• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer

Top Siksha

Be a successful student

  • Home
  • Contact Us
  • Pdf Files Download
  • Class 10th Solutions Notes
  • Class 9th Solutions
  • Class 8th Solutions
  • Class 7th Solutions
  • Class 6th Solutions
  • NCERT Class 10th Solutions Notes

कक्षा 10 अर्थशास्‍त्र पाठ 3 मुद्रा, बचत और साख | Mudra bachat aur sakh

January 10, 2023 by Leave a Comment

दिया गया पाठ का नोट्स और हल SCERT बिहार पाठ्यक्रम पर पूर्ण रूप से आधारित है। इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 अर्थशास्‍त्र के पाठ तीन ‘मुद्रा, बचत और साख (Mudra bachat aur sakh Notes and Solutions)’ के नोट्स और प्रश्‍न-उतर को पढ़ेंगे।

Mudra bachat aur sakh

3. मुद्रा, बचत और साख

मुद्रा- मुद्रा पैसे या धन के उस रूप को कहते हैं जिससे दैनिक जीवन में क्रय और विक्रय होती है। इसमें सिक्के तथा कागज के नोट दोनों आते हैं।

अर्थशास्त्री मार्शल ने कहा है कि ‘आधुनिक युग की प्रगति का श्रेय मुद्रा को ही है।’

मुद्रा का इतिहास

मुद्रा को आधुनिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। मुद्रा के विकास के इतिहास को मानव सभ्यता के विकास का इतिहास कहा जा सकता है। सभ्यता के प्रारंभिक अवस्था में जब मनुष्य की आवश्यकताएँ सीमित थी तो वे अपनी जरूरत की वस्तुएँ स्वयं उत्पादित कर लिया करते थे। लेकिन लोगों की संख्या मं वृद्धि के साथ ही उनकी आवश्यताओं में भी वृद्धि होने लगी, जिसे पूर्ति करने में कठिनाई महसूस की जाने लगी।तब वे आपस में एक-दूसरे के द्वारा उत्पादित वस्तुओं के आदान-प्रदान से अपनी आवश्कताओं की पूर्ति करने लगे। जिसके कारण मुद्रा का विकास हुआ।

आज प्रायः मनुष्य किसी एक काम में ही अपना समय लगाता है। इससे जो आय प्राप्त होता है उससे अन्य वस्तुएँ प्राप्त कर लेता है। जिसके कारण आज विनिमय का महत्व बढ़ गया है।

विनिमय के स्वरूप- विनिमय के दो रूप है-

  1. वस्तु विनिमय प्रणाली तथा
  2. मौद्रिक विनिमय प्रणाली।
  3. वस्तु विनिमय प्रणाली- वस्तु विनिमय प्रणाली उस प्रणाली को कहा जाता है जिसमें एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु का आदान-प्रदान होता है। जैसे- गेहूँ से चावल का बदलना, दूध से दही का बदलना, सब्जी से घी का बदलना आदि।

वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयाँ

  1. आवश्यकता के दोहरे संयोग का अभाव- आवश्यकता के दोहरे संयोग का मतलब है कि एक की जरूरत दूसरे से मेल खा जाए लेकिन ऐसा कभी संयोग ही होता था कि किसी की जरूरत किसी से मेल खा जाए। ऐसी स्थिति में कठिनाई होती थी।
  2. मूल्य के सामान्य मापक का अभाव- वस्तु विनिमय प्रणाली में ऐसा कोई सर्वमान्य मापक नहीं था जिसकी सहायता से सभी प्रकार के वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य को ठीक प्रकार से मापा जा सके। जैसे- जैसे एक सेर चावल के बदले कितना तेल दिया जाए ? एक गाय के बदले कितनी बकरियाँ दी जायें ?
  3. मूल्य संचय का अभाव- वस्तु विनिमय प्रणाली के द्वारा उत्पादित वस्तुओं के संचय की असुविधा थी। व्यवहार में व्यक्ति कुछ वस्तुओं का उत्पादन करता है जो शीघ्र नष्ट हो जाती है। ऐसी जल्दी नष्ट होने वाली वस्तुओं की संचय की असुविधा होती थी।
  4. सह-विभाजन का अभाव- कुछ वस्तुएँ ऐसी होती है, जिनका विभाजन नहीं किया जा सकता है, यदि उनका विभाजन कर दिया जाए तो उनकी उपयोगिता नष्ट हो जाती है। जैसे एक गाय के बदले में तीन चार वस्तुएँ लेनी होती थी और वे वस्तुएँ अलग-अलग व्यक्तियों के पास थी। इस स्थिति में गाय के तीन चार टुकड़े नहीं किए जा सकते। ऐसी स्थिति में विनिमय का कार्य नहीं हो सकता है।
  5. भविष्य के भुगतान की कठिनाई- वस्तु विनिमय प्रणली में उधार लेने तथा देने में कठिनाई होती थी। जैसे कोई व्यक्ति किसी से दो वर्षों के लिए एक गाय उधार लेता है और इस अवधि के बीतने पर वह लौटा देता है। लेकिन दो वर्षों के अंदर उधार लेनेवाला व्यक्ति गाय के दूध पिया तथा उसके गोबर को जलावन के रूप में उपयोग किया। ऐसी स्थिति में उधार लेने वाले को मुनाफा होता था तथा उधार देनेवाले को घाटा होता था।
  6. मूल्य हस्तांतरण की समस्या- वस्तु विनिमय प्रणाली में मूल्य हस्तांतरण में कठिनाई होती थी। जैसे कोई व्यक्ति किसी स्थान को छोड़कर दूसरे जगह बसना चाहता। ऐसी स्थिति में उसको अपनी सम्पित्त छोड़कर जाना पड़ता था, क्योंकि उसे बेचना कठिन था।
  7. मौद्रिक विनिमय प्रणाली- मुद्रा का विकास मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है। सुप्रसिद्ध विद्वान क्राउथर ने कहा था कि ‘ जिस तरह यंत्रशास्त्र में चक्र, विज्ञान में अग्नि और राजनीतिशास्त्र में मत का स्थान है, वही स्थान मानव के आर्थिक जीवन में मुद्रा का है।

            मौद्रिक विनिमय प्रणाली में पहले कोई व्यक्ति अपनी वस्तु या सेवा को बेचकर मुद्रा प्राप्त करता है और फिर उस मुद्रा से अपनी जरूरत की अन्य वस्तुएँ प्राप्त करता है।

Mudra bachat aur sakh

मुद्रा के कार्य- मुद्रा के प्रमुख कार्य हैं-

  1. विनिमय का माध्यम, 2. मुल्य का मापक, 3. विलंबित भुगतान का मान, 4. मूल्य का संचय, 5. क्रय शक्ति का स्थानांनतरण और 6. साख का आधार।

मुद्रा का विकास

मुद्रा का क्रमिक विकास निम्नलिखित है-

  1. वस्तु विनिमय,
  2. वस्तु मुद्रा,
  3. धात्विक मुद्रा,
  4. सिक्के,
  5. पत्र मुद्रा,

और 6. साख मुद्रा

मुद्रा का आर्थिक महत्व

आधुनिक आर्थिक व्यवस्था में मुद्रा का काफी महत्व है। यदि मुद्रा न होती तो विश्व के विभिन्न देशों में इतनी आर्थिक प्रगति कभी भी संभव नहीं होती। पूँजीवादी अर्थव्यवस्था हो या समाजवादी अर्थव्यवस्था हो या मिश्रित अर्थव्यवस्था हो, सभी में मुद्रा आर्थिक विकास के मार्ग में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ट्रेस्कॉट ने कहा है कि ‘यदि मुद्रा हमारी अर्थव्यवस्था का हृदय नहीं तो रक्त-स्त्रोत तो अवश्य है।’

मुद्रा से लाभ

  1. मुद्रा से उपभोक्ता को लाभ
  2. मुद्रा से उत्पादक को लाभ
  3. मुद्रा और साख
  4. वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों का निराकरण
  5. मुद्रा और पूँजी की तरलता
  6. मुद्रा और पूँजी की गतिशीलता
  7. मुद्रा और पूँजी निर्माण
  8. मुद्रा और बड़े पैमाने के उद्योग
  9. मुद्रा और आर्थिक प्रगति
  10. मुद्रा और सामाजिक कल्याण

बचत-आय तथा उपभोग में अंतर बचत कहलाता है।

बचत दो प्रकार का होता है-

  1. नगद बचत और
  2. वस्तु संचय

कुल आय का ऐसा अंश जो किसी भी प्रकार की वस्तु पर खर्च नहीं किया जाता है, उसे नगद बचत कहते हैं।

कुल आय का वह भाग जो टिकाऊ वस्तुओं पर खर्च किया जाता है उसे वस्तु संचय कहते है। इसे विनियोग कहा जाता है।

साख क्या है ?

