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BSEB Class 9 Hindi पद्य Chapter 10. निम्‍मो की मौत | Nimmo Ki Maut Class 9th Hindi Solutions

October 30, 2023 by Leave a Comment

Bihar Board Class 9 Hindi निम्‍मो की मौत (Nimmo Ki Maut Class 9th Hindi Solutions) Text Book Questions and Answers

10. निम्‍मो की मौत

कवि : विजय कुमार

वह भीगी हुई चिड़िया की तरह
फुरफुराती थी
हम जानते थे
अँधेरे कोने में दुबक
एक सूखी रोटी
और तीन दिन पुराना साग
वह चोरों की तरह खाती रही कई बरस
सालों साल उसने
चिट्ठी नहीं लिखी अम्मा को
टेलीफोन के पास
उसका फटकना निषिद्ध था

अर्थ–कवि उस घरेलू नौकरानी निम्मों की दयनीय दशा का वर्णन करते हुए कहता कि वह भागी चिड़िया की तरह घर के अंधेरे कोने में दुबके पंख फड़फड़ाती सखी रोटा चालान दिना का वासी साग खाती हुई जीवन बिताती रही। अशिक्षा के कारण उसनें वर्षों से अपनी माँ को चिट्ठी नहीं लिखी। साथ ही, अभावग्रस्त एवं महानगरीय समाज द्वारा उपेक्षित अथवा तिरस्कृत होने के कारण टेलीफोन के निकट जाने की उसे मनाही थी। कवि के कहने का उद्देश्य यह है कि महानगरों में घरेलू नौकरानी उपेक्षा का पात्र मानी जाती है।

व्याख्या– प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि विजय कुमार द्वारा लिखित कविता निम्मो की मौत पर’ शीर्षक से ली गई हैं। इनमें कवि ने महानगर में काम करने वाली घरेलू नौकरानी की दीन-दशा का बड़ा ही मार्मिक वर्णन किया है।

कवि का कहना है कि निम्मो जैसी घरेलू नौकरानी महानगरों में किस प्रकार नारकीय एवं तिरस्कृत जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर रहती है। उन्हें महानगरीय समाज द्वारा उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता है, जिस कारण उन्हें किसी अंधेरी कोठरी में रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। साथ ही कई दिनों की सूखी रोटी तथा बासी साग खाकर जीवन व्यतीत करना पड़ता है। इस विवशता के कारण उसने अपनी माँ को चिट्ठी नहीं लिख पाई। सामाजिक क्रूरता के कारण किसी टेलीफोन के पास जाने पर भी रोक थी।

घरेलू नौकरानी के माध्यम से कवि यह स्पष्ट करना चाहा है कि महानगरों में नौकरों का घोर शोषण होता है। उन्हें न तो उचित मजदूरी मिलती है और न ही उचिंत सम्मान ही। महानगरीय समाज असंवेदनशील तथा अमानवीय प्रवृत्ति के होते हैं।

हमें मालूम था
लानतों, गाली, लात, घूसों के बाद
लेटी हुई ठंढे फर्श पर
गए रात जब ।
उसकी आँखें मूंदती थीं
एक कंपन
पूरी धरती पर
पसर जाता था
उसकी थमी हुई हिचकियाँ
उसके पीहर तक
चली आती थीं
हर रोज
एक अनुपस्थित घाव
उसके शरीर के भीतर
कहीं रहा होगा
और शायद कुछ अनकही प्रार्थनाएँ नींद में

अर्थ-कवि महानगरों में काम करने वाली घरेलू नौकरानी की दारूण दशा का वर्णन करते हुए कहता है कि उन्हें गृहस्वामी की डाँट, गाली सुनने के साथ ही लात तथा घूसों को भी सहन करना पड़ता है। वह रात में जब सोती थी तो उसका हृदय विदीर्ण हो जाता था। फलतः वह अपनी विवशता पर कराह उठती थी और मन की व्यथा उसे झकझोर डालती थी। यही व्यथा उसकी आह बन उसके मायके तक चली जाती थी। कवि कहता . है कि हर दिन के इस अमानवीय व्यवहार ने उसे अपने-आपसे घृणा उत्पन्न कर दियाऔर सुप्तावस्था में जीवन-मुक्ति के लिए प्रेरित करने लगा।

व्याख्या—प्रस्तुत पंक्तियाँ मानवीय संवेदना से लबालब कवि विजय कुमार द्वारा लिखित कविता निम्मो की मौत पर’ शीर्षक से ली गई हैं। इनमें कवि ने निम्मो नाम की घरेलू नौकरानी की कारूणिक दशा का मार्मिक वर्णन किया है।

