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Class 9th Physics ( भौतिकी ) Chapter 5. कार्य, ऊर्जा तथा शक्ति | Karya Urja Tatha Shakti Class 9th Science Notes in Hindi

October 14, 2023 by Leave a Comment

Karya Urja Tatha Shakti Class 9th Science Notes in Hindi

5. कार्य, ऊर्जा तथा शक्ति

भूमिका
सभी सजीवों को भोजन की आवश्यकता होती है। जीवित रहने के लिए सजीवों को अनेक मूलभूत गतिविधियां करनी पड़ती है इन गतिविधियों को हम जैव प्रक्रम कहते हैं।

जैव प्रक्रम को संपादित करने के लिए सजीवों को ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो भोजन से प्राप्त करते हैं।

मशीनों को भी कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिसके लिए डीजल एवं पेट्रोल का उपयोग किया जाता है।

कार्य— किसी पिंड पर किया गया कार्य उस पर लगाए गए बल के परिणाम व बल की दिशा में उसके द्वारा तय की गई दूरी के गुणनफल से परिभाषित होता है।

कार्य = बल  विस्‍थापन

कार्य एक अदिश राशि है।

हमारी कौन-सी क्रिया कार्य हैं—

मान लीजिए कि आप एक बहुत बड़े चट्टान को बल लगाकर धकेल रहे हैं यदि आपके लाख प्रयत्न के बावजूद भी चट्टान नहीं हिलता है तो यह कार्य नहीं माना जाएगा। क्योंकि लगाए गए बल से वस्तु का विस्थापन नहीं हुआ जबकि ऊर्जा बहुत अधिक व्यय हुआ।

हम दैनिक जीवन में बहुत से शारीरिक एवं मानसिक कार्य करते हैं जैसे मैदान में खेलना, मित्रों से बातचीत करना, किसी धून को गुनगुनाना, सिनेमा देखना, किसी विषय पर गहन विचार-विमर्श करना, परंतु यह सभी कार्य नहीं समझा जाएगा।

कार्य के वैज्ञानिक संकल्पना

प्रश्‍न— जब हम किसी वस्तु पर बल लगाकर उसे भी विस्थापित करते हैं तो वह क्रिया कार्य माना जाएगा। उदाहरण : एक व्यक्ति 100 न्‍यूटन बल लगाकर एक पत्थर को 3 मीटर तक भी विस्थापित करता है तो उसके द्वारा किया गया कार्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर : उसके द्वारा किया गया कार्य 300 जूल होगा।

कार्य होने के दो आवश्यक दशाएं हैं—
(क) वस्तु पर कोई बल लगना चाहिए।
(ख) वस्तु विस्थापित होनी चाहिए।

यदि वस्तु पर लगने वाला बल शून्य है या वस्तु का विस्थापन शून्‍य हैं अथवा दोनों शून्‍य हैं तो किया गया कार्य भी शून्‍य होगा।

ऊर्जा— कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं

यदि वास्तव में कार्य करने की क्षमता है तो यह कहा जाता है कि वस्तु में ऊर्जा है। ऊर्जा का SI मात्रक कार्य के SI मात्रक होता है यानी ऊर्जा का SI मात्रक जूल होता है।

किस बल के किसी वस्तु पर लगने से वस्तु की चाल बढ़ सकती है उसकी स्थिति और आकृति बदल सकती है। कोई गतिमान वस्तु दूसरी वस्तु को गति मेला सकता है जैसे चल रहा है कोई गेंद किसी इस्तीर गेंद पर टक्कर मारकर उसे लुढ़का देता है अतः गतिमान वस्तु में कार्य करने की क्षमता होती है

ऊर्जा दो प्रकार की होती है—
(क) गतिज ऊर्जा और (ख) स्थितिज ऊर्जा

गतिज ऊर्जा की परिभाषा : किसी वस्तु को उसकी गति के कारण कार्य करने की जो क्षमता होती है उसे उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं।

बंदूक से छोड़ी गई गोली, धनुष से छोड़ा गया तीर, गतिमान हथौड़ा, गिरती वर्षा की बूँदे, बहती हवा, नाचता लड्डू आदि गतिज ऊर्जा के उदाहरण हैं।

स्थितिज ऊर्जा की परिभाषा : किसी वस्तु को उसकी स्थिति या आकृति में परिवर्तन के कारण जो कार्य करने की क्षमता होती है। उसे उस वस्तु की स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।

मकान की छत पर रखी ईंट, धनुष की तनी हुई डोरी, लपेटी हुई कमानी, पहाड़ी पर स्थित जलाशयों के पानी आदि स्थितिज ऊर्जा के उदाहरण हैं।

गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा के योग को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।

ऊर्जा-संरक्षण का सिद्धांत

ऊर्जा-संरक्षण का सिद्धांत या नियम बताता है कि ऊर्जा न तो उत्‍पन्‍न की जा सकती हे और न ही नष्‍ट, किंतु एक रूप से दूसरे रूप में उसकाा रूपांतरण हो सकता है।

शक्ति— प्रति इकाई समय में किए गए कार्य के शक्ति कहते हैं। अर्थात, शक्ति कार्य करने की समय-दर है।

मान लिया कि कोई विद्यार्थी स्‍कूल की पहली मंजिल पर जाने के लिए सीढ़ी पर चढ़ रहा है। यदि वह धीरे-धीरे जाएगा तो कम थकेगा, परंतु यदि तेजी से जल्‍दी-जल्‍दी सीढ़ी पर चढ़कर जाएगा तो वह अधिक थकेगा। दोनों बार कार्य समान होता है, परंतु दोनों बार में समय भिन्‍न-भिन्‍न लगता है। हम कह सकते हैं कि पहली बार ऊपर चढ़ने की अपेक्षा दूसरी बार ऊपर चढ़ने में अधिक शक्ति लगी है।

बैल तथा ट्रैक्टर दोनों के द्वारा खेत की जुताई होती है, परंतु जितने समय में बै एक एकड़ खेत जोतता है उससे बहुत ही कम समय में ट्रैक्‍टर उतना ही खेत जोत देता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि ट्रैक्‍टर की शक्ति अधिक है।

Karya Urja Tatha Shakti Class 9th Science Notes in Hindi

प्रश्‍न 1. हम कब कहते हैं कि कार्य किया गया है ?
उत्तर: कार्य करने के लिए निम्न दो दशाओं का होना आवश्यक है—
1. वस्तु पर कोई बल लगना चाहिए।
2. वस्तु विस्थापित होनी चाहिए। यदि इनमें से कोई भी दशा पूरी नहीं होती तो कार्य नहीं किया गया। विज्ञान में हम कार्य को इसी दृष्टि से देखते हैं।

प्रश्‍न 2. 1 J कार्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर: 1 J किसी वस्तु पर किए गए कार्य की वह मात्रा है जब 1 N का बल वस्तु को बल की क्रियारेखा की दिशा में 1 m विस्थापित कर दे।

प्रश्‍न 3. किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा क्या होती है ?
उत्तर: किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं। प्रत्येक गतिशील वस्तु में गतिज ऊर्जा होती है। गतिशील कार, लुढ़कता हुआ पत्थर, उड़ता हुआ हवाई जहाज, बहता हुआ पानी आदि सभी में गतिज ऊर्जा विद्यमान होता है।

प्रश्‍न 4. शक्ति क्या है ?
उत्तर: कार्य करने की दर या ऊर्जा रूपान्तरण की दर को शक्ति कहते हैं। यदि कोई अभिकर्ता (एजेन्ट) t समय में w कार्य करता है तो शक्ति का मान होगा –
शक्ति = कार्य / समय
या P = W/t
शक्ति का मात्रक वाट है तथा इसका प्रतीक W है।

प्रश्‍न 5. 1 वाट शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर: 1 वाट उस अभिकर्ता (एजेन्ट) की शक्ति है जो 1 सेकण्ड में 1 जूल कार्य करता है। हम यह भी कह सकते हैं कि यदि ऊर्जा के उपयोग की दर 1 Js-1 हो तो शक्ति 1 W होगी।
1 वाट = 1 जूल / सेकण्ड

1 W = 1 Js-1

प्रश्‍न 6. हरे पौधे खाना कैसे बनाते हैं ?
उत्तर: हरे पौधों में हरित लवक (क्लोरोफिल) होता है जो कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल का उपयोग कर व सूर्य की रोशनी से ऊर्जा लेकर भोजन का निर्माण करता है। इस क्रिया को फोटोसिन्थेसिस या प्रकाशसंश्‍लेषण कहते हैं।

प्रश्‍न 7. हरे पौधे को ऊर्जा कहाँ से प्राप्त होती है ?
उत्तर: उन्हें ऊर्जा सूर्य की रोशनी से प्राप्त होती है।

प्रश्‍न 8. वायु एक स्थान से दूसरे स्थान को क्यों बहती है?
उत्तर: वायु उच्च दाब से निम्न दाब वाले क्षेत्र की ओर बहती है। गर्म हवा हल्की होती है और वह ऊपर उठ जाती है और उसका स्थान ठंडी हवा ले लेती है। इसी प्रकार हवा का बहाव होता रहता है।

