इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड के कक्षा 10 इतिहास के पाठ छ: ‘शहरीकरण और शहरी जीवन (Shahrikaran or Shahri Jivan class 10th solutions and notes)’ के नोट्स और सभी प्रश्नों के उत्तर को पढ़ेंगे।
6. शहरीकरण और शहरी जीवन
शहरीकरण का अर्थ : किसी गाँव का शहर या कस्बे के रूप में विकसित होने की प्रक्रिया।
गाँव से शहरों का विकास एक वृहत प्रक्रिया है जो कई शताब्दीयों पर फैली है।
शहरीकरण की प्रक्रिया बहुत लम्बी रही है लेकिन आधुनिक शहर के उदय का इतिहास लगभग 200 वर्ष पुराना है।
गाँव और शहर में अंतर-
गाँव | शहर |
1. गाँव की आबादी कम होती है। | 1. शहर की आबादी अधिक होती है। |
2. गाँव में खेती और पशुपालन मुख्य आजीविका है। | 2. शहर में व्यापार और उत्पादन मुख्य आजीविका होती है। |
3. गाँव की वातावरण स्वच्छ होती है। | 3. शहर की वातावरण प्रदुषित होती है। |
4. गाँव में शिक्षा, यातायात, स्वास्थ्य सुविधाओं का आभाव होता है। | 4. शहर में शिक्षा, यातायात, स्वास्थ्य सुविधाएँ उन्नत अवस्था में होती है। |
कस्बा- कस्बा ग्रामीण अंचल में एक छोटे नगर को माना जाता है जो आधिकाशतः स्थानीय विशिष्ट व्यक्ति का केन्द्र होता है।गंज- एक छोटे स्थायी बाजार को कहा जाता है। कस्बा और गंज दोनों कपड़ा, फल, शब्जी तथा दूध उत्पादों से संबंद्ध थे।
इंगलैंड- 1750 ई. तक इंगलैंड और वेल्स का हर नौ में से एक आदमी लंदन में रहता था।
1810 से 1880 तक इसकी आबादी 10 लाख से बढ़कर 40 लाख हो गई।
लंदन में पाँच तरह के उद्योग थे। जिसमें छपाई और स्टेशनरी उद्योग, परिधान और जूता उद्योग, धातु और इंजीनियरिंग उद्योग, लकड़ी और फर्नीचर उद्योग तथा चिकित्सा उपकरण और घड़ी उद्योग।
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महानगर- किसी प्रांत या देश का विशाल और घनी आबादी वाला शहर जो प्रायः वहाँ की राजधानी भी होता है। 10 लाख से ऊपर की आबादी का महानगर कहा जाता है।
टेनेमेंट्स- कामचलाऊ और अक्सर बेहिसाब भीड़ वाले अपार्टमेंट मकान। ऐसे मकान बड़े शहरों के गरीब इलाके में अधिक पाए जाते हैं।
लंदन की विकास तेजी से हुई, लेकिन कुछ नाकारात्मक प्रवृतियों की भी वृद्धि हुई जैसे- अपराधों में वृद्धि हुई जिससे सामाजिक नैतिक मूल्यों का पतन हुआ।
1870 के दशक में लंदन में बीस हजार अपराधी रहते थे।
शहरीकरण से घरेलू नौकरों की संख्या में वृद्धि हुई।
शहर में एक ओर रोजगार था। तो दूसरी ओर झोपड़पट्टियाँ थी। जिसमें मजदूर लोग रहते थे। जहाँ स्वास्थ्य और हवा निकलने की कोई सुविधा नहीं थी।
लंदन को हरा-भरा बनाने और भीड़ कम करने के लिए लंदन को योजनानुसार बसाने की कोशिश की गई।
देहात और शहर की दूरी को कम करने के उपाय की गई।
लंदन के वास्तुकार और योजनाकार एवेनेजर हावर्ड थे। जो लंदन को ‘गार्डन सिटी’ (बगिचों का शहर) नाम दिया।
लंदन में आवागमन (परिवहन) के लिए भूमिगत रेलवे का विकास किया गया।
विश्व में सबसे पहली भूमिगत रेल का उद्घाटन 10 जनवरी 1863 ई. को लंदन में किया गया।
1900 ई. के आस-पास लोगों को उपशहरी इलाकों में भी रहने के लिए प्रेरित किया गया।
शहरीकरण ने सामाजिक व्यवस्था को एक नया आकार दिया।
सामाजिक बदलाव और शहरी जीवन
