इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी के पद्य भाग के पाठ बारह ‘शिक्षा और संस्कृति‘ (Siksha or sanskriti class 10 Hindi) के व्याख्या को पढ़ेंगे।
12. शिक्षा और संस्कृति
लेखक परिचय
लेखक का नाम- महात्मा गाँधी
जन्म-2 अक्टूबर, 1869 ई० पोरबंदर, गुजरात
मृत्यु- 30 जनवरी, 1948 ई०, नई दिल्ली
पिता- करमचन्द गाँधी
माता- पुतली बाई
इन्होंने हाई स्कुल तक की शिक्षा स्थानीय स्कूलों में पाई तथा वकालत की पढ़ाई इंगलैंड से की। वहाँ से लौटने पर भारत में वकालत शुरू की। किंतु कुछ ही दिनों के बाद एक धनी व्यवसायी के मुकदमे के क्रम में दक्षिण अफ्रीका गए। वहाँ प्रवासी भारतीयों की दुर्दशा देखकर उनके उद्धार के लिए ’सत्याग्रह’ आंदोलन चलाया।
1915 ई० में भारत आए तो इन्होंने देशवासियों को पराधीनता से मुक्ति दिलाने के लिए अहिंसा आधारित सत्याग्रह करने का मंत्र दिया। फलस्वरूप अंग्रेजों को अपना बोरिया-बिस्तर समेटकर यहाँ से जाना पड़ा। देश को 15 अगस्त, 1947 के दिन फिरंगियों से मुक्ति दिलाई। इनकी मृत्यु 30 जनवरी, 1948 ई० को गोली लगने से हुई।
रचनाएँ- गाँधी जी ने ’हिन्द स्वराज’ तथा ’सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ पुस्तकें लिखीं तथा हरिजन, यंग इंडिया आदि पत्रिकाओं का संपादन किया।
पाठ-परिचय- प्रस्तुत पाठ में शिक्षा और संस्कृति पर महात्मा गाँधी के विचार प्रस्तुत किया गया है। लेखक ने नैतिक शिक्षा पर जोर दिया है।
पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ ’शिक्षा और संस्कृति’ महात्मा गाँधी द्वारा लिखा गया है। इसमें लेखक ने सच्ची दिशा एवं भारतीय संस्कृति की विशेषताओं पर प्रकाश डाला है। लेखक वैसी शिक्षा को सच्ची शिक्षा मानता है जिसमें प्रेम से घृणा को, सत्य से असत्य को तथा कष्ट सहन से हिंसा को जीतने की शक्ति हो। लेखक की राय में सच्ची शिक्षा का अर्थ अपनी इन्द्रीयों का ठीक-ठीक उपयोग करना आनी चाहिए।
लेखक ऐसी शिक्षा प्रारंभ करने के हिमायती हैं जिसमें तालीम के साथ-साथ उत्पादन करने की क्षमता प्राप्त हो सके।
लेखक ने चरित्र निर्माण को शिक्षा का ध्येय माना है। उनका तर्क है कि इससे साहस, बल, सदाचार तथा आत्मोत्सर्ग की शक्ति का विकास करने में मदद मिलेगी। वह साक्षरता से ज्यादा महत्वपूर्ण है। लेखक का यह भी कहना है कि यदि व्यक्ति चरित्र निर्माण करने में सफल हो जाता है, तो समाज अपना दायित्व स्वयं संभाल लेगा। Siksha or sanskriti class 10 Hindi
संस्कृति संबंधी विषय में उनका तर्क था कि संसार की किसी भाषाओं में, जो ज्ञान का भंडार भरा है, उसे अपनी ही भाषा में प्राप्त करें।
लेखक का यह भी मानना है कि किसी दूसरी संस्कृति को जानने से पहले अपनी संस्कृति का ज्ञान होना आवश्यक है। तभी दूसरों की संस्कृति समझना उचित होगा, क्योंकि हमारी संस्कृति इतनी समृद्ध है कि दुनिया में कोई भी संस्कृति इतनी समृद्ध नहीं है।
देश के भावी संस्कृति के बारे में लेखक का कहना है कि यदि दूसरी संस्कृति का बहिष्कार किया जाता है तो अपनी संस्कृति जिंदा नहीं रह पाती। हमारी संस्कृति की विशेषता है कि हमारे पूर्वज एक-दूसरे के साथ बड़ी आजादी के साथ मिल गए। हमलोग उसी मिलावट की उपज हैं।
लेखक की सलाह है कि साहित्य में रुचि रखने वाले हमारे युवा स्त्री-पुरूष संसार की हर भाषाओं को सिखें तथा अपनी विद्वता का लाभ भारत और संसार को सुबाष चन्द्र बोस तथा रविन्द्र नाथ टैगोर की तरह दें। किंतु अपनी भाषा तथा धर्म का त्याग न करें। हमारी संस्कृति विविध संस्कृतियों के सामंजस्य की प्रतिक है। इसमें प्रत्येक संस्कृति के लिए उचित स्थान सुरक्षित है।
