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कक्षा 10 भूगोल पाठ 1 प्राकृतिक आपदाः एक परिचय | Prakirtik aapda ek parichay Notes and Solutions

December 30, 2022 by Leave a Comment

दिया गया पाठ का नोट्स और हल SCERT बिहार पाठ्यक्रम पर पूर्ण रूप से आधारित है। इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 भूगोल के खण्‍ड (ख) के पाठ एक ‘प्राकृतिक आपदाः एक परिचय (Prakirtik aapda ek parichay Notes and Solutions)’ के नोट्स और प्रश्‍न-उतर को पढ़ेंगे।

Prakirtik aapda ek parichay

खण्ड (ख)
1.प्राकृतिक आपदाः एक परिचय

आपदा : ऐसी घटना जो आकस्मिक घटित होती है, उसे आपदा कहते हैं। जैसे- भूकंप, सुनामी, बाढ़, साम्प्रदायिक दंगे, आतंकवाद आदि।

आपदा दो प्रकार के होते हैं-

  1. प्राकृतिक आपदा : प्राकृतिक कारणों से होने वाले आपदा को प्राकृतिक आपदा कहते हैं। जैसे- भूकंप, सुनामी, बाढ़, सूखाड़ आदि।
  2. मानवजनित आपदा : मानवीय कारणों से होने वाले आपदा को मानवजनित आपदा कहते हैं। जैसे- साम्प्रदायिक दंगे, आतंकवाद, अगलगी आदि।

प्राकृतिक आपदाओं में बाढ़, सूखाड़, भूकंप और सूनामी हैं, जो अत्यंत ही विनाशकारी होते हैं। इसके अलावा चक्रवात, ओलावृष्टि, हिमस्खलन, भूस्खलन जैसी घटनाएँ भी प्राकृतिक आपदा है।

पृथ्वी पर जब कभी कोई कंपन होती है तो भूकंप कहलाता है अर्थात दूसरे शब्दों में भूमि के कंपन को भूकंप कहते हैं। इसका मापन रिक्टर स्केल के द्वारा होता है।

सुनामी : जब समुद्र के तली में भूकम्प होता है, तो जल कई मीटर ऊँचाई तक उछाल लेकर तटीय क्षेत्र में तबाही मचाते हैं। जिसे सुनामी कहते हैं।

सूखाड़ : जब औसत वार्षिक वर्षा की मात्रा में 25 प्रतिशत से अधिक की कमी आती है तो उसे सूखाड़ कहते हैं। सामान्य तौर पर 50 सेमी से कम वर्षा वाले क्षेत्रों को प्रतिवर्ष सूखाड़ की स्थिति उत्पन्न होती है।

2008 में बिहार के कोशी नदी से भयंकर बाढ़ आया था, जिससे काफी जान-माल की क्षति हुई थी। कोशी नदी बिहार में हमेंशा बाढ़ से तबाही मचाती है, इसलिए कोशी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है।

जम्मु-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड भू-स्खलन और मृदा-स्खलन से सर्वाधिक ग्रसित राज्य है। पर्वतीय क्षेत्रों में चट्टानों के टूटने से भू-स्खलन होती है। हिम-स्खलन अत्यंत ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों में घटती है।

1934 में बिहार में भूकंप आया था। बिहार के कई भागों में जमीन फट गई थी। सैकड़ों लोग मौत के शिकार हो गए थे। हजारों लोग बेघर हो गए थे।

भूकंप और सुनामी भारत के लिए बड़ी चुनौती है। भूकंप निरोधी भवनों के निर्माण से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

26 दिसम्बर, 2004 को भारत के पूर्वी तट और अंडमान निकोबार पर भंयकर सुनामी आया था, जिसमें लाखों लोग मर गए। हजारों लोग लापता हो गए तथा काफी जान-माल की क्षति हुई थी। सबसे अधिक इंडोनेशिया देश की इससे क्षति हुई थी।

किसी भी आपदा के पूर्वानुमान अथवा पूर्व जानकारी से विनाश को कम किया जा सकता है। इसका पाठ के अध्ययन का मूल उद्देश्य यही है।

Prakirtik aapda ek parichay

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.  आपदा से आप क्या समझते है?

उत्तर- ऐसी घटना जो आकस्मिक घटित होती है उसे आपदा कहते है। जैसे-भूकंप, सुनामी, बाढ़, साम्प्रदायिक दगेख् आंतकवाद आदि।

प्रश्न 2.  आपदा कितने प्रकार के होते हैं।

उत्तर- आपदा दो प्रकार के होते है।

(1.) प्राकृतिक आपदा

(2.) मानवजनित आपदा

(1.) प्राकृतिक आपदा- प्राकृतिक कारणों से होने वाले आपदा को प्राकृतिक आपदा कहते है। जैसे-भूकंप, सुनामी, बाढ़, सुखाड़ आदि।

(2.) मानवजनित आपदा- मानवीय कारण से होने वाले आपदा को मानवजनित आपदा कहते है। जैसे-साम्प्रदायिक दगे, आंतकवाद अगलगी आदि।

प्रश्न 3.  आपदा प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है?