व्यक्तिवाद- वह सिद्धांत जिससे समुदाय की नहीं बल्कि व्यक्ति की स्वतंत्रता और अधिकार को स्वीकार किया जाता है।
सभी वर्ग के लोग बड़े शहरों की ओर बढ़ने लगे।
शहरी सभ्यता ने पुरूषों के साथ महिलाओं में भी व्यक्तिवाद की भावना को उत्पन्न किया।
महिलाओं के मताधिकार आंदोलन या विवाहित महिलाओं के लिए संपत्ति में अधिकार आदि के लिए आंदोलन चलाए गए।
1870 के बाद से महिलाओं ने राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले पाई।
द्वितीय विश्व युद्ध के समय पश्चिमी देशों में महिलाओं ने कारखानों में काम करना प्रारंभ किया।
लैसेज फेयर- आर्थिक उन्मुक्तवाद था जिसमें सरकार का किसी रूप में हस्तक्षेप नहीं था एवं पूँजीपतियों को पूरी स्वतंत्रता थी।
मध्यम वर्ग- शहरों के उद्भव ने मध्यमवर्ग को भी शक्तिशाली बनाया। इस वर्ग में शिक्षक, वकील, चिकित्सक, इंजीनियर, क्लर्क और एकाउंटेंट्स आते थे।
श्रमिक वर्ग
औद्योगीकरण और शहरीकरण ने एक ओर पूँजीपति वर्ग तथा दूसरी ओर श्रमिक वर्ग को जन्म दिया।
शहरों में फैक्ट्री प्रणाली की स्थापना के कारण कृषक वर्ग भी आने लगे। जिससे बेरोजगारी बढ़ी तथा स्वास्थ्य संबंधी नई समस्याओं को जन्म दिया।
श्रमिक वर्ग अपने हितों क सुरक्षा के लिए श्रमिक संघ बनाए। इंगलैंड में 1925 में मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए कानुन बनाए गए। लेकिन इसका ठीक से पालन नहीं हुआ।
जिससे मजदूर आंदोलन तीव्र हुआ।
श्रमिक लोग ट्रेड युनियन बनाकर संगठित करने लगे।
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औपनिवेशिक भारतीय शहर-मुम्बई
भारत में 20वीं शताब्दी के शुरूआत में केवल 11 प्रतिशत लोग शहरों में रहते थे।
बम्बई भारत का एक प्रमुख शहर था।
शुरुआत में बम्बई सात टापुओं का इलाका था। जैसे-जैसे आबादी बढ़ी, इन टापुओं को एक-दूसरे से जोड़ दिया गया ताकि ज्यादा जगह पैदा की जा सके।
बम्बई औपनिवेशिक भारत की वाणिज्यिक राजधानी थी। एक प्रमुख बंदरगाह होने के नाते अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का केन्द्र था जहाँ से कपास और अफीम जैसे कच्चे माल बड़ी तादाद में रवाना किए जाते थे।
शहर के अनियोजित विस्तार के कारण 1850 ई. तक शहर में आवास और जलापूर्ति की समस्या बढ़ चूकी थी।
चॉल- बम्बई की बहुमंजिला इमारत।
1918 में बम्बई के मकानों के महंगे किराए को सीमित करने के लिए किराया कानून पारित किया गया।
भूमि-विकासः दलदली अथवा डूबी हुई जमीन को रहने या खेती करने या किसी अन्य काम के योग्य बनाना।
20वीं शताब्दी के आने तक जिस प्रकार आबादी तेजी से बढ़ी, अधिक से अधिक जमीन को घेर लिया गया और समुद्री जमीन को विकसित किया जाने लगा।
एक सफल भूमि विकास परियोजना बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट के अन्तर्गत शुरु की गई। ट्रस्ट 1914 से 1918 के बीच एक सूखी गोदी का निर्माण किया और उसकी खुदाई से जो मिट्टी निकली उसका इस्तेमाल करके 22 एकड़ का बालार्ड एस्टेट बना डाला।
इसके बाद मशहूर मरीन ड्राइव बनाया गया।
बम्बई में आने वाले अप्रवासियों और उनके दैनिक जीवन में कठिनाई जिसका सामना आम आदमी को करना पड़ता है।
निष्कर्षतः शहर के अन्तर्विरोध के बावजूद शहर ऐसे लोगों को हमें आकर्षित करती है जो स्वतंत्रता और नए अवसर की तलाश करते हैं। जिससे उन शहरों को सामाजिक और आर्थिक गतिशीलता मिलती है।
