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कक्षा 10 अर्थशास्‍त्र पाठ 2 राज्य एवं राष्ट्र की आय | Rajya ewam rashtra ki aay

January 10, 2023 by Leave a Comment

दिया गया पाठ का नोट्स और हल SCERT बिहार पाठ्यक्रम पर पूर्ण रूप से आधारित है। इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 अर्थशास्‍त्र के पाठ दो ‘राज्य एवं राष्ट्र की आय (Rajya ewam rashtra ki aay Notes and Solutions)’ के नोट्स और प्रश्‍न-उतर को पढ़ेंगे।

Rajya ewam rashtra ki aay

2. राज्य एवं राष्ट्र की आय

आयः-समाज का हर व्यक्ति अपने परिश्रम के द्वारा जो अर्जित करता है, वह अर्जित संपत्ति उसकी आय मानी जाती है। व्यक्ति को प्राप्त होनेवाला आय मौद्रिक के रूप मेंअथवा वस्तुओं के रूप में भी हो सकता है।

अर्थात,

जब कोई व्यक्ति किसी प्रकार का शारीरीक अथवा मानसिक कार्य करता है और उस कार्यों के बदले में जो पारिश्रमिक मिलता है, उसे उस व्यक्ति की आय कहते हैं।

बिहार की आयः- सामान्यतः हम यह जानते हैं कि गरीबी गरीबी को जन्म देता है। इसी कथन को प्रसि़द्ध अर्थशास्त्री रैगनर नक्स ने गरीबी के कुचक्र के रूप में व्यक्त किया है।

भारत के सभी 28 राज्यों एवं 8केन्द्र शासित प्रदेशों में सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय चडीगढ़ का है। गोवा में प्रति व्यक्ति आय 54,850 रूपये तथा दिल्ली में यह 50,565 रूपये बताई गई है और तीसरे स्थान पर इस बार हरियाणा ने पंजाब को पीछे छोड़ दिया है।

राष्ट्रीय आयः- राष्ट्रीय आय का मतलब किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मूल्य से लगाया जाता है। वर्ष भर में किसी देश में अर्जित आय की कुल मात्रा को राष्ट्रीय आय कहा जाता हैं।

राष्ट्रीय आय की धारणा को हम निम्नलिखित आयामों के द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं।

राष्ट्रय आय की धारणा-

  1. सकल घरेलू उत्पाद
  2. कुल या सकल राष्ट्रीय उत्पादन
  3. शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन
  4. सकल घरेलू उत्पादः- एक देश की सीमा के अन्दर किसी भी दी गई समयावधि, प्रायः एक वर्ष में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का कूल बाजार या मौद्रिक मूल्य, उस देश का सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है।
  5. कुल या सकल राष्ट्रीय उत्पादनः- किसी देश में एक साल के अर्न्तगत जितनी वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन होता है उनके मौद्रिक मूल्य को कुल राष्ट्रीय उत्पादन कहते हैं। कुल राष्ट्रीय उत्पादन तथा सकल घरंलू उत्पादन में अंतर हैं। कुल राष्ट्रीय उत्पादन का पता लगाने के लिए सकल घरेलू उत्पादन में देशवासियों द्वारा विदेशों में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मुल्य को जोड़ दिया जाता है तथा विदेशियों द्वारा देश में उत्पादित वस्तुओं के मूल्य को घटा दिया जाता है।
  6. शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादनः- कुल राष्ट्रीय उत्पादन को प्राप्त करने के लिए हमें कुछ खर्चा करना पड़ता है। अतः कुल राष्ट्रीय उत्पादन में से इन खर्चों को घटा देने से जो शेष बचता है वह शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन कहलाता हैं। कुल राष्ट्रीय उत्पादन में सें कच्चा माल की कीमत पूँजी की घिसावट एवं मरम्मत पर किए गए व्यय, कर एवं बीमा का व्यय घटा देने से जो बचता है उसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन कहते हैं।

भारत का राष्ट्रीय आय-ऐतिहासिक परिवेश

सबसे पहले भारत में 1868 ई0 में दादा भाई नौरोजी ने राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाया था। उस समय वे प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय 20 रूपया बताया था।

1948-49 के लिए देश की कुल राष्ट्रीय आय 8,650 करोड़ थी तथा प्रति व्यक्ति आय 246.9 रुपया थी।

1954 में राष्ट्रीय आंकड़ों का संकलन करने के लिए सरकार ने केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन की स्थापना की। यह संस्था नियमित रूप से राष्ट्रीय आय के आँकड़े प्रकाशित करती है।

Rajya ewam rashtra ki aay

प्रति-व्यक्ति आय

राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है उसे प्रति-व्यक्ति आय कहते हैं।