कवि का कहना है कि महानगरीय लोग निर्मम, निष्ठुर तथा अमानवीय होते हैं। वे घरेलू नौकरों के साथ निर्ममतापूर्ण व्यवहार करते हैं। कवि निम्मो की दारूण-दशा का वर्णन करते हुए कहता है कि गृहस्वामी उसके साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते थे। उसे नित्य डॉट एवं गाली देने के साथ ही लात तथा घूसों से प्रहार भी करते थे। लाचार एवं विवश निम्मो जब विकल हो उठती थी। उसकी इस विकलता से धरती काँप उठती थी। वह अपने भाग्य पर रोने लगती थी। यह रूदन उसके मायके तक चली जाती थी। अर्थात् अपने मायके की निर्धनता पर तरस आ जाती थी कि निर्धनता के कारण ही उसे इस नारकीय एवं त्रासदीपूर्ण जीवन जीने पर मजबूर होना पड़ा।

यह शरीर जो तीस बरस से
इस दुनिया में था
और तीस बरस
उसे रहना था यहाँ
पर एक दिन रेत की दीवार की तरह गिरी वह सहसा
उसके चले जाने में
कोई रहस्य नहीं था।

अर्थ–कवि कहता है कि यह शरीर अर्थात् निम्मो तीस वर्षों तक इसलिए जीवितरहीं, क्योंकि उसे इतने दिनों तक जीवित रहना था। यानी उसकी आयु तीस वर्ष की हीथी। लेकिन एक दिन जब वह बालू की भीत के समान एकाएक ढह गई, अर्थात् उसकी मृत्यु अचानक हो गई तो उसकी मृत्यु के कारण के बारे में कहीं कोई चर्चा तक नहीं हुई ! तात्पर्य कि महानगरीय समाज में गरीबों की अचानक मृत्यु पर कोई प्रश्न खड़ा नहीं होता।

व्याख्या–प्रस्तुत पंक्तियाँ महान् मानवतावादी कवि विजय कुमार द्वारा लिखित कविता ‘निम्मो की मौत, पर’ शीर्षक से ली गई हैं। इनमें कवि ने निम्मो की मृत्यु का बड़ा ही मार्मिक चित्र प्रस्तुत किया है।

कवि का कहना है कि निम्मो तीस वर्षों तक अनेक प्रकार की यातनाओं को सहन करती हुई जीवित रही, क्योंकि उसे इतने वर्षों तक सारी दिक्कतों के बावजूद जीवित रहना था। तात्पर्य कि जितने वर्षों तक जीवित रहना निश्चित रहता है, व्यक्ति की मृत्यु उससे पहले नहीं हो सकती, लोगों की ऐसी मान्यता है। निम्मो भी तीस वर्ष पूरे करने के बाद बालू की भीत के समान अचानक ढह गई अर्थात् उसकी मृत्यु हो गई। कवि सामाजिक विषमता की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहता है कि यह कितनी बड़ी विडंबना है कि गरीबों की अचानक मृत्यु पर कोई प्रश्न खड़ा नहीं किया जाता, जबकि अमीरों की अचानक मृत्यु पर अनेक प्रकार के प्रश्न खड़े होते हैं। उसकी जाँच-पड़ताल की जाती है। निम्मो जीवनपर्यन्त दुःख एवं त्रासदी की चक्की में पीसती रही, लेकिन उसकी ओर लोगों का ध्यान नहीं गया। अतः यह दोषपूर्ण सामाजिक व्यवस्था तथा अमानवीय व्यवहार की निशानी है।

अभ्यास के प्रश्न और उनके उत्तर

कविता के साथ :

प्रश्न 1. निम्मो समाज के किस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है ?
उत्तर— निम्मो समाज के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है जो महानगरों में घरेलू नौकरानी का काम करती है ।

प्रश्न 2. कवि ने निम्मो की तुलना ‘भीगी हुई चिड़िया’ से क्यों की है ?
उत्तर – कवि ने निम्मो की तुलना भीगी हुई चिड़िया से इसलिए की है क्योंकि जिस प्रकार चिड़िया पंख फड़फड़ाकर रह जाती है, अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करती, उसी प्रकार निम्मो सारी यातनाओं को सहन करती हुई चुपचाप रह जाती है ।