सिंगापुर शहर का विकास :
सिंगापुर एक सुनियोजित शहर है। 1965 तक सिंगापुर एक बन्दरगाह था। यहाँ अंग्रजों का शासन था।
यहाँ के ज्यादातर लोग भीड़ भरी गंदे मकानों और गंदगी में जीते थे।
1965 में पीपुल्स एक्शन पार्टी के अध्यक्ष ली कुआन येव के नेतृत्व में सिंगापुर को आजादी मिली। उसने एक विशाल आवास एवं विकास कार्यक्रम शुरू किया। सरकार के द्वारा 86 प्रतिशत जनता को अच्छे मकान दिए गए।
ऊंची आवासीय खंडों में हवा निकासी और सभी प्रकार की सेवाओं का इंतजाम किया गया। बाहरी गलियारों के कारण अपराध कम हुए।
भारतीय, चीनी और मलय समुदाओं के बीच टकराव को रोकने के लिए सामाजिक संबंधों पर भी लागातार सचेत रहने के उपाय किए गए।
पेरिस शहर का पुनर्निमाण बेरॉन हॉसमान थे। जिसने इस शहर को पुरी दुनिया में आकर्षक बनाया।
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पाटलिपुत्र (पटना)
प्राचीनकाल में पाटलीपुत्र के नाम से विख्यात पटना एक महानगर था जिसकी तुलना विश्व के समकालीन सुप्रसिद्ध नगरों से की जाती थी।
इसकी स्थापना 6ठी शताब्दी ई.पू. में मगध के शासक अजातशत्रु के द्वारा एक सैनिक शिविर के रूप में की गई थी। बाद में यह मगध साम्राज्य की राजधानी बना।
इस नगर की आबादी उस समय चार लाख थी।
गुप्त काल में भी इस नगर का वैभव बना रहा। इसके विशाल भवनों के वैभव और सौन्दर्य की चर्चा चीनी यात्री फाहियान द्वारा गई है।
मध्य युग में इस नगर के गौरव को सुप्रसिद्ध अफगान शासक शेरशाह सूरी ने पुनर्स्थापित किया। उसने 1541 ई. के लगभग गंगा और गंडक नदी के संगम के पास एक दूर्ग बनवाया क्योंकि उस स्थान के सैनिक महत्व को उसे आभास था।
अकबर के शासनकाल तक यह नगर एक प्रमुख व्यापारिक केन्द्र बन चुका था।
1666 ई. में सिखों के दसवें और अन्तिम गुरु श्री गोविन्द सिंह जी का जन्म हुआ जिस कारण यह नगर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी माना जाता है।
18वीं शताब्दी के प्रारंभ में मुगल राजकुमार अजीमुशान ने इस नगर का नव निर्माण कराया और इसे अजीमाबाद नाम दिया।
1911 ई. के दिल्ली दरबार में बिहार को पृथक राज्य का रूप दिया गया।
1912 ई. में बिहार एवं उड़िसा को बंगाल से पृथक राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ।
वर्तमान पटना की आबादी 12 लाख से अधिक है और इसका क्षेत्र 250 वर्ग किमी है।
कोलकाता के बाद यह पूर्वी भारत का सबसे बड़ा नगर है और आबादी के घनत्व के दृष्टिकोण से यह भारत का 14वाँ सर्वाधिक आबादी वाला नगर है। वर्तमान में यह शिक्षा और व्यापार का महत्वपूर्ण केन्द्र है।
शहरीकरण की प्रक्रिया लंबी रही है।
Shahrikaran or Shahri Jivan
लघु उत्तरीय प्रश्न
- किन तीन प्रक्रियाओं के द्वारा आधुनिक शहरों की स्थापना निर्णायक रूप से हुई ?
उत्तर :- तीन ऐतिहासिक प्रक्रियाओं ने आधुनिक शहर की स्थापना में निर्णायक भूमिका निभाई। पहला औद्योगिक पूँजीवादी का उदय, दूसरे विश्व के विशाल भू-भाग पर उपनिवेश शासक की स्थापना और तीसरा लोकतांत्रिक आदर्श का विकास।
- समाज का वर्गीकरण ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में किस भिन्नता के आधार पर किया जाता है?