उत्तर- आपदा प्रबंधन की आवश्यकता आपदा के पूर्व एवं पश्चात होने वाली क्षति को कम करने या बचने से है। प्राकृतिक आपदा या मानवनिर्मित आपदा इत्यादि के घटित होने से अधिक मात्रा में जैविक एवं अजैविक संसाधनो का नुकशान होता हैं। इसी संदर्भ में लोगों को विशेष प्रतिक्षण देकर इसके प्रभाव को कम करना आपदा प्रबंधन कहलाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रशन

प्रश्‍न 1.  प्राकृतिक आपदा एवं मानव जनित आपदा में अंतर सही उदाहरणो के साथ प्रस्‍तुत कीजिए।

उत्तर- प्राकृतिक आपदा एवं मानव जनित आपदा में निम्‍न अंतर हैा

(1) प्राकृतिक आपदा- प्राकृतिक कारणो से होने वाले आपदा को प्राकृतिक आपदा कहते है जैसे-भूकंप सुनामी, बाढ़ सुखाड़ आदि

(2) मानवजनित आपदा- मानवीय कारणो से होने वाले आपदा को मानवजतिन आपदा कहते है जैसे-साम्‍प्रदायिक दगे, आतंकवाद, अगलगी आदि

Prakirtik aapda ek parichay

प्रश्‍न 2.  आपदा प्रबंधन की संकल्‍पना को स्‍पष्‍ट करते हुए आपदा प्रबंधन की आवश्यकता अनिवार्यता का वर्णन कीजिए

उत्तर- आपदा के पूर्व या पश्‍चात् होने वाली क्षति को कम करने या आशिंक नियंत्रण, आपदा प्रबंध कहलाता हैा आपदा के विकास का कई कार्य में कई व्‍यवधान भी उत्‍पन्‍न होते हैा इसके लिए आपदा प्रबंधन की आवश्‍यकता पड़ती है जो निम्‍न कारण हैा

(1) आपदा के समय घटनाओ के प्रभाव को कम करना
(2) आपदा के दौरान मानवो एवं संसाधनो की रक्षा करने का प्रयास किया।
(3) आपदा जैसी घटनाओ का युवा वर्ग में प्रतिशक्षण दिया जाना ।
(4) आमलोगो का आपदा जैसी घटनाओ के प्रति जनगारूक करना ।

2. प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन बाढ़ और सुखाड

बाढ़ और सुखाड़ ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसका संबंध वर्षा से है।

बाढ़- जब मॉनसूनी वर्षा अधिक होती है, और नदियों के जलस्तर में उफान आ जाता है, तो ऐसी स्थिति को बाढ़ कहते हैं।

सुखाड़- जब वर्षा ऋतु में आसमान से बादल गायब हो जाता है, तेज धूप निकल आती है, -षक खेत में काम नहीं कर पाते हैं और पीने की पानी की भी किल्लत हो जाती है, तो ऐसी स्थिति को सुखाड़ कहते हैं।

मॉनसून की अनिश्चितता के कारण भारत के किसी न किसी भाग में प्रतिवर्ष बाढ़ आते हैं। बाढ़ लाने के लिए कुछ नदीयाँ बदनाम हो चूकी है। जैसे, बिहार में कोसी नदी, पश्चिम बंगाल में दामोदर और तिस्ता नदी, असम में बह्मपुत्र, आंध्र प्रदेश में कृष्णा और गुजरात में नर्मदा नदी समय-समय पर कहर ला चूकी है।

बांग्लादेश : बाढ़ का देश

यहाँ प्रतिवर्ष बाढ़ आते हैं और हजारों लोग इसकी चपेट में आते हैं। यहाँ के लोग मकानों का गिरना, महामारी फैलना और फसलों की बर्बादी से आदि हो चूके हैं।बाढ़ बर्बादी के अलावा लाभ भी देता है। यह मिट्टी को खनिज ह्यूमस और प्राकृतिक उर्वरक प्रदान करता है, जिससे यहाँ की मिट्टी विश्व की उपजाऊ मिट्टी में से एक है। यह दुनिया के सबसे घने देशों में से एक है। बाढ़ के जल उत्तरते ही किसान खुशी के गीत गाते है। बाढ़ की भूमि फसलों से लहलहा उठते हैं।