प्रश्‍न 9. कोयला तथा पेट्रोलियम जैसे ईंधन कैसे । बने?
उत्तर: कोयला तथा पेट्रोलियम जैसे ईंधन फॉसिल (fossil) ईंधन है। ये कई सौ वर्ष पूर्व मृत पादपों पर दाब के कारण उत्पन्न हुए हैं।

प्रश्‍न 10. किस प्रकार के ऊर्जा रूपान्तरण जल चक्र को बनाए रखते हैं ?
उत्तर: जल चक्र में सौर ऊर्जा द्वारा पृथ्वी की सतह पर उपस्थित जल का वाष्पीकरण होता है। जब जलवाष्प बादलों में संघनित (condense).होती है तो अत्यधिक ऊर्जा, जो कि वाष्पित होने में ग्रहण की है, वातावरण को प्रदान करती है। वाष्पीकरण के दौरान जल वातावरण से ऊर्जा लेता है तथा वातावरण को ठण्डा कर देता है जबकि वाष्पित जल संघनित (condense) होकर वातावरण को ऊर्जा प्रदान करता है व उसे गर्म कर देता है। यही ऊर्जा का रूपान्तरण मौसम में बदलाव लाता है।

Karya Urja Tatha Shakti Class 9th Science Notes in Hindi

प्रश्‍न 11. ऊर्जा के रूपातंरण के उदाहरण लिखें।
उत्तर:
1. टोस्टर विद्युत ऊर्जा को ऊष्मीय ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
2. ब्लैडर विद्युत ऊर्जा को मशीनी ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
3. सूर्य नाभिकीय ऊर्जा को विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
4. हमारा शरीर खाने से प्राप्त रासायनिक ऊर्जा को मशीनी व विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित करता है जिसके कारण हम चल पाते हैं।
5. प्राकृतिक गैस चूल्हा जलने से प्राप्त रासायनिक ऊर्जा को ऊष्मीय ऊर्जा में रूपान्तरित करता है जिससे खाना बनता है।
6. विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
7. डायनेमो या जनित्र यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
8. शेल या बैट्री रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
9. विद्युत बल्‍ब विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में बदलता है।
10. विद्युत हीटर विद्युत ऊर्जा को ऊष्‍मा उर्जा में परिववर्तित करता है।

प्रश्‍न 12. मुक्त रूप से गिरते हुए पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है। क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करती है ? कारण बताइए।
उत्तर: नहीं, इस प्रक्रम में ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता। क्योंकि जब कोई वस्तु गिरती है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है। स्थितिज ऊर्जा में कमी गतिज ऊर्जा में बढ़त के बराबर होती है। इस प्रक्रम में कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है। अत: ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता।

प्रश्‍न 13. जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन से ऊर्जा रूपान्तरण होते हैं ?
उत्तर: साइकिल चलाते समय चलाने वाले की पेशीय ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा व साइकिल की गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित होती है। ऊष्मीय ऊर्जा चालक के शरीर को गर्म करती है व गतिज ऊर्जा साइकिल को गति प्रदान करती है। ऊर्जा रूपान्तरण को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है

पेशीय ऊर्जा → ऊष्मीय ऊर्जा + गतिज ऊर्जा
इस पूरे प्रक्रम में कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है।

प्रश्‍न 14. जब आप अपनी सारी शक्ति लगाकर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं और इसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है ? आपके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा कहाँ चली जाती है?
उत्तर: जब हम एक चट्टान को धकेलने की कोशिश करते हैं तो हमारी पेशीय ऊर्जा का चट्टान पर स्थानान्तरण नहीं होता। ऊर्जा का व्यय भी नहीं होता क्योंकि पेशीय ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है जिसके कारण हमारा शरीर गर्म हो जाता है।

प्रश्‍न 15. मुक्त रूप से गिरता एक पिण्ड अंततः धरती तक पहुँचने पर रुक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है?
उत्तर: जब कोई पिण्ड मुक्त रूप से धरती पर गिरता है तब उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है। उसकी स्थितिज ऊर्जा कम होती है व गतिज ऊर्जा बढ़ती है। जब पिण्ड धरती पर पहुँचने वाला होता है तो ऊँचाई h = 0 तथा इस अवस्था में वस्तु का वेग अधिकतम होगा। अत: गतिज ऊर्जा अधिकतम तथा स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम होगी। किन्तु जैसे ही पिण्ड धरती को स्पर्श करेगा, उसकी गतिज ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा व ध्वनि में रूपान्तरित हो जाती है। यह पृथ्वी के तल को नुकसान भी पहुंचा सकता है यदि इसकी गतिज ऊर्जा काफी अधिक है या पृथ्वी का तल नर्म है।

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