Bihar Board Class 9 Hindi कुछ सवाल (Kuch Sawal Class 9th Hindi Solutions) Text Book Questions and Answers
12. कुछ सवाल
कवि : पाब्लो नेरूदा
यदि सारी नदियाँ मीठी हैं
तो समुद्र अपना नमक कहाँ से पाता है ?
ऋतुओं को कैसे मालूम पड़ता है
कि अब पोलके बदलने का वक्त आ गया ?
अर्थ—कवि प्रश्नात्मक शैली में यह जानना चाहता है कि यदि सारी नदियां का जल मीठा है तो समुद्र का जल कैसे खारा हो गया। ऋतु किस प्रकार अपने नियत समय पर आकर प्रकृति में परिवर्तन ला देती है ? कवि के कहने का तात्पर्य है कि ध्वंस एवं निर्माण प्रकृति के शाश्वत. नियम हैं। दोनों साथ-साथ चलते रहते हैं।
व्याख्या– प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि पाब्लो नेरुदा द्वारा लिखित कविता ‘कुछ सवाल’ – शीर्षक से ली गई हैं। इनमें कवि ने प्राकृतिक नियमों के साथ-साथ मानव की जिजीविषापर प्रकाश डाला है।
कवि का कहना है कि ध्वंस तथा निर्माण सदा से होता रहा है। मनुष्य अपनी जिजीविषा के सहारे सृजन करता रहता है। जैसे नदी का मीठा जल निर्माण का प्रतीक है क्योंकि इस जल को पीकर मनुष्य जीवन धारण करता है तथा नव सृजन के लिए तत्परहोता है। समुद्र का जल खारा होता है। यह विनाश या ध्वंस का प्रतीक है। मनुष्य यह जल पीकर जीवन धारण नहीं कर सकता। समय आने पर ऋतु स्वयं आ जाती है। अर्थात् ऋतु अपने नियम के अनुसार परिवर्तन लाती रहती है और प्रकृति में नव जीवन का संचार कर देती है। तात्पर्य कि जिजीविषा के कारण ही यह सृष्टि गतिमान है।
जाड़े इतने सुस्त-रफ्तार क्यों होते हैं
और दूसरी कटाई की घास इतनी चंचल उड्डीयमान ?
कैसे जानती हैं जड़ें
कि उन्हें उजाले की ओर चढ़ना ही है ?
अर्थ-कवि प्रकृति में होनेवाली दो असमान घटनाओं के बारे में जानना चाहता है कि जाड़ का ऋतु मंद-गति से गुजरती है। तात्पर्य यह है कि जाड़े में अर्थात् इच्छाशक्ति मद होने पर विकास कम होता है जबकि जिजीविषा के फलस्वरूप मानव विकास की सीढ़ी पर तेजी से आगे बढ़ता है। जैसे कटी घास हवा का संयोग पाकर उड़ती हुई प्रतीत होती है । किस प्रकार जड़ें धरती से रस प्राप्त कर पेड़-पौधों में जीवन प्रदान करती हैं। तात्पर्य कि मानव जिजीविषा के भाव के कारण नव-निर्माण के लिए प्रेरित होता है।
व्याख्या–प्रस्तुत पंक्तियाँ पाब्लो नेरुदा द्वारा विरचित कविता ‘कुछ सवाल’ शीर्षक से ली गई हैं। इसमें कवि ने मानव की जिजीविषा की विशेषताओं पर प्रकाश डाला है।
कवि का विश्वास है कि मनुष्य जिजीविषा के बल पर सृष्टि का निर्माण करता रहा है। उत्थान-पतन, ध्वंस-निर्माण प्रकृति का नियम है। दोनों अपने-अपने नियम के अनुसार चलते रहते हैं। ध्वंस के बाद मनुष्य अपनी सुख-सविधा के लिए नए निर्माण में जुट जाता है। कवि अपना विश्वास प्रकट करते हुए कहता है कि जिजीविषा मानव जीवन की ऊर्जा है। जैसे जडें धरती से इसी कामना से रस ग्रहण करती हैं कि एक दिन उसे उजाले की ओर चढ़ना है अर्थात् उससे शाखाओं को विकास पाना है। तात्पर्य कि जो मनुष्य दढता के साथ कर्मपथ पर आरूढ़ हो जाता है, उसका जीवन निश्चय ही सुखमय हो जाता है।
और फिर बयार का स्वागत
‘ऐसे रंगों और फूलों से करना ?
क्या हमेशा वही वसंत होता है,
वही किरदार फिर दुहराता हुआ ?