प्रतिव्यक्ति आय त्र;राष्‍ट्रीय आयद्धध्;कुल जनसंख्‍या द्ध

भारत का राष्ट्रीय आय काफी कम है तथा प्रति-व्यक्ति आय का स्तर भी बहुत नीचा है। विश्व विकास रिपोर्टके अनुसार वर्ष 2007 में भारत की प्रति-व्यक्ति आय 950 डॉलर था। भारत की प्रति-व्यक्ति आय अमेरिका के प्रति-व्यक्ति आय का लगभग 1/48 है।

अमेरिका का प्रतिव्यक्ति आय 46,040 डॉलर है।

इंगलैंड का प्रतिव्यक्ति आय 42,740 डॉलर है।

बंग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय 870 डॉलर है।

राष्ट्रीय आय की गणना में कठिनाइयाँ

  1. आँकड़े को एकत्र करने में कठिनाई
  2. दोहरी गणना की सम्भावना
  3. मूल्य मापने में कठिनाई

विकास में राष्ट्रीय एवं प्रति-व्यक्ति आय का योगदान

किसी भी राष्ट्र की सम्पन्नता अथवा विपन्नता वहाँ के लोगों की प्रति-व्यक्ति आय या संयुक्त रूप से सभी व्यक्तियों के आय के योग जिसे राष्ट्रीय आय कहते हैं के माध्यम से जाना जाता है। राष्ट्रीय आय और प्र्रति-व्यक्ति आय ही राष्ट्र के आर्थिक विकास का सही मापदंड है। बिना उत्पाद को बढ़ाए लोगों की आय में वृद्धि नहीं हो सकती है और न ही आर्थिक विकास हो सकता है।

राष्ट्रीय आय एवं प्रति-व्यक्ति आय में परिवर्तन होने से इसका प्रभाव लोगों के जीवन-स्तर पर पड़ता है।

जिस अनुपात में राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है, यदि उसी अनुपात में यदि जनसंख्या में वृद्धि हो रही हो तो समाज का आर्थिक विकास नहीं बढ़ सकता है।

            यदि राष्ट्रीय आय एवं प्रति-व्यक्ति आय में वृद्धि होती है तो समाज के आर्थिक विकास में भी वृद्धि होगी तथा राष्ट्रीय आय एवं प्रति-व्यक्ति आय में कमी होने से समाज के आर्थिक विकास में भी कमी होगी।

  1. राज्‍य एवं राष्‍ट्र की आय

लघु उतरीय प्रश्न

  1. आय से आप क्या समझतें है?

उत्तर-जब कोई व्यक्ति किसी प्रकार का शारीरिक अथवा मानसिक कार्य करता है और उस कार्यों के बदले में जो पारिश्रमिक मिलता है, उसे उस व्यक्ति की आय कहते हैं।

  1. सकल घरेलु उत्पाद से आप क्या समझते हैं?

उत्तर-एक देश की सीमा के अन्दर किसी भी दी गई समयावधिप्रायः एक वर्ष में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का कुल बाजार या मौद्रिक मुल्य, उस देश का सकल घरेलु उत्पाद कहा जाता है।

Rajya ewam rashtra ki aay

  1. प्रति-व्यक्ति आय क्या हैं?

उत्तर-राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है उसे प्रति व्यक्ति आय कहते हैं।

प्रति व्यक्ति आय=राष्ट्रीय आय /देश की कुल जनसंख्या

  1. भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की गणना कब और किनके द्वारा की गई थी?

उत्तर-भारत में सबसे पहले सन् 1868 ई.में दादा भाई नौरोजी ने राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाया था। प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 20 रूपए बताया।

  1. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना किस संस्था के द्वारा होती हैं?

उत्तर-भारत में राष्ट्रीय आय की गणना केन्द्रीय साख्यिकी संगठन के द्वारा होती है।

  1. राष्ट्रीय आय की गणना में होनेवाली कठिनाइयों का वर्णन करें?

उत्तर-राष्ट्रीय आय की गणना में होनेवाली कठिनाईयाँ निम्नलिखित हैं।

(i) आकड़ों को एकत्र करने में कठिनाई

(ii) दोहरी गणना की सम्भावना

(iii) मुल्य के मापने में कठिनाई

  1. आय का गरीबी के साथ संबंध स्थापित करें?

उत्तर-सामान्यतः हम यह जानते हैं कि गरीबी गरीबी को जन्म देती है। इसी कथन को प्रसिद्ध अर्थशास्त्री रैगनर नर्क्स ने गरीबी के कुचक्र के रूप में व्यक्त किया है।

Rajya ewam rashtra ki aay

दीर्घ उतरीय प्रश्न

  1. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत सरकार ने कब और किस उद्देश्य से राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया?

