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पियूषम् भाग 2 द्रुतपाठाय पाठ 20 समयप्रज्ञा (समय की पहचान) | Samay Pragya Class 10 Sanskrit in Hindi

August 25, 2023 by Leave a Comment

Samay Pragya Class 10 Sanskrit in Hindi

20. समयप्रज्ञा
(समय की पहचान)

कश्चन गामः आसीत् । तत्र कश्चन युवकः आसीत् । तस्य नाम दुर्गादासः । सः बुद्धिमान् ।

एकदा सर्वे ग्रामीणाः रात्री निद्रायां मानाः आसन् । तदा कृतश्चित् ‘चोरः चोरः’ इति आक्रोशध्वनिः श्रुतः । सर्वेऽपि ग्रामीणा: तत् श्रुत्वा त्वरया उत्थाय लवित्रं, दण्डः-इत्यादीनि आयुधानि स्वीकृत्य यतः ध्वनिः श्रुतः तत्र समायाताः।।

तत्र दुर्गादासं दृष्ट्वा सर्वे-“चोरः कुब अस्ति ? “इति पृष्ठवन्तः । दुर्गादासः समीपे स्थितं न्यग्रोध-वृक्षं दर्शितवान् । सर्वे न्यग्रोवृक्ष परितः तथा स्थितवन्तः यथा चोरः कुत्रापि घावितुं न शक्नुयात्।।

चन्द्रस्य प्रकाशे कोऽपि चोरः न दृष्टः । किन्तु तत्र वृक्षमूले कश्चन व्याघ्रः आसीत् । सः लंघनं कृत्वा तत: धावितुम् उद्युक्तः आसीत् । तदा एव तेषु जनेषु अन्यतमः, “केभ्यश्चित् दिनेभ्यः पूर्वम् अन्धकारे एकः जनः अनेन एव मारितः । अपरः प्रण्धिातः कृतः । एषः अवश्यं मारणीयः” इति उक्तवान्।

अनुक्षणमेव जनाः तुदपरि पाषाणखण्डान् क्षिप्तवन्तः । सः व्याघ्रः वृक्षमूलतः कर्दनम् अकरोत् । सर्वे मिलित्वा लवित्रैः दण्डैश्च ताडयित्वा तं व्याघ्र मारितवन्तः ।

अनन्तरं जनाः दुर्गादासं दृष्ट्वा-“किं भोः ! नरमांसभक्षकः व्याघ्रः आगतः । भवान् तु ‘चौरः चोरः’ इति किमर्थम् आक्रोशं कृतवान् ?” इति पृष्टवन्तः।।

दुर्गादासः मन्दहासपूर्वकं— “यदा अहं ‘चोरः चोरः’ इति आक्रोशं कृतवान् तदा भवन्तः सर्वे आयुधैः सह गृहात् बहिः आगतवन्तः । पर यदि अहं ‘व्याघ्रः व्याघ्रः’ इति आक्रोशम् अकरिष्यं तर्हि किं भवन्तः सर्वे आगमिष्यन् ? गृहद्वारणि सम्यक कीलयित्वा अन्तः एव अस्थास्यान् । अतः एव अहं ‘चोरः चोरः’ इति अक्रुष्टवान्” इतिज उक्तवान् ।

सर्वे जनाः दुर्गादासस्य समयप्रज्ञा प्लाधितवन्तः ॥

Samay Pragya Class 10 Sanskrit in Hindi

अर्थ : कोई गाँव था। वहाँ एक युवक था। उसका नाम दुर्गा दास था । वह बुद्धिमान था।

एक दिन सभी ग्रामीण रात में निद्रा में मग्न थे। तब कहीं से चोर-चोर की आवाज सुनाई पड़ी। सभी ग्रामवासी उसको सुनकर शीघ्रता से उठकर लम्बे-लम्बे डण्डे इत्यादि हथियार लेकर जिधर की आवाज सुने थे वहाँ आ गये।।

वहाँ दुर्गादास को देखकर सबों ने कहा-चोर कहाँ है ? ऐसा पूछा । दुर्गादास निकट के बरगद वृक्ष को दिखाया । सभी बरगद पेड़ के चारों ओर इस प्रकार से खड़े हो गये जिससे चोर की भी भाग नहीं सकता था।

चन्द्रमा के प्रकाश में कोई चोर नहीं दिखाई पड़ा। किन्तु उस पेड़ की जड़ में कोई बाघ था। वह उठकर भागने के लिए तैयार था। तभी उसमें से एक व्यक्ति ने कहा- कुछ दिन पहले अन्धकार में एक आदमी को इसी ने मार दिया। दूसरे को घायल कर दिया। इसको अवश्य मारना चाहिए। उसी समय लोगों ने उसके ऊपर पत्थर के टुकड़े फेंकने लगे । वह बाघ पेड़ की जड में कुदने लगा । सबों ने मिलकर भाले और डण्डे से पीटकर उस बाघ को मार दिया। इसके बाद लोगों ने दुर्गादास को देखकर पूछा— क्यों! नर मांसभक्षी बाघ आया लेकिन तुमने चोर-चोर करके क्यों हल्ला किया?

दुर्गादास धीरे से मुस्कुराते हुए बोला— जब मैं चोर-चोर कहकर हल्ला किया तब आप लोग सभी हथियार के साथ घर से बाहर आये । लेकिन यदि मैं बाघ-बाघ कहकर हल्ला करता तो क्या आप लोग आते ? घर के दरवाजे को सही ढंग से बंद कर भीतर ही रह जाते । इसीलिए मैंने चोर-चोर कहकर हल्ला किया।

सभी लोगों ने दुर्गादास की समय पर बुद्धि के प्रयोग की प्रशंसा की।

अभ्यास प्रश्न:

1. के व्याघ्रं मारितवन्तः?
उत्तरम्-ग्रामीणजना; व्याघ्रं मारितवन्तः ।

प्रश्न: 2. समयप्रज्ञा पाठेन का शिक्षा प्राप्यते।
उत्तर—अनेन पाटेन शिक्षा प्राप्यते यत् समये बुद्धिमता प्रदर्शने कार्यसिद्धिः भवति ।

प्रश्न: 3. क: “चोरः चोरः” इति आक्रोशं कृतवान् ?
उत्तरम्– दुर्गादास: चार: चारः इति आक्रोशं कृतवान् ।

Samay Pragya Class 10 Sanskrit in Hindi

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