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BSEB Class 9 Hindi पद्य Chapter 9. रूको बच्‍चों | Ruko Bacho Class 9th Hindi Solutions

October 29, 2023 by Leave a Comment

Bihar Board Class 9 Hindi रूको बच्‍चों (Ruko Bacho Class 9th Hindi Solutions) Text Book Questions and Answers

9. रूको बच्‍चों

कवि : राजेश जोशी

रुको बच्चो रुको
सड़क पार करने से पहले रुको
तेज रफ्तार से जाती इन गाड़ियों को गुजर जाने दो
वो जो सर्रसे जाती सफेद कार में गया
उस अफसर को कहीं पहुँचने की कोई जल्दी नहीं है
वो बारह या कभी कभी तो इसके भी बाद पहुंचता है अपने विभाग में
दिन महीने और कभी कभी तो बरसों लग जाते हैं
उसकी टेबिल पर रखी जरूरी फाइल को खिसकने में

अर्थ— कवि बच्चों को चेतावनी भरे शब्दों में कहता है कि सड़क पार करने से पहले रुक जाएँ । तेज गति से जा रही गाड़ियों को गुजर जाने दें। कवि अफसर की कार्यप्रणालीपर चोट करते हुए बच्चों से कहता है कि अभी जो सफेद रंग की कार गुजरी है, वह किसी अफसर की गाड़ी थी। वह गैर जवाबदेह अधिकारी है। वह न तो समय पर कार्यालय जाता है और न ही अपने दायित्व का निर्वाह निष्ठापूर्वक करता है। ऐसे अफसर के विभाग में महत्त्वपूर्ण फाइलें वर्षों धूल चाटती रहती हैं।

व्याख्या— प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि राजेश जोशी द्वारा रचित कविता ‘रुको बच्चो’ शीर्षक पाठ से ली गई हैं। इसमें कवि ने देश के बच्चों को भ्रष्ट शासन-व्यवस्था की ओर ध्यान आकृष्ट किया है।

कवि का कहना है कि हमारी शासन-व्यवस्था दूषित हो गई है। इसके अधिकारी गैरजिम्मेदार, भ्रष्ट तथा हृदयहीन हैं। वे सारे नियम-कानूनों को रौंदकर आगे निकलने की जल्दी में रहते हैं, इसलिए उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं देता।, कवि बच्चों को सलाह देता है कि उन्हें हमेशा इनसे बचकर रहना चाहिए, अन्यथा उनका भविष्य बिगड़ जाएगा, क्योंकि ये अफसर इतने भ्रष्ट हैं कि ये न तो समय का पालन करते हैं और न ही अपने विभागीय दायित्व का निर्वाह करते हैं। फलतः लोग इनसे तबाह रहते हैं।

रुको बच्चो !
उस न्यायाधीश की कार को निकल जाने दो
कौन पूछ सकता है उससे कि तुम जो चलते हो इतनी तेज कार में
कितने मुकदमे लंबित हैं तुम्हारी अदालत में कितने साल से
कहने को कहा जाता है कि न्याय में देरी न्याय की अवहेलना है।
लेकिन नारा लगाने या सेमीनारों में
बोलने के लिए होते हैं ऐसे वाक्य
कई बार तो पेशी दर पेशी चक्कर पर चक्कर काटते
ऊपर की अदालत तक पहुँच जाता है आदमी
और नहीं हो पाता है इनकी अदालत का फैसला

अर्थ-कवि बच्चों को न्यायाधीश के कार्य-कलाप पर प्रश्न-चिह्न लगाते हुए कहता है कि ये न्यायकर्ता हैं। ये इतने जिम्मेदार हैं कि इनकी अदालत में मुकदमा फैसला की प्रतीक्षा में वर्षों स्थगित रहते हैं तथा जनता की हाजिरी चलती रहती है। इसलिए गैर जवाबदेह कर्मनिष्ठा के कारण इनकी गाड़ी निकल जाने दो, ताकि किसी संगोष्ठी में अपने विचारों का नारा लगा सकें। अतः कवि इनकी कड़ी आलोचना करते हुए बच्चों को सावधान करता है कि ये न्यायाधीश इतने कर्मठ, जवाबदेह तथा ईमानदार हैं कि मुकदमा दायर करने वाले गुजर जाते हैं लेकिन उनके मुकदमा का फैसला नहीं हो पाता।