अर्थ- कवि जानना चाहता है कि निर्माण के बाद सारा वातावरण वैसा ही हो जाता है जैसा ध्वंस के पहले था। कवि अपना विश्वास प्रकट करते हुए कहता है कि हर ध्वसके बाद मानव अपनी जिजीविषा के सहारे पहले जैसा ही निर्माण कर लेता है। जिस प्रकार वसंत के आने पर प्रकृति अपने सारे सौन्दर्य के साथ प्रस्तुत हो जाती है और यह परिवर्तन हर वसंत में होता है, उसी प्रकार ध्वंस तथा निर्माण कार्य चलते रहते हैं। अतएव अनुकूलवातावरण का निर्माण होते ही मनुष्य की आशा बलवती हो जाती है और वैसे वातावरणको सभी सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं।
व्याख्या– प्रस्तुत पंक्तियाँ पाब्लो नेरूदा द्वारा लिखित ‘कुछ सवाल’ शीर्षक कविता – से ली गई हैं। इनमें कवि ने वातावरण के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।
कवि का मानना है कि वातावरण किसी भी नए सृजन का आधार है। अनुकूल । वातावरण में ही व्यक्ति विकास करता है अथवा एक नया संसार बसाता है । अतएव व्यक्तिअनुकूल वातावरण का हृदय से स्वागत करते हैं क्योंकि व्यक्ति अनुकूल वातावरण में ही जीवन के मर्म को समझता है अथवा महान पद पर आसीन होने में सफल होता है। इसलिए कोई भी व्यक्ति, समाज अथवा देश उपयुक्त वातावरण पाकर ही पूज्य बनता है।
जैसे—बसंत के आने पर बयार का स्वागत अनेक रंगों तथा फूलों से इसलिए किया जाता है, क्योंकि बयार वातावरण को मधुमय बना देते हैं, वैसे ही मनुष्य की अदम्य जिजीविषामें वातावरण ऐसा बन जाता है कि सभी हृदय से उसका स्वागत करते हैं। वसंत की भूमिका सदा एक-सी रहती है । बयार अर्थात् वातावरण ही स्वागत योग्य बना देते हैं।
अभ्यास के प्रश्न और उनके उत्तर
कविता के साथ :
प्रश्न 1. समुद्र के खारेपन तथा नदियों के मीठेपन को इंगित कर कवि प्रकृति के किस सत्य से परिचित कराना चाहता है ?
उत्तर—समुद्र के खारेपन तथा नदियों के मीठेपन के माध्यम से कवि प्रकृति के इस सत्य को उद्घाटित करना चाहता है कि प्रकृति में दो असमान परिस्थिति सदा से आती रही है। तात्पर्य कि विध्वंस-निर्माण, उत्थान-पतन, सुख-दुःख तथा जीवन-मरण प्रकृति के शाश्वत नियम हैं। यथा सूर्योदय के बाद सूर्यास्त होता है, दिन के बाद रात होती है, वैसे ही समुद्र के खारेपन तथा नदियों के मीठेपन प्रकृति के ही नियम हैं । कवि मनुष्य की जिजीविषा की ओर संकेत करता है ।
प्रश्न 2. कवि अपने सवालों के माध्यम से प्रकृति में होने वाली दो असमान घटनाओं- विध्वंस और निर्माण को साथ दिखलाता है । पठित कविता से कुछ उदाहरण देकर इसे अपने शब्दों में समझाइए ।
उत्तर—कवि ने नदियों के मीठेपन तथा समुद्र के खारेपन और जाड़े के सुस्त रफ्तार एवं कटी घास को उड़ता हुआ दिखाकर यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि प्रकृति में दोनों घटनाएँ होती ही रहती है। अतः कवि के कहने का तात्पर्य है कि जिस प्रकार विध्वंस और निर्माण प्रकृति के नियम हैं उसी प्रकार मानव जीवन में दो असमान परिस्थिति का आना स्वाभाविक है । क्योंकि विनाश के बाद ही नव निर्माण होता है ।
प्रश्न 3. इस कविता को पढ़कर आपको क्या संदेश मिला ?