साख का अर्थ है – विश्वास या भरोसा।

साख एक ऐसा विनिमय कार्य है जो एक निश्चित अवधि के बाद भुगतान करने के बाद पूरा हो जाता है।

साख के दो पक्ष होते हैं- 1. ऋणदाता और 2. ऋणी।

साख के आधार

साख के मुख्य आधार निम्नलिखित है-

  1. विश्वास, 2. चरित्र, 3. चुकाने की क्षमता, 4. पूँजी एवं संपत्ति, 5. ऋण की अवधि।

साख पत्र- साख पत्र का मतलब उन साधनों से है जिनका उपयोग साख मुद्रा के रूप में किया जाता है। साख पत्र के आधार पर साख या ऋण का आदान-प्रदान होता है। साख पत्र ठीक मुद्रा की तरह कार्य करते हैं।

साख पत्र कई प्रकार के होते हैं- 1. चेक, 2. विनिमय बिल, 3. बैंक ड्राफ्ट, 4. हुण्डी, 5. प्रतिज्ञा पत्र, 6. यात्री चेक, 7. पुस्तकीय साख तथा 8. साख प्रमाण पत्र।

Mudra bachat aur sakh

  1. मुद्रा बचत एवं साख

लघु उतरीय प्रश्न

  1. वस्तु-विनिमय क्या हैं?

उत्तर-वस्तु विनिमय प्रणाली उस प्रणाली को कहा जाता है जिसमें एक वस्तु के बदले में दूसरी वस्तु का आदान-प्रदान होता है। जैसे-गेहूँ से चावल बदलना, सब्जी से तेल बदलना, दूध से दही बदलना आदि।

  1. मौद्रिक प्रणाली क्या है?

उत्तर-मुद्रा का आविष्कार मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है सुप्रसिद्ध विद्वान क्राउथर ने ठीक ही कहा है कि ‘जिस तरह यंत्रशास्त्र में चक्र, विज्ञान में अग्नि और राजनितिक-शस्त्र में मत का स्थान है, वही स्थान मानव के आर्थिक जीवन में मुद्रा का है। इस प्रणाली में पहले कोई व्यक्ति अपनी वस्तु या सेवा को बेचकर मुद्रा प्राप्त करता है और फिर उस मुद्रा से अपनी जरूरत की अन्य वस्तुएँ प्राप्त करता है।

  1. मुद्रा की परिभाषा दें।

उत्तर-मुद्रा पैसे या धन के उस रूप को कहते है जिससे दैनिक जीवन में क्रय और विक्रय होती हैं। इसमें सिक्के तथा कागज के नोट दोनो आते है।

4.ATM क्या है?

उत्तर- ATM एक प्लास्टिक के मुद्रा का एक रूप है। एटीयम का अर्थ है स्वचालित टेलर मशीन। यह मशीन 24 घंटे रूपये निकालने तथा जमा करने की सेवा प्रदान कराता है।

5.Credit cardक्या है?

उत्तर- Credit cardभी प्लास्टिक मुद्रा का एक रूप है विश्व में प्रचलित Credit cardsमें VISA मास्टर कार्ड, अमेरिकन एक्सप्रेस आदि प्रसिद्ध हैं। क्रेडित कार्ड के अन्तर्गत ग्राहक की वितीय स्थिति को देखते हुए बैंक उसकी साख की एक राशि निर्धारित कर देती है जिसके अन्तर्गत वह अपने क्रेडित कार्ड के माध्यम से निर्धारित धनराशि के अंदर वस्तुओं और सेवाओ को खरीद सकता है।

  1. बचत क्या है?

उत्तर-आय तथा उपभोग का अंतर बचत कहलाता है। क्राउथर ने कहा है कि ‘किसी व्यक्ति की बचत उसकी आय का वह भाग है जहाँ उपभोग की वस्तुओं पर व्यय नहीं की जाती है इसका विनियोग के बराबर होता है।

बचत = विनियोग

  1. साख क्या है?