व्याख्या—प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि राजेश जोशी द्वारा लिखित कविता ‘रुको बच्चो’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है। इसमें कवि ने देश की न्यायपालिका की अव्यवस्था और खामियों पर प्रकाश डाला है।

कवि बच्चों को न्यायाधीश की कार्य-प्रणाली पर प्रश्न-चिह्न लगाते हुए कहते हैं कि ये न्यायमूर्ति हैं। इनकी गाड़ी गुजरे तो रुक जाओ, क्योंकि इनके अन्याय केविरुद्ध कोई आवाज नहीं उठा सकता। वे तो स्वयं न्याय के रक्षक हैं। इनकी अदालत में मुकदमा का फैसला दायरकर्ता के मरणोपरान्त भी नहीं हो पाता। तात्पर्य कि त्रुटिपूर्ण न्याय-व्यवस्था के कारण अदालत में मुकदमे लंबित रहते हैं। मुकदमा के फैसले में विलंब के कारण न्यायपालिका पर विश्वास नहीं रह गया है। न्याय में देरी न्याय की अवहेलना है, यह भाषण के लिए है। सच्चाई तो यह है कि भ्रष्टाचार के कारण न्यायपालिका इसलिए बच्चों को इनकी गतिविधियों पर पैनी दृष्टि रखनी चाहिए।

रुको बच्चो, सड़क पार करने से पहले रुको
उस पुलिस अफसर की बात तो बिलकुल मत करो
वो पैदल चले या कार में
तेज चाल से चलना उसके प्रशिक्षण का हिस्सा है
यह और बात है कि जहाँ घटना घटती है
वहाँ पहुँचता है वो सबसे बाद में

अर्थ-कवि बच्चों को पुलिस विभाग की खामियों की ओर ध्यान आकृष्ट करता हुआ कहता है कि पुलिस इतनी भ्रष्ट है कि वह किसी घटना के बाद ही घटनास्थल परपहुँचती है चाहे वह पैदल चले अथवा कार से। असामाजिक तत्वों को पुलिस के साथ : सांठ-गांठ रहती हैं । इसलिए इनके संबंध में कुछ भी सोचना व्यर्थ है। तात्पर्य यह है कि पुलिस-विभाग के भ्रष्टाचार के कारण ही चोरी-डकैती आदि होती है।

आशय या भाव– प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि राजेश जोशी द्वारा विरचित कविता “रुको बच्चो’ शीर्षक पाठ से ली गई हैं। इसमें कवि ने पुलिस-विभाग में फैले भ्रष्टाचारसे बच्चों को अवगत कराया है। कवि का कहना है कि भ्रष्ट पुलिस तंत्र के कारण ही देश में असामाजिक तत्वों का वर्चस्व है। पुलिस की कर्तव्यहीनता, स्वार्थ तथा चरित्रहीनता के कारण जनता असुरक्षा महसूस करती है। यह पैसे के हाथों बिकी होती है, इसीलिए किसी घटना के घटित होने के बाद ही घटनास्थल पर पहुँचती है। तात्पर्य कि पुलिस इनअसामाजिक तत्वों को सुरक्षा प्रदान कर अपनी जेब भरती है। अतएव बच्चों को ऐसे भ्रष्टतंत्र से बचकर रहना चाहिए । भाषा खड़ी बोली तथा प्रतीकार्थक है।

