ी, बरहम बाबा का मंदिर देखना चाहती है, जिनसे उन्हें बाल्यावस्था का संबंध था। फोन, फ्रिज, टी.वी. आदि तो उनके पास हैं ही।

प्रश्न 6. प्रस्तुत कहानी में प्रयुक्त उन तथ्यों को एकत्र करें, जिससे ग्रामीण जीवन का चित्र उभरता है ।

उत्तर- जिन तथ्यों से ग्रामीण जीवन का चित्र उभरता है, वे निम्न प्रकार हैं
‘उसने सोचा था कि टप्पर वाली बैलगाड़ी या ओहार वाली बैलगाड़ी आई होगी।’
‘गाँव का नैहर सिर्फ अपने माँ-बाप या भाई भौजाई का घर नहीं होता, पूरा गाँव होता है। यहाँ तो पूरा गाँव रिश्ते-नातों में बँधा होता है।’ वह तो नैहर की पहले वाली असुविधाओं के लिए तरस रही है। सखी-सहेलियाँ, नदी-पोखर, खेत-खलिहान, टोले- पगडंडियाँ, नाथबाबा का थान्ह, राजा सल्हेस का गहबर, बुढ़िया बाड़ी, बरहम बाबा का मंदिर ।’ ‘जुते हुए खेतों और ‘आर-धुर’ को लाँघती हुई वह सहेलिया माय के दरवाजे पर पहुँच गई ।
फूस के वही तीन छोटे-छोटे घर, छोटा-सा आँगन । गाँव-समाज की औरतों और बच्चों से आँगन भरा हुआ था । गीत – नाद हो रहा था । बाहर दरवाजे के किसी कोने में बैठे रघू काका फिल्मी गाने की धुन बजा रहे थे। देर रात बगल के गाँव से बारात आई । विवाह की विधियाँ चलती रहीं । सारी रात गाँव की औरतों की झुंड में बैठी लीलावती विवाह के भूले-बिसरे गीत गाती रही। गाँव की अपनी बच्ची दाय को विदा करने खवास टोली के लोग ही नहीं, पूरे सोलकन टोले के लोग, औरतें, बच्चे सब एकत्र थे । इन सबसे घिरी लीलावती आम बगान के इस पार तक आई । पोखर के मोहार – पर भैया, भौजी, बहू, भतीजे और बबुआन टोले के लोग खड़े थे । वायल की गाढ़ी लाल साड़ी पहने और भर मांग सिंदूर पाते पोखर के मोहार पर आई । लीलावती इस वक्त पूरी देहातिन लग रही थी ।

प्रश्न 7. बुच्ची दाय जब सहेलिया माय से मिलने पहुँची तो सबको अचरज क्यों हुआ ? वहाँ के दृश्य का वर्णन करें ।
उत्तर – बुच्चीदाय जब सहेलिया माय से मिलने पहुँची तो सबको अचरज इसलिए लगा, क्योंकि बबुआन टोले से उन लोगों की दुश्मनी चल रही थी । आना-जाना, टोका- चाली, न्योता -पिहानी सब बंद था। बैकवार्ड-फारवर्ड की दुर्भावना के कारण दोनों एक- दूसरे की जान के ग्राहक बने हुए थे। ऐसी विपरीत परिस्थिति में बुच्चीदाय का सहेलिया माय के घर अन्हरिया रात में ‘आर-धुर’ लाँघते हुए जोना अचरज में डालने वाली बात तो थी ही ।

बुच्चीदाय का नाम सुनते ही सहेलिया माय के स्तनों में जैसे दूध उतर आया । बुच्चीदाय उसके सीने में अपना चेहरा छिपा रोने लगी। बाढ़ के पानी – सी यह खबर पूरे सोलकंन टोले में फैल गई । बुच्चीदाय को देखने लोग उमड़ पड़े। बूढ़े सोनेलाल की आँखों में आँसू आ गए। वह भर्राई हुई आवाज में कहने लगे, तुम आ गई बुच्चीदाय ! जिंदगी का सुफल मिल गया । कलेसर बुच्चीदाय के पैरों पर गिरकर रोने लगा । इस प्रकार विवाह के उल्लास भरे वातावरण में आँसुओं की गंगा-जमुनी बाढ़ का दृश्य उपस्थित हो गया।