प्रश्न 3. निम्मो को जो यातनाएँ दी जाती थीं, उसे कविता के आधार पर अपने शब्दों में लिखें ।
उत्तर— कवि ने निम्मो की यातनाओं का वर्णन करते हुए कहा है कि उसे कई दिनों की एक सूखी रोटी तथा सड़ी-गली साग खाने को दी जाती थी तथा अंधेरे घर में रखा जाता है। उसे न तो चिट्ठी लिखने दी जाती है और न ही टेलीफोन करने दी जाती हैं इतना ही नहीं, डाँट-फटकार, गाली के साथ-साथ लात-घूंसे भी खानी पड़ती है। इस प्रकार गृहस्वामी निम्मो के साथ निर्दयतापूर्ण व्यवहार करते थे

प्रश्न 4. उसकी थमी हुई हिचकियों उसके पीहर तक चली जाती थी‘ से कवि का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर—प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कवि ने निम्मो की हार्दिक व्यथा प्रकट की है। वह रात्रि के शांत वातावरण में अपना दर्द रोकर प्रकट करती है कि यदि मायके की दशा ठीक होती तो उसे ऐसे त्रासदीपूर्ण जीवन व्यतीत करने को विवश नहीं होना पड़ता । अर्थात् उसे मायके की दयनीय दशा की याद व्यथित करने लगती है ।

प्रश्न 5. इस कविता के माध्यम से कवि ने समाज के किस वर्ग के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट की है ?
उत्तर—इस कविता के माध्यम से कवि ने समाज के उस वर्ग के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट की है जो अभावग्रस्त तथा सुविधाओं से वंचित है । अर्थात् वैसा वर्ग जो अपनी दनयनीय दशा के कारण महानगरों में घरेलू नौकर के रूप में काम करते हैं तथा महानगरीय समाज की दृष्टि में उपेक्षित हैं । कवि ने उनके प्रति अपनी हार्दिक संवेदना प्रकट की है ।

प्रश्न 6. पूरी धरती पर कंपन पसर जाने का क्या कारण है? स्पष्ट करें।
उत्तर—कवि के कहने का अभिप्राय यह है कि निम्मो अपने साथ किए गए क्रूर व्यवहार की याद करके काँप उठती थी और पूरी धरती पर कंपन पसर जाता था । अतः कंपन पसर जाने का मुख्य कारण गृहस्वामी की क्रूरता तथा अमानुषिकता है ।

प्रश्न 7. ‘वह चोरों की तरह खाती रही कई बरस’ में कवि ने ‘चोरों की तरह’ का प्रयोग किस उद्देश्य से किया है ?
उत्तर—कवि ने ‘चोरों की तरह’ का प्रयोग इस उद्देश्य से किया है कि निम्मो अपने गृह- स्वामी के भय से इतना आतंकित रहती थी कि उसे इस बात का भय बना रहता था कि यदि वह छिपकर नहीं खाती तो वह सूखी रोटी तथा तीन दिनों पुराना साग भी नसीब न होता । अर्थात् वह भी छीन ली जाती ।

प्रश्न 8. और शायद कुछ अनकही प्रार्थनाएँ नींद में- इस पंक्ति में ‘प्रार्थनाओं को अनकही’ क्यों कहा गया है ?
उत्तर- ‘प्रार्थनाओं को अनकही’ इसलिए कहा गया है, क्योंकि जो प्रार्थना न की गई हो, अर्थात् जीवन-मुक्ति की प्रार्थना । निम्मो नींद में भी उस नारकीय जीवन से मुक्ति पाने के लिए मृत्यु प्राप्ति की कामना करती है, ताकि वह चिर शांति प्राप्त कर सके ।

प्रश्न 9. और तीस बरस उसे रहना था यहाँ-कहकर कवि हमें क्या बताना चाहता है ?
उत्तर—उक्त कथन के माध्यम से कवि यह बताना चाहता है कि सुख-दुःख अथवा जीवन-मृत्यु का समय निश्चित होता है । इस निश्चित समय के अनुसार व्यक्ति को उसका भोग भोगना पड़ता है । निम्मो भी तीस बरस गुजार कर चल बसी । कवि उसके प्रति अपनी संवेदना प्रकट करते हुए कहता है कि उसे तीस वर्षों तक इस धरती पर रहना था, जिसे पूरा करके उसने विदा ले ली ।

प्रश्न 10. रेत की दीवार की तरह सहसा गिरने की क्या वजह हो सकती है ?
उत्तर—रेत की दीवार की तरह सहसा गिरने की वजह शारीरिक प्रताड़ना हो सकती है। निम्मो शारीरिक दृष्टि से अति निर्बल हो चुकी थी, क्योंकि उसे भरपेट भोजन नहीं मिलता था अथवा सड़े-गले भोज्य पदार्थ के खाने से रूग्ण हो गई होगी । गृहस्वामी की लात-घूसों के प्रहार के कारण रेत की दीवार की तरह धराशायी हो गई होगी ।