रुको बच्चो रुको
साइरन बजाती इस गाड़ी के पीछे पीछे
बहुत तेज गति से आ रही होगी किसी मंत्री की कार
नहीं नहीं उसे कहीं पहुँचने की कोई जल्दी नहीं
उसे तो अपनी तोंद के साथ कुर्सी से उठने में लग जाते हैं कई मिनिट
उसकी गाड़ी तो एक भय में भागी जाती है इतनी तेज
सुरक्षा को एक अंधी रफ्तार की दरकार है
रुको बच्चो
इन्हें गुजर जाने दो |
इन्हें जल्दी जाना है
क्योंकि इन्हें कहीं नहीं पहुँचना है ।

अर्थ— कवि बच्चों को राजनेताओं के भ्रष्ट आचरण की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहता है कि जब ये कहीं चलते हैं तो इनके आगे पुलिस की गाड़ी होती है जो साइरन बजाती हुई तेज गति से गुजरती है। इन्हें कहीं पहुँचने की कोई जल्दी नहीं होती, बल्कि जनता का हक डकारने के कारण सदा भयभीत रहते हैं। इसीलिए पुलिस-गाड़ी के पीछे तेज गति से भागती इनकी गाड़ी नजर आती है। इसी कारण कवि बच्चों को रूक जाने को कहता है, ताकि देश के भविष्य ये बच्चे अंधी रफ्तार से दब-कुचल न जाएँ अर्थात् ये बच्चे भी दूषित आचरण के न हो जाएँ, इसलिए कवि इन्हें अंधी-दौड़ का हिस्सा न बनने की सलाह देता है।

व्याख्या—प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि राजेश जोशी द्वारा लिखितं कविता ‘रुको बच्चो’ शीर्षक पाठ से ली गई है। इनमें कवि ने राजेनताओं अर्थात् मंत्रियों के भ्रष्ट आचरण पर कड़ी चोट की है।

कवि का कहना है कि देश के भाग्यविधाता कहलाने वाले नेता भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं। इन्हें जनता की नहीं बल्कि अपनी कुर्सी की चिंता रहती है। इन्हें जनता की दीन-दशा पर तरस नहीं आती। ये स्वार्थी, भ्रष्ट तथा सत्ता-लोभी हैं। ये जनता को धर्म, जाति तथा वर्ग के नाम पर बाँटकर सत्ता पर काबिज रहते हैं तथा निरीह जनता का हक डकारकर स्वर्गिक आनंद प्राप्त करते हैं। इनका शासन बंदूक की नोंक पर चलता है। इसलिए कवि ऐसे स्वच्छ समाज का निर्माण करना चाहता है, जहाँ न्याय, करूणा तथा ईमानदारी की गंगा प्रवाहित हो । सभी स्वच्छ वातावरण में साँस लें। भय तथा आतंक का नामोनिशान नहीं रहे । इसीलिए कवि देश के बच्चों को आगे आने के लिए प्रेरित करता है तथा शासन-व्यवस्था की अंधी-दौड़ का हिस्सा न बनने की सलाह देता है।

अभ्यास के प्रश्न और उनके उत्तर

कविता के साथ :

प्रश्न 1. कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है, उसे व्यक्त कीजिए ।
उत्तर – कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से मेरे मन- मस्तिष्क में यही चित्र उभरता है कि कवि बच्चों को यह संदेश देना चाहता है कि आज मानव विवेकहीन, हृदयहीन तथा निष्ठुर हो गया है जिस कारण उसकी मानवता मर चुकी है। वह अपने स्वार्थ के कारण न्याय-अन्याय, उचित-अनुचित, मानव-दानव आदि में भेद करना भूल गया है। अर्थात् आज अंधी दौड़ है, इसलिए बच्चों को सड़क पार करने से पहले यह देख लेना आवश्यक है कि सड़क पार करते समय किसी खतरे की आशंका तो नहीं है। कवि के कहने का भाव यह है कि जीवन-मार्ग पर बढ़ने से पहले उस मार्ग की खूबी – खामियों पर भी सोच-विचार कर लेना आवश्यक है।