प्रश्न 8. लोलावती खवासटोली और बबुआनटोली को तबाह होने से किस प्रकार बचा लेती है ?
उत्तर – लीलावती ने अपने विवाह के अवसर पर पिता द्वारा दान में दी गई पाँच तबाह एकड़ जमीन सहेलिया माय को रजिस्ट्री करके खवासटोली तथा बबुआन टोली. को होने से बचा लिया। लीलावती के भाई को इसी जमीन के कारण केस मुकदमा तथा लड़ाई- दंगा करना पड़ा था । अर्थात् उनकी परेशानी का कारण यही जमीन थी, जिसे लीलावती ने सहेलिया माय के दूध के मूल्य के रूप में दान में मिली अपनी जमीन उसे दान देकर हमेशा-हमेशा के लिए झगड़ा खत्म करा दिया ।

प्रश्न 9. लीलावती अपनी पाँच एकड़ जमीन भैया को न देकर सहेलिया माय के नाम करने का फैसला क्यों करती है ?
उत्तर – लीलावती अपनी पाँच एकड़ जमीन भैया को न देकर सहेलिया माय करने का फैसला इसलिए करती है, क्योंकि सहेलिया माय के अमूल्य त्याग के कारण लीलावती जिंदा बच सकी थी। इसी अमूल्य त्याग के अवदान के कारण लीलावती अपनी जमीन भैया को न देकर सहेलिया माय के नाम करने का फैसला किया। दूसरी बात यह भी थी कि यही जमीन झगड़ा का मुख्य कारण थी, जिसे दान में देकर उच्च वर्ग तथा निम्न वर्ग के बीच बढ़ती खाई को पाटने का प्रयास किया गया है ।

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प्रश्न 10. गाँव में दंगा भड़कने का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर — गाँव में दंगा भड़कने का मुख्य कारण शहरी संसर्ग तथा आरक्षण है। आरक्षण लागू होने के कारण ही बैकवार्ड-फारवर्ड की दुर्भावना लोगों में आई है। इसी दुर्भावना के कारण उच्च तथा निम्न दो वर्गों में समाज बँट गया तथा आपस में लड़ना- झगड़ना शुरू कर दिया।

प्रश्न 11. भाव स्पष्ट करें :

(क) “तुम्हारी जो पाँच एकड़ जमीन है वह तो समझो गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है।
भाव – भाव यह है कि गाँव के निम्न वर्ग उस जमीन पर जबर्दस्ती अधिकार जमाना चाहता है जिस कारण जमीन-जायदाद को बचाना मुश्किल हो गया है। लीलावती के भाई यह कहकर उसे उस जमीन को ठिकाने लगाने की सलाह देते हैं ।

(ख) “समय ही ऐसा आ गया है’ बुच्ची दाय! अपनी सुरक्षा के लिए यह सब अब रखना पड़ता है। गाँव अब पहले वाला गाँव नहीं रहा । “
भाव – भाव यह है कि शहरी संसर्ग के कारण समाज उच्च तथा निम्न वर्ग में बँट जाने के कारण ग्रामीण सामाजिक व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। निम्न वर्ग अपने अधिकार की प्राप्ति के लिए आकुल व्याकुल है जिसे उच्च वर्ग पसंद नहीं करता है । फलतः दोनों में अन्तर्विरोध की भावना उत्पन्न हो गई है । उच्च वर्ग को इसी अन्तर्विरोध अथवा जमीन” जायदाद की रक्षा के लिए पिस्तौल आदि रखना आवश्यक हो गया है ।

(ग) सूखी नदी का पुल ! पिछली बार आई थी तब नदी में पानी था और सीमेंट के पुल की जगह काठ का पुल था- कठपुल्ला। नदी सूख गई है अब । रेत. ही रेत ! रेत की नदी!
भाव — भाव यह है कि इस बार लीलावती ग्रामीण परिवेश में बदलाव का अनुभव करती है। उसका मानना है कि आर्थिक विकास तो हुआ है लेकिन सामाजिकता का अभाव हो गया है। लोगों की मानवता उसी प्रकार मर चुकी है जिस प्रकार नदी का पानी सूख गया हैं और अन्तर्विरोध रूप रेत दिखाई पड़ने लगे हैं। अर्थात् प्रामीण लोगों में भाईचारे एवं आपसी सद्भाव, प्रेम आदि खत्म हो गए हैं ।