उत्तर-विश्वास या भरोंसा को साख कहते है, साख एक ऐसा विनिमय कार्य है जो एक निश्चित अवधि के बाद भुगतान करने के बाद पूरा हो जाता है।

दीर्घ उतरीय प्रश्न

  1. वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों पर प्रकाश डालें।

उत्तर-वस्तु विनिमय प्रणाली में मनुष्य को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।

(i) आवश्यकता के दोहरे संयोग का अभाव-आवश्यकता के दोहरे संयोग का मतलब है कि एक की जरूरत दूसरे से मेल खा जाए लेकिन ऐसा कभी संयोग ही होता था कि किसी की जरूरत किसी से मेल खा जाए। ऐसी स्थिति में विनिमय में कठिनाई होती है।

(ii) मूल्य के सामान्य मापक का अभाव-कोई ऐसा सर्वमान्य मापक नही था जिसकी सहायता से सभी प्रकार के वस्तुओं के मूल्य को ठीक से मापा जा सके।

(iii) मूल्य संचय का अभाव-वस्तु विनिमय प्रणाली लोगो के द्वारा उत्पादित वस्तुओं के संचय की असुविधा थी। व्यवहार में व्यक्ति कुछ वस्तुओं का उत्पादन करता है जो शीघ्र नष्ट हो जाती है। ऐसी शीघ्र नष्ट होन वाली वस्तुएँ जैसे-मछली, फल, सब्जी आदि।

(iv) सह-विभाजन का अभाव – कुछ वस्तुएँ ऐसी होती है जिनका विभाजन नहीं किया जा सकता है। यदि उनका विभाजन कर दिया जाए तो उपयोगिता नष्ट हो जाती है।

(v) भविष्य के भुगतान की कठिनाई-वस्तु विनिमय प्रणाली में उधार लेने तथा देने में कठिनाई होती थी। इस प्रणाली में उधार देने वाले को घाटा होता था जबकि उधार लेने वाला फायदे में रहता था।

(vi) मूल्य हस्तांतरण की समस्या-जब कोई व्यक्ति एक स्थान छोड़कर दूसरे स्थान पर बसना चाहता ऐसी स्थिति में उसे अपनी सम्पती छोड़कर जाना पड़ता था, क्योंकि उसे बेचना कठिन था।

Mudra bachat aur sakh

  1. मुद्रा के कार्यो पर प्रकाश डालें।

उत्तर-मुद्रा के निम्नलिखित कार्यो है।

(i) विनिमय का माध्यम-मुद्रा विनिमय का एक माध्यम है वस्तु या सेवा को बेचकर मुद्रा प्राप्त की जाती है तथा मुद्रा से अपनी जरूरत की वस्तुएँ खरीदी जाती है। इस तरह मुद्रा ने विनिमय के कार्य को बहुत ही आसान बना दिया है।

(ii) मूल्य का मापक-मुद्रा मूल्य का मापक है। मुद्रा के द्वारा वस्तुओं का मूल्यांकन करना सरल हो गया है। किसी वस्तु का कितना मूल्य होगा, मुद्रा द्वारा यह पता लगाना सरल हो गया है।

(iii) विलंबित भुगतान का मान-आधुनिक युग में बहुत से आर्थिक कार्य उधार पर होता है और उसका भुगतान बिलंबित या स्थगित होता है। मुद्रा विलंबित भुगतान का एक सरल साधन है।

(iv) मूल्य का संचय-मनुष्य भविष्य के लिए कुछ बचाकर रखना चाहता है। वर्तमान में भविष्य की आवश्यकता भी महत्वपूर्ण है। मुद्रा में यह गुण है कि इसे संचित या जमा करके रखी जा सकती ।

(v) क्रय-शक्ति का हस्तांतरण-मुद्रा का एक आवश्यक कार्य क्रयशक्ति का हस्तांतरण भी है। मुद्रा में सामान्य स्वीकृति का गुण है। मुद्रा के माध्यम से क्रयशक्ति को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित किया जा सकता है।

(vi) साख का आधार-वर्तमान समय में मुद्रा साख के आधार पर कार्य करती है। मुद्रा के कारण ही साख पत्तों का प्रयोग बड़े पैमाने पर होता है।

  1. मुद्रा के आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालें।

उत्तर-मुद्रा के आर्थिक महत्व के बारे में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ट्रेस्कॉट ने कहा है कि यदि मुद्रा हमारी अर्थव्यवस्थाका हृदय नही तो रक्त-स्त्रोत तो अवश्य है। आज का आर्थिक जगत मुद्रा के बिना एक क्षण भी जीवित नही रह सकता। इसलिए प्रो०मार्शल ने कहाँ है, कि मुद्रा वह धूरी है जिसके चारों तरफ संपूर्ण आर्थिक विज्ञान चक्कर काटता है। मुद्रा के महत्व पर प्रकश डालते हुए क्राउथर ने कहा है कि ज्ञान की प्रत्येक शाखा की अपनी-अपनी मूल खोज होती है।

4.मुद्रा के विकास पर प्रकाश डालें।

उत्तर-मुद्रा का विकास

  1. वस्तु विनिमय 2. वस्तु मुद्रा 3. धात्विक मुद्रा 4.सिक्के 5. पत्र मुद्रा 6. साख मुद्रा