प्रश्न 2. ‘उस अफसर को कहीं पहुँचने की कोई जल्दी नहीं है। वो बारह या कभी-कभी तो इसके भी बाद पहुँचता है अपने विभाग में’ – कवि यह कहकर व्यवस्था की किन खामियों को बताना चाहता है ?
उत्तर – प्रस्तुत कथन द्वारा कवि व्यवस्था की मनमानी, कर्त्तव्यहीनता, भ्रष्टाचार तथा तानाशाही प्रवृत्ति को बताना चाहता है । कवि का कहना है कि आज अधिकारियों का नैतिक पतन हो गया है। वे भ्रष्ट साधन द्वारा धन कमाने के लिए फाइलों का निष्पादन नहीं करते। तात्पर्य कि सरकारी विभाग घूसखोरी का अड्डा बना हुआ है, जिस कारण कोई भी फाइल बिना पैसे की आगे नहीं बढ़ पाती । फलत: निरीह जनता इन घूसखोर अधिकारियों के भ्रष्टाचार की चक्की में पीस रही है । निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि सारी व्यवस्था भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है ।

प्रश्न 3. न्याय व्यवस्था पर कवि द्वारा की गई टिप्पणी पर आपकी प्रतिक्रिया क्या हैं? लिखें ।
उत्तर— न्याय व्यवस्था पर कवि द्वारा की गई टिप्पणी संही है, क्योंकि आज न्याय पैसे पर मिलता है । जिनके पास पैसे हैं, वे न्याय को खरीद लेते हैं । फलतः निर्दोष जेल की सजा पाते हैं तथा दोषी निर्भीकतापूर्वक विचरण करते हैं। इतना ही नहीं, किसी मुकदमा का फ़ैसला कब होगा यह कहना असंभव है । लोग हाजिरी देते-देते उस लोक में हाजिरी देने चले जाते हैं । तात्पर्य कि आज फैसले में देरी तो होती ही है । साथ ही, न्याय भी पैसे का मुँह जोहता रहता है । अतः न्याय पालिका भी भ्रष्टाचार का अड्डा है।

प्रश्न 4. तेज चाल से चलना किसके प्रशिक्षण का हिस्सा है और क्यों ?
उत्तर—तेज चाल से चलना अंधी दौड़ का हिस्सा है। इसका कारण है कि आज हर कोई एक-दूसरे से आगे निकलने के लिए बेचैन है। ऊपर से नीचे तक सभी भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। उन्हें अपने दायित्व से कोई लेना-देना नहीं है । उन्हें कार्य संपादन की जल्दी नहीं बल्कि ये सब कुछ रौंद कर अर्थात् सारे नियम-कायदों, ईमानदारी तथा कर्मनिष्ठा की दीवाल लाँघकर अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए आगे निकलने की जल्दी में है ।

प्रश्न 5. मंत्री की कार के आगे-आगे साइरन क्यों बजाया जाता है?
उत्तर—मंत्री की कार के आगे-आगे साइरन बजाकर यह सूचित किया जाता है कि सत्ता जल्दी में है। हटे रहो । उसे व्यवधान मत डालो। कवि के कहने का तात्पर्य है कि आज मंत्रियों का आचरण इतना भ्रष्ट हो गया है कि उन्हें जनता से भय लगने लगा उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस उनके आगे आगे लोगों को मार्ग से हटने की सूचना देती चलती है। कवि लोगों का ध्यान आज के मंत्रियों को अपने भ्रष्ट आचरण के कारण अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस की सहायता लेनी पड़ती है, जबकि वे जनता द्वारा ही चुने जाते हैं । अतः व्यवस्था की इस अंधी दौड़ में मंत्री भी सब कुछ रौंदकर आगे निकलने के लिए बेचैन हैं ।