(घ) “जीप जब दरवाजे से आगे बढ़ी तब लीलावती को ऐसा महसूस हुआ जैसे दूध की कोई उमगी हुई उजली नदी है और उस नदी में वह ऊब-डूब रही है।”
भाव- इन पंक्तियों द्वारा लेखक ने लीलावती के हार्दिक उद्गार को प्रकट किया गया है । लीलावती के हृदय में खुशी का यह उद्गार हिलोरें मार रहा है कि मानवता मरी नहीं है। आज भी न्याय-धर्म का पालन करने के लिए लोग विपरीत परिस्थिति की परवाह नहीं करते, जैसा कि उनके भाई-भतीजे ने कर दिखाया। भाव यह है कि जब कोई प्रतिकूल परिस्थिति में सामंजस्य स्थापित करने में सफल हो जाता है तो सारा संसार चिन्मय प्रतीत होने लगता है ।

(ङ) “सिर्फ अपना अपने माँ-बाप या भाई- भौजाई का घर नहीं होता, पूरा गाँव होता है । यह शहर तो है नहीं! यहाँ तो पूरा गाँव रिश्तों-नातों में बँधा रहता है ।”
भाव – भाव यह है कि ग्रामीण परिवेश में व्यक्ति समाज से इस प्रकार जुड़ा होता है कि उसके लिए कोई गैर नहीं होता। हर की इज्जत समान होती है। खासकर लड़कियाँ सारे गाँव की इज्ज़त होती हैं । उसे हर कोई सम्मान की दृष्टि से देखता है । वह भी हर पुरुष औरत को अपने माँ-बाप, भाई- भौजाई तथा भतीजे जैसा आदर एवं प्रेम देती है, जबकि शहर में ऐसी परंपरा नहीं होती है ।

(च) “विवाह के उल्लास भरे वातावरण में आँसुओं की यह गंगा-यमुनी बाढ़ । इस बाढ़ में किसका कितना कुछ डुबा, बहा— कौन जाने ! “
भाव – भाव यह है कि आँसुओं की इस गंगा-जमुनी बाढ़ में हृदय की मलिनता कितनी दूर हुई, यह तो आने वाला भविष्य ही निर्णय करेगा। तात्पर्य यह है कि सहेलिया माय के परिवार के बुच्चीदाय के साथ जैसा प्रशंसनीय व्यवहार किया अथवा कलेसर ने फिर हाथ न उठाने की प्रतिज्ञा की, इससे स्पष्ट होता है कि उन्होंने अपने किए पर पश्चाताप प्रकट किया, जिसका प्रतिफल बुच्चीदाय द्वारा दी गई जमीन के रूप में मिला ।

प्रश्न 12. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखें :

नौ- छौ करना, काठ की मूरत, पीठ थपथपाना, ऊब डूब होना
उत्तर : नौ-छौ करना — कोई निर्णय कर देना- ।
काठ की मूरत – बेजान ।
पीठ थपथपाना—उत्साहित करना ।
ऊब – डूब होना – प्रसन्न होना ।

प्रश्न 13. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखें ।
कंट्रीमेड, हतप्रभ, शिनाख्त, अप्रत्याशित, दुर्भावना, हिफाजत, मुकदमा, लरकोरी, कठपुल्ला, झुल-झुल बूढ़, संदूक, प्रत्यारोप |

उत्तर :
शब्द                             अर्थ
कंट्रीमेड                          स्वदेशी
हतप्रभ                           भौंचक्का
शिनाख्त                         पहचान, जाँच-पड़ताल
अप्रत्याशित                    जिसकी आशा न की गई हो
दुर्भावना                         बुरी नीयत, बुरे विचार
हिफाजत                         सुरक्षा
मुकदमा                          केस, अपने अधिकार के लिए न्यायालय में वाद पेश करना
लरकोरी                          वह स्त्री जिसकी गोद में नन्हा बच्चा हो ।
कठपुल्ला                       लकड़ी का पुल
झुल-झुल बूढ़                   वयोवृद्ध
संदूक                             लकड़ी का बना बड़ा बक्सा
प्रत्यारोप                         किसी दूसरे पर दोष मढ़ना ।