उत्तर-सन् 1948-49 के लिए देश की कुल राष्ट्रीय आय 8650 करोड़ रूपए बताई गई तथा प्रति व्यक्ति आय 246. 9 रूपए बताई गई। सन् 1954 के बाद राष्ट्रीय आय के आँकड़ों का संकलन करने के लिए सरकार ने केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन की स्थापना की। यह संस्था नियमित रूप से राष्ट्रीय आय के आँकड़ें प्रकाशित करती हैं।

  1. राष्ट्रीय आय की परिभाषा दें। इसकी गणना की प्रमुख विधि कौन-कौन सी है?

उत्तर-राष्ट्रीय आय के मतलब किसी देश में एक वर्ष मे उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मूल्य से लगाया जाता है। वर्ष भर में किसी देश में अर्जित आय की कुल मात्रा को राष्ट्रीय आय कहलाता है।

राष्ट्रीय आयकी गणना-राष्ट्रीय आय की गणना निम्न विधि से की जाती है।

(i) उत्पादन विधि- राष्ट्र के व्यक्तियों की आय उत्पादन के माध्यम से होता है। इसलिए उसकी गणना यह उत्पादन के योग के द्वारा किया है तो उसे उत्पादन गणना विधि कहते हैं।

(ii) आय विधि-जब राष्ट्रों के व्यक्तियों के आय के आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती हैं तो उस गणना विधी को आय गणना विधि कहते हैं।

(iii) व्यय विधि-प्राप्त की गई राष्ट्रीय आय की गणना लोगों के व्यय के माप से किया जाता हैं। राष्ट्रीय आय की मापने की इस प्रक्रिया को व्यय गणना विधि कहते हैं।

  1. प्रति-व्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय में अंतर स्पष्ट करें?

उत्तर-प्रति व्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय में निम्नलिखित अंतर है।

प्रति व्यक्ति आय-राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है उसे प्रति व्यक्ति आय कहते है इसका आकलन निम्न प्रकार से की जाती है।

प्रति व्यक्ति आय- राष्ट्रीय आय/देश की कुल जनसंख्या

राष्ट्रीय आय-राष्ट्रीय आय का मतलब किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मुल्य से लगाया जाता हैं वर्ष भर में किसी देश में अर्जित आय की कुल मात्रा को राष्ट्रीय आय कहते हैं।

4.राष्ट्रीय आय ने वृद्धि भारतीय विकास के लिए किस तरह से लाभप्रद हैं, वर्णन करें।

उत्तर-किसी भी राष्ट्र के लोगों की आय के माध्यम से जाना है राष्ट्र के विकास की सीमा क्षेत्र के अंदर रहने वाले लोगों की उत्पादकता आय को बढ़ाने के माध्यम से की जाती है। वर्तमान युग में प्रत्येक देश अपने-अपने तरीके से विकास की योजना बनाती हैं जिससे लोगों की आय में वृद्धि होती है आर्थिक विकास करने के लिए वस्तुओं का आय अधिक होने पर आर्थिक विकास की स्थिति पर कर सकते है।

5.विकास में प्रति-व्यक्ति आय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें?

उत्तर-राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है उसे प्रति व्यक्ति आय कहते हैं।

भारत की राष्ट्रीय आय काफी कम है तथा प्रति-व्यक्ति आय का स्तर भी बहुत नीचा है। विश्व विकास रिर्पोट के अनुसार वर्ष 2007 में भारत की प्रति-व्यक्ति आय 950 डॉलर था भारत की प्रति-व्यक्ति आय अमेरिका के प्रति व्यक्ति आय का लगभग 1/48 है।

अमेरिका का प्रति व्यक्ति आय = 44040 डॉलर

इंगलैड का प्रति व्यक्ति आय = 42740 डॉलर

चीन का प्रति व्यक्ति आय = 2360 डॉलर

बंग्लादेश का प्रति व्यक्ति आय =870 डॉलर

Rajya ewam rashtra ki aay

6.क्या प्रति-व्यक्ति आय में वृद्धि राष्ट्रीय आय को प्रभावित करती है वर्णन करें?

उत्तर-हाँ प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि राष्ट्रीय आय को प्रभावित करती है। राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में परिवर्तन होने से इसका प्रभाव लोगो के जीवन स्तर पर पड़ता है। राष्ट्रीय आय वास्तव में प्रति व्यक्ति आययो का योग है। प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होने से रोजगार उत्पादन व विकास को बढ़ावा मिलता है। यदि राष्ट्रीय आय के सूचकांक में वृद्धि होती है तो लोगो के आर्थिक विकास में वृद्धि होगी।

निष्कर्षत-यदि प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है तो समाज के आर्थिक विकास में भी वृद्धि होती है तथा प्रति व्यक्ति आय में कमी होने से समाज के आर्थिक विकास में कमी होती है।

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Filed Under: Class 10th

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