उत्तर :- समाज का वर्गीकरण ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र के आधार पर किया जाता है। गाँव की आबादी कम होती है। नगर की ज्यादा, गाँव में खेती और पशुपालन मुख्य आजीविका है, शहर में व्यापार और उत्पादन होता है। गाँव में प्राकृतिक वातावरण स्वच्छ जबकि शहर में प्रदूषित होती है। शहर में शिक्षा की व्यवस्था होती है।
- आर्थिक तथा प्रशासनिक संदर्भ में ग्रामीण का नगरीय बनावट के दो प्रमुख आधार क्या है ?
उत्तर :- आर्थिक तथा प्रशासनिक संदर्भ में ग्रामीण तथा नगरीय बनावट के दो आधार हैं। जनसंख्या का घनत्व तथा कृषि आधारित आर्थिक क्रियाओं का अनुपात। नगरों में जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है। गाँव की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि संबंधित व्यवसाय से जुड़ा है।
- गाँव के कृषिजन्य आर्थिक क्रियाकलापों की विशेषता को दर्शाए।
उत्तर :- शहरों तथा नगरों में गाँव की कृषिजन्य क्रियाकलापों में एक बड़े भाग के आधार पर भी अलग किया जाता है। दूसरे शब्दों में गाँव की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि व्यवसाय से जुड़ा है।
- शहर किस प्रकार की क्रियाओं के केंद्र होते हैं?
उत्तर :- शहर व्यापार और संबंधित क्रियाओं से जुड़े होते हैं। यहाँ शिक्षा, यातायात, स्वास्थ्य व रोजगार की बेहतर संभावनाएँ होती है। जिसके कारण लोग गाँव से शहर की ओर जाते हैं। आधुनिक काल से पूर्व व्यापार एवं धर्म, शहरों की स्थापना के महत्वपूर्ण आधार थे।
- नगरीय जीवन और आधुनिकता एक दूसरे से अभिन्न रूप से कैसे जुड़े हुए हैं?
उत्तर :- नगरीय जीवन और आधुनिकता एक दूसरे के पूरक है। और शहर को आधुनिकता का प्रतीक माना जाता हैं। जहाँ नित्य प्रति नई-नई तकनीक व विचार होता है। नगरीय जीवन और आधुनिकता एक दूसरे से अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं।
Shahrikaran or Shahri Jivan
- नगरों में विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग अल्पसंख्यक है ? ऐसी मान्यता क्यों बनी है?
उत्तर :- नगर एक ओर मनुष्य का केंद्र तथा दूसरी ओर सामाजिक और आर्थिक विशेषाधिकार प्राप्त थे। उन्हें सापेक्षिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं थी। शहर का जीवन विरोधी छवि और अनुभवों को दे रहा था।
- नागरिक अधिकारों के प्रति एक नई चेतना किस प्रकार के आंदोलन या प्रयास से बने?
उत्तर :- शहरी सभ्यता ने पुरुषों के साथ महिलाओं में भी भावनाओं को उत्पन्न किया। एवं परिवार के स्वरूप को पूरी तरह बदल दिया। महिलाओं के मताधिकार आंदोलन या विवाहित महिलाओं के लिए आंदोलन चलाए। लगभग 1870 ईसवी के बाद राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लिया। समाज में महिलाओं में भी परिवर्तन आए। आधुनिक महिलाओं ने समानता के लिए संघर्ष किया और समाज को कई रूपों में परिवर्तित करने से सहायता दी।
- व्यवसाई पूंजीवाद ने किस प्रकार नगरों के उद्भव में अपना योगदान दिया?
उत्तर :- व्यवसायिक पूँजीवादी के बड़े पैमाने पर उत्पादन, मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था था। जिसमें काम के बदले वेतन, मजदूर का नगद भुगतान, गतिशील एवं प्रतियोगी अर्थव्यवस्था, मुनाफा कमाने की प्रवृति, मुद्रा, बैंकिंग, साखा बिल विनिमय, अनुबंध कंपनी, साझेदारी, आदि पूँजीवादी व्यवस्था रही। नगरों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया
- शाहरों के उद्भव में मध्यम वर्ग की भूमिका किस प्रकार की रही?