प्रश्न 11. ‘निम्मो की मौत पर’ शीर्षक कहाँ तक सार्थक है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए ।
उत्तर—प्रस्तुतं कविता का शीर्षक ‘निम्मो की मौत पर’ पूर्णतः सार्थक है, क्योंकि कविता का ताना-बाना उसी को ध्यान में रखकर बुना गया है। कविता उसी से गति पाती है। वह किस प्रकार मृत्यु की गोद में सोती है, इसके लिए गृह स्वामी के निर्दयतापूर्ण व्यवहार एवं उपेक्षा के माध्यम से वातावरण तैयार किया गया है। निम्मो शारीरिक यातना सहते-सहते अपने-आपसे खिन्न हो जाती है और मृत्यु की आगोश में समा जाना चाहती है । इस प्रकार वह एक दिन रेत की दीवार की भाँति ढह भी जाती है, लेकिन उसकी इस रहस्यपूर्ण मृत्यु पर किसी तरह का प्रश्न नहीं किया जाता है। उसके प्रति अपनी संवेदना प्रकट करते हुए कवि उसकी मौत पर काव्य रचना कर डालता है ।

प्रश्न 12. ‘यह शरीर जो तीस बरस से
इस दुनिया में था
और तीस बरस
उसे रहना था यहाँ’-
यहाँ निम्मो का कौन-सा दर्द अभिव्यक्त होता है ?

उत्तर—यहाँ निम्मो का त्रासदीपूर्ण जीवन, अभावग्रस्तता तथा उपेक्षा का दर्द अभिव्यक्त होता है 1

नोट : कविता के आस-पास के प्रश्नों के उत्तर छात्र स्वयं तैयार करें।

भाषा की बात ( व्याकरण संबंधी प्रश्न एवं उत्तर ) :

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलें ।
चिड़िया, रोटी, गाली, रात, चिट्ठी, आँखें, हिचकियाँ, प्रार्थनाएँ

उत्तर : चिड़िया – चिड़ियाँ
रोटी – रोटियाँ
गाली – गालियाँ
रात – रातें
चिट्ठी – चिट्ठियाँ
आँख – आँखें
हिचकी – हिचकियाँ
प्रार्थना – प्रार्थनाएँ

प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों के विलोम रूप लिखें :

उत्तर : शब्द                    विलोम
अंधेरा                            उजाला
सूखा                              भींगा
पुराना                             नयां
रात                               दिन
अनुपस्थित                     उपस्थित
भीतर                             बाहर
निषिद्ध                           स्वीकृत

प्रश्न 3. प्रस्तुत कविता से पाँच क्रियापद छाँटकर लिखें।
उत्तर—जाना, खाना, फटकना, चला जाना, गिरना ।

प्रश्न 4. ‘रेत की दीवार की तरह गिरना’ मुहावरे का वाक्य प्रयोग करते अर्थ स्पष्ट करें ।
उत्तर— रेत की दीवार की तरह गिरना’ – देखते-देखते ही विद्यालय का भवन रे की दीवार की तरह गिर गया ।

प्रश्न 5. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची बताएँ ।

उत्तर : शब्द                    पर्यायवाची शब्द
धरती                                पृथ्वी
आँख                                नेत्र
चिड़िया                            खग
रात                                 निशि
शरीर                               गात
दुनिया                            संसार
रेत                                  बालू

प्रश्न 6. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखें ।
(क) जो उपस्थित नहीं है।
(ख) जो कहा न जा सके ।

उत्तर- (क) अनुपस्थित, (ख) अनकही, अकथनीय ।

प्रश्न 7. पाठ से अव्यय शब्दों को चुनें ।
उत्तर—तरह, कई, बाद, जब, तक, हर, यहाँ, शायद ।

प्रश्न 8. उद्गम की दृष्टि से शब्द के भेद स्पष्ट करें :
चिड़िया, पुरानी, रोटी, टेलीफोन, निषिद्ध, फटकना, पीहर, मुंदती, दुनिया, शायद, सहसा ।

उत्तर :
तत्सम         तद्भव         देशज               विदेशज
रोटी          चिड़िया        फटकना           टेलीफोन
निषिद्ध       पुरानी           पीहर               दुनिया
मुँदती                                                   शायद
साहस

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