बाढ़ प्रबंधन : बाँध और तटबंध का निर्माण :

बाढ़ के विनाशलीला को रोकने के लिए बाँध और तटबंध का निर्माण किया जाता है।

बाढ़ रोकने के वैकल्पिक प्रबंधन

तटबंध टिकाउ प्रबंध नहीं है। इनके टूटने से और अधिक भयावह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। बाढ़ के लिए टिकाउ प्रबंध के लिए निम्नलिखित प्रयास करना चाहिए।

  1. ऐसे भवनों का निर्माण करना चाहिए जिसकी लागत कम हो।
  2. लोगों को मकान बनाने से पहले यह जानकारी देना चाहिए कि मकानों का निर्माण नदी के तट पर न हो।
  3. मकानों की नींव तथा दीवार सीमेंट और कंक्रीट की होनी चाहिए।
  4. स्तंभ आधारित मकान होनी चाहिए तथा स्तंभ की गहाई अधिक होनी चाहिए।

पूर्व सूचना का प्रबंधन :

  1. बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों में लोगों को तैरने का प्रशिक्षण देना चाहिए।
  2. बाढ़ से महामारी फैल जाती है। इसलिए इससे बचने के लिए डी. डी.  टी.  का छिड़काव, ब्लींचिंग पाउडर का छिड़काव और मृत जानवरों को शीघ्र हटाने की व्यवस्था होनी चाहिए।
  3. बाढ़ में एक दूसरे की मदद बिना किसी भेद-भाव के करना चाहिए।

बाढ़ एक ऐसी आपदा है, जिसे पूर्ण रूप से रोकना असंभव है। इसलिए बाढ़ की विभीषिका में भी हँस-खेल कर जीने की कला विकसित करना है। यही इसका सबसे बड़ा प्रबंधन है।

सुखाड़ और इसका प्रबंधन :

वर्षा की भारी कमी के कारण सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न होती है। सुखाड़ से तीन बड़ी समस्या होती है-1.  फसल न लगने से खाद्यान्न में कमी, 2.  पेयजल की कमी, 3.  मवेशीयों के लिए चारे की कमी। Prakirtik aapda ek parichay

भारत में सुखाड़ के क्षेत्र :

भारत सरकार ने 77 जिलों की पहचान की है, जहाँ सुखाड सुखाड़ की संभावना प्रतिवर्ष रहती है। ये जिले मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, मघ्य-प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में स्थित है।

सुखाड़ प्रबंधन :

सुखाड़ से प्रबंधन के लिए दो प्रकार की योजनाऐं आवश्यक है- दीर्घकालीन और लघुकालीन योजनाऐं

दीर्घकालीन योजना के अंतर्गत- नहर, तालाब, कुआँ के विकास की जरूरत है। पंजाब और हरियाणा में नहरों का जाल बिछाकर सुखाड़ की समस्या का समाधान किया गया है।

लघुकालीन योजना के अंतर्गत- बोरिंग और टयूववेल के माध्यम से सुखाड़ के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

भूमिगत जल क्या है ?

भूमि के अंदर स्थित जल को भूमिगत जल कहते हैं। कुँए और बोरिंग के माध्यम से तथा ऊर्जा चालित मशीनों की मदद से इस जल के दोहन में लगातार वृद्धि हो रही है।

इससे भूमिगत जल में गिरावट के साथ पारिस्थैतिक असंतुलन की समस्या उत्पन्न होने लगी है।

ड्रिप सिंचाई एवं छिड़काव सिंचाई के माध्यम से भूमिगत जल का उपयोग पारिस्थितिकी के अनुसार किया जा सकता है।

भूमिगत जल स्तर बढ़ाने के लिए वर्षा जल संग्रहण तथा वाटर शेड मैनेजमेंट एवं घास और वन लगाने जैसी कई योजना बनाई गयी है।

वर्षा जल संग्रहण :

वर्षा के जल को संग्रह करना ही वर्षा जल संग्रहण कहलाता है।

मकान के छत से वर्षा के जल को पाइप के द्वारा किसी टंकी में संग्रहित किया जाता है और फिर नल द्वारा मकान के लोग इसे पीते हैं। वर्षा के पानी से गार्डेन, बगीचे की सिंचाई भी संभव होती है। भारत के कई राज्यों में इसका संग्रह कुंड या तालाब बनाकर किया जाता है।

वर्षा जल संग्रहण से भूमिगत जल स्तर में बढ़ोतरी होती है तथा मवेशीयों और पौधों को भी जल मिलता है। Prakirtik aapda ek parichay

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Filed Under: Class 10th

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Comments

  1. Saurav Kumar says

    September 22, 2023 at 8:20 pm

    Very nice ????????

    Reply

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