Bihar Board Class 7 Hindi शक्ति और क्षमा (Shakti Aur Kshama Class 7th Hindi Solutions) Text Book Questions and Answers
13. शक्ति और क्षमा
(रामधारी सिंह ‘दिनकर’)
अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
पाठ से :
प्रश्न 1. इस कविता के माध्यम से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर – इस कविता के माध्यम से हमें यही सीख मिलती है कि संसार शक्ति के समक्ष सिर झुकाता है । व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान उसके पुरुषार्थ से होती है । जब तक युधिष्ठिर तथा राम विनम्रतापूर्वक निवेदन करते रहे, तभी तक दुर्योधन एवं समुद्र युधिष्ठिर तथा राम को कायर समझा। जैसे ही इन दोनों ने अपनी शक्ति का परिचय दिया, दीनों पददलित हो गए। उसी प्रकार हम भारतवासियों को अपने पुरुषार्थ का परिचय देते हुए अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करने का प्रयास करना चाहिए ।
प्रश्न 2. वे कौन-सी परिस्थितियाँ थीं जिन्होंने राम को धनुष उठाने पर बाध्य किया ?
उत्तर – राम को धनुष उठाने पर बाध्य इन परिस्थितियों के कारण होना पड़ा, क्योंकि रावण ने सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। सीता की वापसी के लिए राम लंका जा रहे थे। समुद्र पार किए बिना लंका जाना संभव नहीं था। समुद्र पार जाने का उपाय जानने के लिए तीन दिनों तक राम प्रार्थना करते रहे, परन्तु इनकी प्रार्थना का समुद्र पर प्रभाव पड़ा, तब उनका पुरुषार्थ जगा । उन्हाने समुद्र को सुखा डालने के लिए अपने धनुष पर अग्निवाण चढ़ाया । अग्निवाण की ज्वाला से जब जलजीव त्राहि-त्राहि करने लगे तब देहधारण कर समुद्र ने राम के समक्ष घुटने टेक दिए। इससे स्पष्ट होता है कि दुष्ट शक्ति के ही सामने झुकते हैं ।
प्रश्न 3. निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए ।
क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो ।
उसको क्या, जो दंतहीन, विषहीन, विनीत, सरल हो ।
उत्तर – क्षमा उस व्यक्ति का गौरव बढ़ाती है जिसमें शक्ति होती है। शक्तिहीन व्यक्ति को लोग कायर तथा डरपोक समझते हैं। जिस प्रकार दंतहीन तथा विषहीन साँप . से कोई नहीं डरता, क्योंकि ऐसे दंतहीन – विषहीन साँप के काटने पर मृत्यु का भय नहीं होता । उसी प्रकार अहिंसात्मकं विचारवाले सज्जन व्यक्ति से कोई नहीं डरता । शक्ति के बिना ये गुण कायरता और पौरुषहीनता को प्रकट करते हैं ।
पाठ से आगे :
प्रश्न 1. दिनकर के इस भाव से आप कहाँ तक सहमत है कि समाज शक्तिशाली की ही पूजा करता है ? अभावहीन, निर्बल व्यक्ति को समाज में कोई नहीं पूछता। इन पर आप अपना विचार स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – दिनकरजी के इस विचार से मैं पूर्ण सहमत हूँ कि आदिकाल से ही पुरुषार्थी और शक्तिशाली ही समाज में पूज्य रहे हैं। अभावग्रस्त एवं निर्बल सदा उपेक्षित रहे हैं । इसका मुख्य कारण है कि शक्तिशाली से जान–माल हानि का भय रहता है जबकि निर्बल या कमजोर से किसी बात का भय नहीं रहता । अंग्रेज शक्ति बल के कारण ही सम्पूर्ण विश्व पर अधिकार जमाए बैठे थे। लेकिन जैसे ही उनकी शक्ति कमजोर हुई, उनके अधीनस्थ देश पराधीनता के बेड़ी को तोड़कर स्वतंत्र हो गए।
कुछ करने को :
प्रश्न 1. दिनकर के जीवन से संबंधित कुछ जानकारियाँ इकट्ठी कीजिए तथा उनके जन्म दिन के अवसर पर अपने स्कूल में सहपाठियों के बीच भाषण दीजिए ।
प्रश्न 2. दिनकर की अन्य रचनाओं का संकलन कर कक्षा में सुनाइए ।
संकेत : इस खंड के दोनों प्रश्नों के उत्तर छात्र स्वयं तैयार करें।
पाठ से महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. इस कविता में कौन किससे बात कर रहा है ?