लघु-उत्तरीय प्रश्न (20-30 शब्दों में)___दो अंक स्तरीय
प्रश्न 1. इंद्रियों का बुद्धिपूर्वक उपयोग सीखना क्यों जरूरी है? (Text Book)
उत्तर- इन्द्रियों का बुद्धिपूर्वक उपयोग उसकी बुद्धि के विकास का जल्द-से-जल्द और उत्तम तरीका है।
प्रश्न 2. गाँधीजी बढ़िया शिक्षा किसे कहते हैं ? (Text Book 2013A,2015A)
उत्तर- अहिंसक प्रतिरोध को गाँधीजी बढ़िया शिक्षा कहते हैं। यह शिक्षा अक्षर-ज्ञान से पूर्व मिलना चाहिए।
प्रश्न 3. गांधीजी के अनुसार शिक्षा का जरूरी अंग क्या होना चाहिए? (2018A)
उत्तर- गाँधीजी के अनुसार शिक्षा का जरूरी अंग यह होना चाहिए कि बालक जीवन-संग्राम में प्रेम से घृणा को, सत्य से असत्य को और कष्ट-सहन से हिंसा को आसानी के साथ जीतना सीखें।
प्रश्न 4. मस्तिष्क और आत्मा का उच्चतम विकास कैसे संभव है ? (Text Book)
उत्तर- शिक्षा का प्रारंभ इस तरह किया जाए कि बच्चे उपयोगी दस्तकारी सीखें और जिस क्षण से वह अपनी तालीम शुरु करें उसी क्षण उन्हें उत्पादन का काम करने योग्य बना दिया जाए। इस प्रकार की शिक्षा-पद्धति में मस्तिष्क और आत्मा का उच्चतम विकास संभव है।
प्रश्न 5. शिक्षा का ध्येय गाँधीजी क्या मानते थे और क्यों? (पाठ्य पुस्तक, 2012A,2014C)
उत्तर- शिक्षा का ध्येय गाँधीजी चरित्र-निर्माण करना मानते थे। उनके विचार से शिक्षा के माध्यम से मनुष्य में साहस, बल, सदाचार जैसे गुणों का विकास होना चाहिए, क्योंकि चरित्र-निर्माण होने से सामाजिक उत्थान स्वयं होगा । साहसी और सदाचारी व्यक्ति के हाथों में समाज के संगठन का काम आसानी से सौंपा जा सकता है।
प्रश्न 6. गांधीजी किस तरह के सामंजस्य को भारत के लिए बेहतर मानते हैं और क्यों? (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- गाँधीजी भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के सामंजस्य को भारत के लिए बेहतर मानते हैं, क्योंकि भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के सामंजस्य भारतीय जीवन को प्रभावित किया है और स्वयं भी भारतीय जीवन से प्रभावित हुई है। यह सामंजस्य कुदरती तौर पर स्वदेशी ढंग का होगा, जिसमें प्रत्येक संस्कृति के लिए अपना उचित स्थान सुरक्षित होगा।
प्रश्न 7. गाँधीजी कताई और धुनाई जैसे ग्रामोद्योगों द्वारा सामाजिक क्रांति कैसे संभव मानते थे? (Text Book)
उत्तर- कताई और धुनाई जैसे ग्रामोद्योगों के संबंध में गाँधीजी की कल्पना थी कि यह एक ऐसी शांत सामाजिक क्रांति की अग्रदूत बने। जिसमें अत्यंत दूरगामी परिणाम भरे हुए हैं। इससे नगर और ग्राम के संबंधों का एक स्वास्थ्यप्रद और नैतिक आधार प्राप्त होगा और समाज की मौजूदा आरक्षित अवस्था और वर्गों के परस्पर विषाक्त संबंधों की कुछ बड़ी-से-बड़ी बुराइयों को दूर करने में बहुत सहायता मिलेगी। इससे ग्रामीण जन-जीवन विकसित होगा और गरीब-अमीर का अप्राकृतिक भेद नहीं रहेगा।
प्रश्न 8. अपनी संस्कृति और मातृभाषा की बुनियाद पर दूसरी संस्कृतियों और भाषाओं से संपर्क क्यों बनाया जाना चाहिए? गाँधीजी की राय स्पष्ट कीजिए। (Text Book) Siksha or sanskriti class 10 Hindi