प्रश्न 14: ‘सूखी नदी का पुल’ शीर्षक की सार्थकता पर विचार करते हुए कहानी का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – प्रस्तुत कहानी. का शीर्षक ‘सुखी नदी का पुल’ वातावरण अथवा सामाजिक परिवेश के अनुकूल है। कहानी समस्या प्रधान है। ऊँच-नीच अथवा बैकवार्ड-फारवर्ड के कारण गाँव दो वर्गों में विभक्त हो जाता है, जिसका परिणाम यह होता है कि दोनों वर्ग एक-दूसरे की जान के दुश्मन हो जाते हैं । इस परिस्थिति में बुच्चीदाय सहेलिया माय की पोती की शादी में शामिल होकर तथा अपनी पाँच एकड़ जमीन उसे दान देकर पुल के समान दो किनारों अर्थात् दो वर्गों को जोड़ देती हैं । तात्पर्य कि जहाँ की सामाजिकता नंदी के पानी के समान सूख गई थी, उस सूखी नदी अर्थात् अन्तर्विरोधों के बीच लीलावती पुल का काम करती है । अतः कहानी का शीर्षक ‘सूखी नदी का पुल’ बिल्कुल सार्थक है। कहानी का केन्द्रीय भाव ऊँच-नीच की भावना है जो शहरी संसर्ग से अथवा आरक्षण के. कारण उत्पन्न हुआ है । लेखक ने आरक्षण के माध्यम से सरकार की नीति की आलोचना की है। लेखक का मानना है कि आरक्षण की नीति के कारण ही समाज दो वर्गों में विभक्त हुआ है। यह सब कुछ नहीं है, अपनी कुर्सी बरकरार रखने की नीति है । सरकार चाहती है कि जनता आपस में लड़ती रहे ताकि उसका ध्यान शासन की कुव्यवस्था की ओर नहीं जाए।

प्रश्न 15. ‘सूखी नदी का पुल कहानी का सारांश लिखें ।
उत्तर- संकेत : पाठ का सारांश देखें ।

नोट : पाठ के आस-पास के प्रश्नों के उत्तर छात्र स्वयं लिखें ।

भाषा की बात ( व्याकरण संबंधी प्रश्न एवं उत्तर ) :

प्रश्न 1. वाक्य प्रयोग द्वारा निम्नांकित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करें-
नौ-छौ करना, जी का जंजाल का होना, होश उड़ना, पीठ थपथपाना

उत्तर – नौ-छौ करना – राम ने अपने छोटे भाई से कहा कि इस बार तुमसे नौ छौ करके ही घर जाऊँगा ।
जी का जंजाल होना – रामू तो मेरे जी का जंजाल हो गया ।
होश उड़ना – बम का धमाका होते ही सभा में बैठे सभी लोगों के होश उड़ गए।
पीठ थपथपाना—माँ ने अपने पुत्र को पीठ थपथपाकर दिल लगाकर पढ़ने को

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प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों के मानक रूप बताएँ:
उत्तर :
शब्द                             मानक रूप
दैब                                दैव
जिनगी                           जिंदगी
अन्हरिया                        अंधरिया
अजगैबी                         गजब
सादी-व्याह                      शादी-विवाह

प्रश्न 3. निर्देशांनुसार उत्तर दें :
(क) लीलावती के विवाह के समय कन्यादान करते हुए बाबूजी ने बेटी को पाँच एकड़ जमीन दान में दी थी। (विशेषण बताएँ)
(ख) हमलोगों को भी अपनी सेना है बुआ। (अव्यय बताएँ)
(ग) पता नहीं फिर कब लौटकर आना हो नैहर । (देशज शब्द बताएँ)
(घ) लीलावती उछाह भरे मन से प्लेटफार्म की तरफ देखने लगी। (विदेशज)
(च) भाई-भौजाई । (समास बताएँ)
(छ) देहातिन ( प्रत्यय बताएँ).

उत्तर—(क) पाँच, (ख) भी, (ग) नैहर, (घ) प्लेटफार्म, (च) भाई और भौजाई – द्वन्द्व, देहातिन = देहात. + इन ।

प्रश्न 4. विपरीतार्थक शब्द बताएँ :
उत्तर : अपना = पराया
उम्र = शांत
पुराना = नया
सच = झूठ

प्रश्न 5. प्रस्तुत कहानी में कुछ सहचर शब्द आए हैं जैसे-खेत-खलिहान, डागडर – बैद इसी तरह कुछ सहचर शब्द पठित कहानी से चुनें ।
उत्तर—बैकवार्ड-फारवर्ड, रिश्तों-नातों, सादी-ब्याह, आना-जाना, भूले-बिसरे, आरोप-प्रत्यारोप ।

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