22. प्रियं भारतम्
(प्रिय भारत)
राजतां मे मनसि नः प्रियं. भारतम् ।
द्योतितं तत्स्वरूपं लसतु शाश्वतम् ।
मेखला विन्ध्यगोदावरी-जाह्नवी
मस्तकं हिमगिरिः सागरो नूपुरम् ॥
राजतां मे …
शिविदधीचिप्रभृतिभिस्तथा सेवितम्
चन्द्रशेखर-भगतसिंह-विस्मिल प्रियम् ।
गान्धिना यत् प्रदत्तं स्वकं जीवनम्
प्राणसर्वस्वदानैः कृतार्थीकृतम् ॥
राजतां मे ….
स्वप्नदर्शि-प्रजातन्त्र-सम्पोषकम्
विश्वनेतृप्रियं नेहरुपण्डितम्।
शास्त्रि राजेन्द्र-अब्दुलहमीदादिकम्
पुत्रजातं च लब्ध्वातिदर्यान्वितम् ॥
राजतां मे … सै
न्यदाक्ष्यञ्च विज्ञानप्रौद्योगिकीम्
विस्तृतां कर्तुमग्रेसरं यत् सदा।
राष्ट्रचिन्तापरं श्रमपरं चानिशं
हर्षितं वीक्ष्य मोदान्वितम्।
राजतां मे …
Priyam Bharatam Class 10 Sanskrit in Hindi
अर्थ- हमारा प्रिय भारत मेरे मन को अच्छा लगता है। भारत का स्वरूप सदैव चमकता रहे। जिसका मेखला विन्ध्य पर्वत, गोदावरी और गंगा जैसी पवित्र नदी हो। जिसका मस्तक हिमालय और जिसका घुघरू सागर हो। वह भारत मेरे मन को सदेव आनन्द देता रहे।
जो शिवि तथा दधीचि जैसे दानियों से सेवित रही है जो चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, विस्मिल जैसे लोगों के लिए प्रिय रहा है। जिसके लिए गाँधीजी ने अपना जीवन प्रदान कर दिया तथा प्राण सहित सर्वस्व दान कर के जिन्होंने अपने जीवन को कृतार्थ किया वह प्रिय भारत हमारे मन में सदैव आनन्द देता रहे।
स्वप्नदर्शी प्रजातंत्र के सम्पोषक विश्व के नेताओं के प्रिय पंडित नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, राजेन्द्र प्रसाद, अब्दुल हमीद आदि महापुरुषों ने जन्म लेकर भारत को गौरवान्वित किया । वह प्रिय भारत मेरे मन में सदैव आनन्द देता रहे।
सैन्य दक्षता और विज्ञान प्रौद्योगिक क्षेत्र में विस्तार करने में अग्रणी जो सदैव रहा है। जहाँ के लोग श्रेष्ट राष्ट्र का चिन्तन करते हैं तथा जहाँ के लोग दिन-रात अपने श्रेष्ठ कर्म पर आरूढ़ रहकर हर्षित और खुशी दिखाई पड़ते हैं वह भारत मेरे मन में सदैव आनन्द देता रहे।
अभ्यास प्रश्न:
1. भारत का विद्यां विस्तृतां कर्तुम अग्रेसरं वर्तते।
उत्तरम्- भारतं सैन्य दक्षतां विज्ञान-प्रौद्योगिकम् च क्षेत्रे विस्तृतां कर्तुम् अग्रेसरं वर्तते ।
प्रश्न: 2. महात्मा गाँधी किं कृत्वा स्वजीवनं कृतर्थी कृतवान्?
उत्तरम्– महात्मा गाँधी महोदयः सप्राण सर्वस्वं दानं कृत्वा स्वजीवनं कृतार्थी कृतवान् ।
प्रश्न: 3. भारतस्य मेखलाः के सन्ति ?
उत्तरम् – भारतस्य मेखला: विन्ध्यपर्वतः गोदावरी गंगा च आदयः नद्यः सन्ति ।
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