उत्तर :- शहरों के उद्भव में मध्यम वर्ग की भूमिका महत्वपूर्ण रहा। बुद्धिजीवी वर्ग के रूप में स्वीकार किया। इसका विभिन्न रूप है। जैसे शिक्षक, वकील, चिकित्सक, इंजीनियर, क्लर्क, अकाउंटेंट्स, उनके जीवन आदर्श समान रहे। आर्थिक स्थिति भी एक पर वेतनभोगी वर्ग के रूप में है।
- श्रमिक वर्ग का आगमन शहरों में किस परिस्थितियों के अंतर्गत हुआ?
उत्तर :- आधुनिक शहरों में एक ओर पूँजीपति वर्ग का उदय हुआ। तो दूसरी ओर श्रमिक वर्ग का सामंती व्यवस्था के अनुरूप विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग के द्वारा सर्वहारा वर्ग का शोषण हुआ। शहर में फैक्ट्री प्रणाली की स्थापना के कारण कृषक वर्ग बेरोजगार हो गए थे। शहरों की ओर बेहतर रोजगार को देखते हुए भारी संख्या में शहरों में श्रमिक वर्ग का दबाव काफी बढ़ गया।
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- शहरों ने किन नई समस्याओं को जन्म दिया?
उत्तर :- शहरों में श्रमिकों की संख्या अधिक थी। शहरों ने एक नई समस्याओं को जन्म दिया। जैसे- बेरोजगारी, उदासीनता, प्रदूषण, यातायात संबंधी समस्या आदि शहरों में नकारात्मक प्रवृत्ति को जन्म दिया है। जो संतुलित सामाजिक व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
- शहरों के विकास की पृष्ठभूमि एवं उसके प्रक्रिया पर प्रकाश डालें।
उत्तर :- शहर व्यक्ति को प्रदान करता है। आधुनिक काल से पूर्व व्यापार एवं धर्म शहरों की स्थापना के महत्वपूर्ण आधार थे। वह क्षेत्र जो बंदरगाहों के किनारे बसे थे जो धार्मिक स्थल के रूप में भारी संख्या को आकर्षित करते थे।
गाँव से शहरों का विकास एक प्रक्रिया है। मध्यकालीन सामंती सामाजिक एवं मध्यकालीन जीवन मूल्य तेरहवीं शताब्दी तक अपने शिखर पर थे। एक नई सामाजिक एवं राजनीतिक संरचना विकसित हुए। नवीन राजनीतिक एवं आर्थिक अवधारणाओं को स्वीकार करती थी। आधुनिक शहरों के उदय का इतिहास लगभग 200 वर्ष पुराना है तीन ऐतिहासिक प्रक्रिया है।
(i) औद्योगिक पूंजीवाद का उदय।
(ii) विश्व के विशाल भू-भाग पर औपनिवेशिक शासन की स्थापना
(iii) लोकतांत्रिक आदर्शों का विकास।
Shahrikaran or Shahri Jivan
- ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच की भिन्नता को स्पष्ट करें।
उत्तर :- गाँव और शहर के बीच काफी भिन्नता है। गाँव की आबादी कम होती है, नगर की ज्यादा। गाँव में खेती और पशुपालन मुख्य आजीविका है, शहर में व्यापार और उत्पादन। गाँव में प्राकृतिक वातावरण स्वच्छ है, शहर में प्रदूषित है। ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, संचार का अभाव रहता है। शहरी व्यक्ति को संतुष्ट करने के लिए गाँव में छोटे-छोटे मिट्टी तथा ईंट के बने घर होते हैं। ग्रामीण जीवन में जहाँ सादगी देखने को मिलती है। वहीं अगर यह जीवन में ज्यादा चमक-दमक व भाग-दौड़ देखने को मिलता है।
- शहरी जीवन में किस प्रकार के सामाजिक बदलाव आए ?