उत्तर – इस कविता को पढ़कर हमें यही संदेश मिला कि मनुष्य अपनी अदम्य जिजीविषा के बल पर ही नए-नए सृजन के लिए तत्पर होता है । कोई दुःखी व्यक्ति सुख की प्राप्ति हेतु प्रयत्न करता है तथा अति सुख की दशा में अकर्मण्य बन दुःख का मार्ग प्रशस्त कर लेता है। तात्पर्य कि मानव जीवन में एकरूपता नहीं रहती । सुख तथा दुःख, हँसी तथा रूदन, सम्मान तथा अपमान प्रकृति के शाश्वत सत्य हैं जो जीवन में आते-जाते ही रहते हैं ।
प्रश्न 4. कवि ने प्रकृति को शक्ति कहा है- “ऋतुओं को कैसे मालूम पड़ता है कि अब पलकें बदलने का वक्त आ गया है?” इस पंक्ति में प्रकृति के किस प्रकार के बदलाव को कवि ने प्रकट करना चाहा है?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति के द्वारा कवि ने प्राकृतिक परिवेश के बदलाव को प्रकट करना चाहा है । कवि का मानना है कि बसंत के आगमन होते ही प्रकृति की बाँछें खिल उठती है। पुराने पत्ते झड़ जाते हैं। नव किसलय तथा अनेक रंगों के फलों से सजी प्रकृति हर प्राणी के मन में नए उल्लास का संचार कर देती है। अतः कवि के कहने का भाव है कि पतझड़ के बाद ही बसंत आता है। अर्थात् विध्वंस के बाद ही निर्माण होता है। यही प्रकृति का शाश्वत नियम है।
प्रश्न 5. ‘कुछ सवाल’ शीर्षक कहाँ तक सार्थक है ? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए ।
उत्तर – प्रस्तुत कविता का शीर्षक ‘कुछ सवाल’ पूर्ण सार्थक है, क्योंकि इस कविता के माध्यम से कवि प्रकृति में होनेवाली दो असमान घटनाओं— विध्वंस तथा निर्माण को साथ-साथ दिखाते हुए मनुष्य की अदम्य जिजीविषा के महत्त्व को उद्घाटित किया है कवि का कहना है कि मानव जीवन में अर्थात् प्रकृति में परिवर्तन होते रहते हैं । लेकिन मनुष्य इस परिवर्तन से विचलित नहीं होता । वह इस विश्वास से आगे बढ़ता है कि अंततः जड़ों को उजाले की ओर चढ़ना है तथा बयार का स्वागत अनेक रंगों और फूलों से करना है। अतः ‘कुछ सवाल’ शीर्षक पूर्णतः सार्थक है क्योंकि इसी के माध्यम से कवि ने, जीवन के सारे रहस्यों को जानने का प्रयास किया है।
प्रश्न 6. क्या बसंत हर व्यक्ति या परिवेश या परिस्थिति के लिए एक जैसा होता है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए ।
उत्तर—बसंत हर व्यक्ति या परिवेश या परिस्थिति के लिए एक जैसा नहीं होता है । यह प्रेमी जनों के प्रेम को उद्दीप्त करता है तो दुखी जनों के हृदय में टीस पैदा कर देता है । प्राकृतिक सौंदर्य देखकर वियोगीजन वियोग की ज्वाला में जलने लगते हैं। तात्पर्य कि बसंत सौन्दर्य का प्रतीक होता है। इसमें साधन-सम्पन्न सुख या आनंद के भाव से -आलोड़ित हो उठते हैं, जबकि भूख अथवा दुःख से पीड़ित मानव की पीड़ा या व्यथा प्रखर हो जाती है। कहने का भाव है कि बसंत एक के लिए प्रसन्नता प्रदान करने वाला होता है तो विपरीत परिस्थिति में दुःखदायी प्रतीत होता है ।
प्रश्न 7. भाव स्पष्ट करें :
(क) ‘कैसे जानती हैं जड़ें
कि उन्हें उजाले की ओर चढ़ना है।
भाव — इन पंक्तियों के माध्यम से कवि यह स्पष्ट करना चाहता है कि अंधकार के बांद प्रकाश फैलता ही है। मिट्टी के अंदर रहने वाली जड़ें जानती हैं कि उसी के द्वारा प्राप्त रसों को पाकर वृक्ष पल्लवित – पुष्पित होंगे । अर्थात् हृदय में उमड़ता-घुमड़ता भाव प्रकट होकर मानव जीवन को एक नया संदेश देगा ।
(ख) क्या हमेशा वही बसंत होता है,
वही किरदार फिर दुहराता हुआ ?
भाव — कवि के कहने का भाव यह है कि प्रकृति सदा समान व्यवहार करती है, चाहे वह विध्वंस का हो अथवा निर्माण का हो। उसी प्रकार वसंत एक सी भूमिका निभाता है । उसमें कोई नया परिवर्तन नहीं होता ।
नोट : कविता के आस-पास के प्रश्नों के उत्तर छात्र स्वयं तैयार करें।
भाषा की बात (व्याकरण संबंधी प्रश्न एवं उत्तर )
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें
समुद्र, बयार, फूल
उत्तर : समुद्र – सागर, जलनिधि, जलधि
बयार – वायु, पवन, अनिल
फूल – पुष्प, प्रसून, सुमन ।
प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिख :
मीठा, पाना, स्वागत, बसंत, चढ़ना, सवाल
उत्तर : मीठा— नमकीन, खट्टा
स्वागत——अपमान
चढ़ना — उतरना
पाना— गंवाना
बसंत—पतझड़
सवाल-जवाब
प्रश्न 3. वचन बदलें
नदियाँ, घास, जड़ें
उत्तर : नदियाँ— नदी
घास—घासें
जड़ें – जड़
प्रश्न 4. निर्देशानुसार उत्तर दें :
(क) जाड़े इतने सुस्त- रफ्तार क्यों होते हैं ? (विशेषण बताएँ)
(ख) और फिर बयार का स्वागत ऐसे रंगों और फूलों से करना है। (अव्यय बताए)
(ग) ‘स्वागत’ का संधि-विच्छेद करें |
(घ) तो समुद्र अपना नमक कहाँ से पाता है ? (कारक बताएँ)
उत्तर—(क) सुस्त, (ख) फिर, (ग) सु + आगत, (घ) ‘अपना’ संबंध कारक ।
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