उत्तर- गाँधीजी के विचारानुसार अपनी मातृभाषा के माध्यम बनाकर हम अत्यधिक विकास कर सकते हैं। अपनी संस्कृति के माध्यम से जीवन में तेज गति से उत्थान किया जा सकता है। दूसरी संस्कृति की अच्छी बातों को अपनाने में परहेज नहीं किया जाय । बल्कि अपनी संस्कृति एवं भाषा को आधार बनाकर अन्य भाषा एवं संस्कृति को भी अपने जीवन से युक्त करें।
प्रश्न 9. गाँधीजी देशी भाषाओं में बड़े पैमाने पर अनुवाद-कार्य क्यों आवश्यक मानते थे? (Text Book)
उत्तर- गाँधीजी का मानना था कि देशी भाषाओं में अनुवाद के माध्यम से किसी भी भाषा के विचारों को तथा ज्ञान को आसानी से ग्रहण किया जा सकता है। अंग्रेजी या संसार के अन्य भाषाओं में जो ज्ञान-भंडार पड़ा है, उसे अपनी ही मातृभाषा के द्वारा प्राप्त करना सरल है। सभी भाषाओं से प्राप्त ज्ञान के लिए अनुवाद की कला परमावश्यक है। अतः इसकी आवश्यकता बड़े पैमाने पर है।
प्रश्न 10. दूसरी संस्कृति से पहले अपनी संस्कृति की गहरी समझ क्यों जरूरी है? (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- दूसरी संस्कृतियों की समझ और कद्र स्वयं अपनी संस्कृति की कद्र होने और उसे हजम कर लेने के बाद होनी चाहिए, पहले हरगिज नहीं। कोई संस्कृति इतने रत्न-भण्डार से भरी हुई नहीं है जितनी हमारी अपनी संस्कृति है। सर्वप्रथम हमें अपनी संस्कृति को जानकर उसमें निहित बातों को अपनाना होगा। इससे चरित्र-निर्माण होगा जो संसार के अन्य संस्कृति से कुछ सीखने की क्षमता प्रदान करेगा।
12 शिक्षा और संस्कृति
प्रश्न 11.गाँधीजी अफ्रिका से लौटकर कब आए थे ? Siksha or sanskriti class 10 Hindi
(क) 1916 ई0 में
(ख) 1915 ई0 में
(ग) 1917 ई0 में
(घ)1914 ई0 में
उत्तर-(ख) 1915 ई0 में
प्रश्न 2. शेक्यपीयर किस भाषा के कवि है ?
(क) ग्रीक
(ख) अँग्रेजी
(ग) फ्रेंच
(घ) संस्कृत
उत्तर-(ख) अँग्रेजी
प्रश्न 3.गाँधीजी की दृष्टि में उदात्त और बढिया शिक्षा क्या है ?
(क) अहिंसक प्रतिरोध
(ख) अक्षर ज्ञान
(ग) अनुवाद
(घ) अँग्रेजी की शिक्षा
उत्तर-(क) अहिंसक प्रतिरोध
प्रश्न 4.शिक्षा और संस्कृति के लेखक कौन है ?
(क) महात्मा गाँधी
(ख) सेक्सपीयर
(ग) टॉल्स्टॉय
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-(क) महात्मा गाँधी
प्रश्न 5.गाँधीजी दक्षिण अफ्रिका में कब से कब तक रहे ?
(क) 1893 से 1914 तक
(ख) 1895 से 1916 तक
(ग) 1897 से 1918 तक
(घ)1899 से 1920 तक
उत्तर-(क) 1893 से 1914 तक
प्रश्न 6.आध्यात्मिक शिक्षा से गाँधीजी का क्या अभिप्राय है ?
(क) पुस्तक की शिक्षा
(ख) यंत्रो की शिक्षा
(ग) बुद्धी की शिक्षा
(घ) हृदय की शिक्षा
उत्तर-(घ) हृदय की शिक्षा
प्रश्न 7.महात्मा गाँधी के पिता का क्या नाम था ? Siksha or sanskriti class 10 Hindi
(क) धरमचंद गाँधी
(ख) मीरचंद गाँधी
(ग) हरचंद गाँधी
(घ) करमचंद गाँधी
उत्तर-(घ) करमचंद गाँधी
प्रश्न 8.कौन चाहते थे की सभी देशो की संस्कृति की हवा उनकी घर के पास बहती रहे ?
(क) राजेन्द्र प्रसद
(ख) नेहरू
(ग) मेहात्मा गाँधी
(घ)सरदार पटेल
उत्तर-(ग) मेहात्मा गाँधी
प्रश्न 9.मेरा धर्म कैदखाने का धर्म नही है यह पंक्ति किस शीर्षक पाठ की है ?
(क) नौबतखाने की दबादत
(ख) अविन्यों
(ग) शिक्षा और संस्कृति
(घ) जित-जित मे निरखत हूँ
उत्तर-(ग) शिक्षा और संस्कृति
प्रश्न 10.किनके जन्म दिवस को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है ?
(क) महात्मा गाँधी
(ख) डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद
(ग) जवाहरलाल नेहरू
(घ) बाल गंगाधर तिलक
उत्तर-(क) महात्मा गाँधी
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