उत्तर :- शहरों में नए सामाजिक समूह बने। सभी वर्ग के लोग बड़े शहरों की ओर बढ़ने लगे। शहरी सभ्यता ने पुरुषों के साथ महिलाओं में भी व्यक्तिवाद भी की भावना को उत्पन्न किया। परिवार में भी स्वरूप को पूरी तरह बदल दिया। जहाँ परिवारिक संबंध अब तक बहुत मजबूत है। महिलाओं के मताधिकार आंदोलन चला। आंदोलन के माध्यम से महिलाएं लगभग 1827 ई.के बाद से राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले पाई। आधुनिक काल में महिलाओं ने समानता के साथ संघर्ष किया।
शहरों की बढ़ती आबादी के साथ 19वीं शताब्दी में अधिकार आंदोलन चलाया गया। बड़े पैमाने पर उत्पादन, काम के बदले वेतन, मजदूरी, मुद्रा, बैंकिंग, साख बिल का विनिमय, बीमा, आदि इस पूँजीवादी व्यवस्था की विशेषता थी।
- शहरीकरण की प्रक्रिया में व्यवसायिक वर्ग, मध्यम वर्ग एवं मजदूर वर्ग की भूमिका की चर्चा करें।
उत्तर :- शहरीकरण की प्रक्रिया में व्यवसायिक वर्ग, मध्यमवर्ग और मजदूर वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका रही। बड़े पैमाने पर उत्पादन, मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था, स्वतंत्र उद्यम, बैंकिंग आदि शहरीकरण की प्रक्रिया की ओर अधिक तीव्र कर दिया।
मध्यम वर्ग :- शहरों के उद्भव ने मध्यम वर्गो को भी शक्तिशाली बनाया। बुद्धिजीवी वर्ग के रूप में स्वीकार किया। यह विभिन्न रूप में कार्यरत रहे जैसे:- शिक्षक, वकील, चिकित्सक, इंजीनियर, क्लर्क आदि के जीवन मूल्य के आर्दश समान है।
श्रमिक वर्ग :- आधुनिक शहरों में जहां एक और पूँजीपति वर्ग का अभ्युदय हुआ। दूसरी और श्रमिकों और वर्ग का ये अपना जीवन स्लम में बिताए। धीरे-धीरे उन वर्गों में जागरूकता आई। और मजदूरों और कामों को घंटों के लिए आंदोलन शुरू हुआ, और शक्ति के रूप में अर्थव्यवस्था व शहरीकरण में योगदान दिया।
- एक औपनिवेशिक शहर के रूप में मुंबई शहर के विकास की समीक्षा करें।
उत्तर :- 19वीं शताब्दी के अंत तक मुंबई का विस्तार तृप्ता से हुआ। शुरुआत में मुंबई सात टापुओं का इलाका था। जैसे-जैसे आबादी बढ़ी इन टापू को एक दूसरे से जोड़ दिया गया। ताकि ज्यादा जगह हो सके मुंबई औपनिवेशक भारत की वाणिज्यिक राजधानी थी। एक प्रमुख बंदरगाह होने के नाते जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार का केंद्र था जहां से कपास और अफीम जैसे कच्चे माल बड़ी तादात में खाना के लिए जाते थे। व्यापार के कारण सिर्फ व्यापारियों और महाजन बल्कि कारीगर एवं दुकानदार भी मुंबई से बसे से कपड़ा मिले खुलने पर और अधिक संख्या में लोग किस शहर की ओर आने लगे।
मुंबई एक घनी आबादी वाला शहर है मुंबई का प्रति व्यक्ति क्षेत्रफल 9.5 वर्ग गज था। 1872 ईसवी में यहां प्रति मकान में 20 व्यक्ति रहते थे। मुंबई का विकास सुनियोजित रूप से नहीं हो सका। बल्कि 1800 ई. के आसपास मुंबई फोर्ट शहर का केंद्र था और दो हिस्सों में बटा हुआ था। एक हिस्सा में नेटिव आते थे और दूसरा हिस्सा में यूरोपीय या गोरे रहते थे।
Shahrikaran or Shahri Jivan
शहर के अनियोजित विस्तार के कारण 1850 ईसवी तक शहर में आवास तथा मुंबई की 70% लोग घनी आबादी वाले चॉलों में रहते थे। 1898 ईस्वी में सिटी ऑफ मुंबई इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की स्थापना की गई। 1918 में मुंबई के मकानों में महंगे किराया कानून पारित किया गया। दिशा में सबसे पहली परियोजना 1784 में शुरू की गई थी।
ट्रस्ट ने 1914 ईस्वी से 1918 ईस्वी के बीच एक सूखी गोदी का निर्माण किया और उसकी खुदाई से जो मिट्टी निकली उसका इस्तेमाल करके 22 एकड़ का बालार्ड स्टेट बनाया।
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