प्रश्न 6. व्याख्या करें

(क) सुरक्षा को एक अंधी-रफ्तार की दरकार है।‘
व्याख्या- प्रस्तुत पंक्ति राजेश जोशी द्वारा लिखित कविता ‘रुको बच्चो’ शीर्षक से ली गई है। इसमें कवि ने शासन व्यवस्था की कुव्यवस्था पर प्रकाश डाला है।

कवि का मानना है कि शासन की कुव्यवस्था के कारण भ्रष्टाचारियों को सुरक्षा प्रदान की जाती है । अर्थात् दोषपूर्ण शासन सत्ता के कारण सारी सरकारी व्यवस्थाएँ लूट-खसोट का अड्डा बन गई हैं। पुलिस भ्रष्टाचारियों की सुरक्षा से पुलिस भी सुरक्षित तथा लाभान्वित होती हैं। इसलिए सुरक्षा की अंधी रफ्तार की अपेक्षा है ताकि उनका भी विकास हो सके

(ख) ‘कई बार तो पेशीदरपेशी का चक्कर पर चक्कर काटते / ऊपर की अदालत तक पहुँच जाता है आदमी।
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्तियाँ राजेश जोशी द्वारा विरचित कविता ‘रुको बच्चो’ शीर्षक से ली गई हैं। इनमें कवि ने न्यायपालिका की अव्यवस्था पर प्रकाश डाला है।

कवि का कहना है कि न्यायमूर्ति की उदासीनता के कारण न्याय पाना मुश्किल हो गया है। अदालत में मुकदमे की फाइलें वर्षों पड़ी रह जाती है। लोग अदालत में हाजिरी देते-देते उस लोक में हाजिरी देने चले जाते हैं फिर भी फैसला नहीं हो पाता । कवि के कहने का तात्पर्य है कि भ्रष्टाचार तथा विलंब के कारण न्याय पैसे पर बिकने लगा है न्यायपालिका की ईमानदारी पर प्रश्नचिह्न लग गया है। फैसला उनके पक्ष में होता जिनके पास पैसे होते हैं। गरीब तथा सज्जन निर्दोष होते हुए भी भ्रष्ट न्याय-व्यवस्था के कारण दोषी ठहराये जाते हैं ।

प्रश्न 7. ‘लेकिन नारा लगाने या सेमिनार में बोलने के लिए होते हैं ऐसे वाक्य’ कौन-से वाक्य ? उदाहरण देकर बतलाइए ।
उत्तर- ऐसे वाक्य हैं— ‘न्याय में देरी न्याय की अवहेलना है ।

प्रश्न 8. घटनास्थल पर बाद में कौन पहुँचता है और क्यों ?
उत्तर—घटनास्थल पर बाद में पुलिस अफसर पहुँचता है । इसका कारण यह है कि पुलिस अफसर अपनी दायित्वहीनता के कारण ऐसा करते हैं अथवा उनकी मिलीभगत से कोई घटना घटती है । इसलिए दोषी के जाने के बाद घटनास्थल पर वे पहुँचते हैं। ऐसा करने से उनकी जेब आसानी से भर जाती है ।

प्रश्न 9. तेज रफ्तार से जानेवालों पर कवि की क्या टिप्पणी है ?
उत्तर – तेज रफ्तार से जानेवालों पर कवि की टिप्पणी है कि इनकी जल्दी दायित्व निर्वाह के लिए नहीं होती है बल्कि सारे नियम-कानूनों को रौंदकर भ्रष्ट साधन द्वारा धनार्जन के लिए जल्दी होती है ।