(i) वस्तु विनिमय-इससे वस्तु का वस्तु से लेन-देन होता है।

(ii) वस्तु मुद्रा-प्रारंभिक काल में किसी एक वस्तु को मुद्रा के कार्य संपन्न करने के लिए चुन लिया गया था। शिकारी युग में खाल या चमड़ा, पशुपालन युग में कोई पशु जैसे-गाय या बकरी

(iii) धात्विक मुद्रा-धातुओं का प्रयोग मुद्रा के रूप में होने लगा।

(iv) सिक्के-सोने-चाँदी से बना वह वस्तु जो देश की सार्वभौम सरकार की मुहर से चालित होता है उसे सिक्का कहते है।

(v) पत्र मुद्रा-सिक्का-मुद्रा में भी कुछ दोष थे। इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने में कठिनाई होती थी। इसलिए पत्र मुद्रा का प्रचलन हुआ। वर्तमान समय में विश्व के प्रायः सभी देशों में पत्र-मुद्रा का ही प्रचलन है। देश की सरकार तथा देश के केन्द्रीय बैंक के द्वारा जो कागज का नोट प्रचलित किया जाता है, उसे पत्र-मुद्रा कहते है।

(vi) साख मुद्रा-आधुनिक समय में चेक, हुण्डी आदि विभिन्न प्रकार के साख-पत्र मुद्रा का कार्य करते है। इनकों साख-मुद्रा कहा जा सकता है। अन्तर्राष्ट्रीय लेन-देन अधिकांश रूप से साख-मुद्रा द्वारा होता है।

5.साख पत्र क्या है? कुछ प्रमुख साख पत्रों पर प्रकाश डालें।

उत्तर-साख पत्र से हमारा मतलब उन साधनों से है जिनका उपयोग साख मुद्रा के रूप में किया जाता है। साख पत्र के आधार पर साख या ऋण का आदान-प्रदान होता है साख पत्र ठीक मुद्रा की तरह कार्य करते है।

Mudra bachat aur sakh

साख पत्र के कई प्रकार है।

(i) चेक

(ii) विनिमय बिल

(iii) बैंक ड्राफ्ट

(iv) हुण्डी

(v) प्रतिज्ञा पत्र

(vi) यात्री चेक

(vii) पुस्तकीय साख

(viii) साख प्रमाण पत्र

(i) चेक- चेक सबसे अधिक प्रचलित साख पत्र है।

(ii) बैंक ड्राफ्ट-बैंक ड्राफ्ट वह पत्र है जो एक बैंक अपनी किसी शाखा या अन्य किसी बैंक को आदेश देता है कि उस पत्र में लिखी हुई रकम उसमें अंकित व्यक्ति को दे दी जाए।

(iii) यात्री चेक-यात्रियों की सुविधा के लिए यात्री चेक बैंको द्वारा जारी किये जाते है। कोई भी यात्री बैंक में निश्चित रकम जमा कर देने पर यात्री चेक प्राप्त कर सकता है। बैंक की किसी भी शाखा में यात्री चेक प्रस्तुत कर मुद्रा प्राप्त कर सकता है।

(iv) प्रतिज्ञा पत्र-इस पत्र में ऋणी की माँग पर या एक निश्चित अवधि के बाद उसमें अंकित रकम ब्याज सहित देने का वादा किया जाता हैं।

Read More – click here
YouTube Video – click here

Filed Under: Class 10th

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • BSEB Class 10th Non–Hindi Objective Chapter 10. राह भटके हिरण के बच्चे को (Rah Bhatake Hiran Ke Bachche Ko)
  • BSEB Class 10th Non–Hindi Objective Chapter 9. सुदामा चरित (Sudama Charit)
  • BSEB Class 10th Non–Hindi Objective Chapter 8. झाँसी की रानी (Jhaansee Kee Raanee)

Footer

About Me

Hey ! This is Tanjeela. In this website, we read all things, which is related to examination.

Class 10th Solutions

Hindi Solutions
Sanskrit Solutions
English Solutions
Science Solutions
Social Science Solutions
Maths Solutions

Follow Me

  • YouTube
  • Twitter
  • Instagram
  • Facebook

Quick Links

Class 12th Solutions
Class 10th Solutions
Class 9th Solutions
Class 8th Solutions
Class 7th Solutions
Class 6th Solutions

Other Links

  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions

Copyright © 2021 topsiksha