उत्तर – इस कविता में भीष्म पितामह युधिष्ठिर से बात कर रहे हैं ।
प्रश्न 2. सुयोधन कौन था ? उसके बारे में कविता में क्या कहा गया है ?
उत्तर – दुर्योधन को ही उसके दल वाले सुयोधन कहते थे। वह महाराज धतृराष्ट्र का पुत्र और कौरवों में सबसे बड़ा भाई था। इस कविता में उसके बारे में कहा गया है कि मनुष्यों में बाघ के समान बना हुआ दुर्योधन युधिष्ठिर के सामने कभी झुका नहीं
प्रश्न 3. कवि ने रामचन्द्र और समुद्र का प्रसंग किस उद्देश्य से दिया है ? उक्त प्रसंग का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – कवि ने श्रीरामचन्द्र और समुद्र का प्रसंग कविता में इस की पुष्टि के लिए दिया है कि क्षमा, सहनशीलता, नम्रता आदि गुण तभी कारगर और मान्य हो सकते हैं, जब वे शक्तिशाली के पास हो ।
उक्त प्रसंग के समर्थन में कवि ने कहा है कि लंका विजय के समय राम ने अपनी विनम्रता का प्रदर्शन करते हुए तीन दिनों तक समुद्र से राह देने की प्रार्थना की। लेकिन उनकी प्रार्थना का समुद्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा । तब राम का पौरुष जाग उठा और उन्होंने धनुष पर बाण चढ़ा लिया। वे समुद्र को सोखने के लिए तैयार हो गए। अब समुद्र को राम की शक्ति और पौरुष का ज्ञान हुआ, और वह व्याकुल होकर राम की शरण में आ गया। समुद्र पर पुल बना और राम की सेना लंका पहुँची ।
प्रश्न 4. कवि सहनशीलता, क्षमा आदि गुणों को किस अवस्था में उपयोगी समझता है ?
उत्तर – कवि सहनशीलता, क्षमा आदि गुणों को उसी अवस्था में उपयोगी समझता है जब भुजाओं में शक्ति भी हो ।
प्रश्न 5. इस कविता की वे पंक्तियाँ चुनिये, जिनमें शक्तिशाली बनने की प्रेरणा दी गई है ।
उत्तर : शक्तिशाली बनने की प्रेरणा देनेवाली पंक्तियाँ :
सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है,
बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग हैं ।
प्रश्न 6. आप इस कविता के भाव से कहाँ तक सहमत हैं? क्या यह कविता हमें अहिंसा के मार्ग को छोड़ देने का उपदेश देती है?
उत्तर – आज संसार में प्रत्येक देश अपनी रक्षा का समुचित उपाय कर रहा है। अहिंसा, नम्रता, सहनशीलता आदि गुण अच्छे हैं। लेकिन किसी देश के पास इन गुणों के साथ ही अपनी रक्षा का पर्याप्त साधन होना भी आवश्यक है । तभी उसके वे गुण भी आदर पा सकते हैं । अत: मैं इस कविता के भावों से पूरी तरह सहमत हूँ । यह कविता हमें अहिंसा के मार्ग को छोड़ देने का उपदेश नहीं देती है, बल्कि उसके साथ-साथ अपनी रक्षा के लिए शक्ति सम्पन्न होने की भी सीख देती है ।
प्रश्न 7. इस कविता का केन्द्रीय भाव क्या है ?
उत्तर – इस कविता का केन्द्रीय भाव यह है कि क्षमा, सहनशीलता, नम्रता आदि गुण तभी उपयुक्त और मान्य हो सकते हैं, जब वे शक्तिशाली के पास हों ।
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