प्रश्न 10. कविता में बच्चों को किस बात की सीख दी गई है और क्यों ?
उत्तर—कविता में बच्चों को इस बात की सीख दी गई है कि सड़क पार करने से पहले रुककर आश्वस्त हो जायँ कि अभी सड़क पार करने में कोई खतरा नहीं है। कवि ने बच्चों को बताया है कि आज लोगों का नैतिक पतन हो गया है। इस नैतिकहीनता के कारण उनका विवेक मर गया है। फलतः वे अधी-दौड़ के हिस्सा बन गए हैं। इसलिए कवि देश के भविष्य बच्चों को शासन-व्यवस्था की खामियों को उजागर करते हुए इस अंधी दौड़ का हिस्सा न बनने को सलाह दी है तथा अपने विवेक से जीवनं मार्ग पर आगे बढ़ने की सलाह दी है ताकि देश में स्वच्छ समाज का निर्माण हो सके ।

नोट : कविता के आस-पास के प्रश्नों के उत्तर छात्र स्वयं तैयार करें ।

भाषा की बात ( व्याकरण संबंधी प्रश्न एवं उत्तर ) :

प्रश्न 1. उद्गम की दृष्टि से शब्द-भेद पहचानिए :
सड़क, रफ़्तार, कार, अफसर, बारह, न्यायाधीश, खिसकता, फाइल, नारा, अवहेलना

उत्तर :
तत्सम्         तद्भव         देशज                विदेशज
न्यायाधीश     सड़क         खिसकता           रफ्तार
बारहं            नारा             कार
अवहेलना                                                अफसर
फाइल

प्रश्न 2. वाक्य प्रयोग द्वारा लिंग-निर्णय करें :
न्याय, अदालत, घटना, गाड़ी, भय, सुरक्षा

उत्तर: न्याय—आपने मेरे साथ न्याय नहीं किया ।
अदालत—कल अदालत बंद थी ।
गाड़ी – गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई ।
भय – मुझे किसी का भय नहीं होता ।
सुरक्षा – नेताजी की सुरक्षा बढ़ा दी गई है ।

प्रश्न 3. कारक चिह्न स्पष्ट करें ।
(क) बहुत तेज गति से आ रही होगी किसी मंत्री की कार ।
(ख) वो पैदल चले या कार में |

(ग) नहीं नहीं उसे पहुँचने की कोई जल्दी नहीं ।
(घ) तेज चाल से चलना उसके प्रशिक्षण का हिस्सा है।
(ङ) कहने को कहा जाता है कि न्याय में देरी न्याय की अवहेलना है।

उत्तर : (क) ‘से’ अपादान कारक । ‘की’ संबंध कारक ।
(ख) ‘मे’ अधिकारण कारक ।
(ग) ‘की’ संबंध कारक ।
(घ) ‘से’ करण कारक । ‘का’ संबंध कारक ।
(ङ) ‘को’ सम्प्रदान कारक। ‘में’ अधिकरण कारक । ‘की’ संबंध कारक ।

प्रश्न 4. पदक्रम व्यवस्थित करें:
(क) सड़क करने से रुको पहले पार ।
(ख) निकल न्यायाधीश उस की जाने कार को दो ।
(ग) तेज मंत्री की गति बहुत से आ रही होगी कार ।
(घ) रफ्तार एक को अंधी की दरकार है सुरक्षा ।
(ङ) नहीं है अफसर कोई कहीं जल्दी की पहुँचने उस को ।

उत्तर : (क) सड़क पार करने से पहले रुको।
(ख) उस न्यायाधीश की गाड़ी को निकल जाने दो।
(ग) बहुत तेज गति से आ रही होगी किसी मंत्री की कार ।
(घ) सुरक्षा को एक अंधी रफ्तार की दरकार है।
(ङ) उस अफसर को कहीं पहुँचने की कोई जल्दी नहीं है ।

प्रश्न 5. संबंध बताएँ :
(क) रफ्तार                      टेबल
(ख) विभाग                     गाड़ी
(ग) फाइल                      अफसर
(घ) मुकदमा                    तेज
(ङ) गति                         अदालत

उत्तर : (क) रफ्तार            गाड़ी
(ख) विभाग                     अफसर
(ग) फाइल                      टेबल
(घ) मुकदमा                    अदालत
(ङ) गति                         तेज

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