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इटली का एकीकरण : Itli Ka Ekikaran

April 23, 2022 by Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग विश्‍व इतिहास के इटली के एकीकरण (Itli Ka Ekikaran) के बारे में जानेंगें। जो कक्षा 10 के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए काफी महत्‍वपूर्ण है।

Itli Ka Ekikaran

एकीकरण का अर्थ- एकजुट होना।
इटली के एकीकरण में बहुत सारी धार्मिक, राजनीतिक और भौगोलिक समस्याएँ थी।
इसके अलावा आर्थिक और प्रशासनिक समस्याएँ भी मौजूद थीं। साथ ही विदेशी राष्ट्र ऑस्ट्रीया का हस्तक्षेप था।
इसके एकीकरण में नेपोलियन ने भी मख्य भूमिका निभाई तथा राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।
नेपोलियन के पतन (1814) के बाद वियना काँग्रेस (1815) द्वारा इटली को पुराने रूप में लाने के उद्देश्य से इटली के दो राज्यों पिडमाउण्ट और सार्डिनिया का एकीकरण कर दिया।
इस प्रकार इटली के एकीकरण की दिशा तय होने लगी।
यहाँ 1820 में नागरिक आंदोलन भी हुए।
इटली में एक गुप्त दल ‘कार्बोनरी‘ का गठन राजतंत्र को समाप्त करने के उद्देश्य से किया गया, जो छापामार युद्ध करती थी।
फ्रांस की 1830 की क्रांति से प्रभावित होकर इटली में भी नागरिक आंदोलन हुए लेकिन इसे ऑस्ट्रया के चांसलर मेटनरिख के द्वारा दबा दिया गया।
नागरिक आंदोलन का उपयोग कर मेजिनी उत्तरी तथा मध्य इटली को एकीकृत कर एक गणराज्य बनाना चाहता था, लेकिन मेटरनिख ने इन आंदोलनों को दबा दिया।
फलस्वरूप मेजिनी को इटली से पलायन करना पड़ा।
मेजिनी ‘कोर्बोनरी‘ दल का सदस्य था।
इटली के एकीकरण में मेजिनी का योगदान (Itli Ka Ekikaran)
मेजिनी साहित्यकार, गणतांत्रिक विचारों के समर्थक और योग्य सेनापति था।
मेजिनी में आदर्शवादी गुण अधिक और व्यावहारिक गुण कम थे।
1831 में उसने ‘यंग इटली‘ की स्थापना की, जिसने नवीन इटली के निमार्ण में महत्वपूर्ण भाग लिया।
इसका उद्देश्य इटली प्रायद्वीप से विदेशी हस्तक्षेप समाप्त करना तथा संयुक्त गणराज्य स्थापित करना था।
1834 में ‘यंग यूरोप‘ नामक संस्था का गठन कर मेजिनी ने यूरोप में चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन को भी प्रोत्साहित किया।
1848 में जब फ्रांस सहित पूरे यूरोप में क्रांति का दौर आया तो मेटरनिख को ऑस्ट्रीया छोड़कर जाना पड़ा।
इसके बाद इटली की राजनीति में पुनः मेजिनी का आगमन हुआ।
मेजिनी पूरे इटली का एकीकरण कर एक गणराज्य बनाना चाहता था, लेकिन सार्डिनिया-पिडमाउंट का शासक चार्ल्स एलबर्ट अपने नेतृत्व में सभी प्रांतो का विलय चाहता था।
पोप इटली को धर्मराज्य बनाना चाहता था।
इस तरह से विचारों के टकराव के कारण इटली के एकीकरण का मार्ग अवरूद्ध हो गया।
बाद में ऑस्ट्रीया द्वारा इटली के कुछ भागों पर आक्रमण किये जाने लगे जिसमें सार्डिनिया के शासक चार्ल्स एलबर्ट की पराजय हो गई।
ऑस्ट्रीया के हस्तक्षेप से इटली में जनवादी आंदोलन को कुचल दिया गया।
इस प्रकार मेजिनी की पुनः हार हुई और वह पलायन कर गया।
इटली के एकीकरण का द्वितीय चरण
इटली के एकीकरण के द्वितीय चरण में विक्टर इमैनुएल, काउंट कावूर तथा गैरीबाल्डी का अहम योगदान है।
विक्टर इमैनुएल :
1848 तक इटली में एकीकरण के लिए किए गए प्रयास असफल ही रहे।
इटली में सार्डिनिया-पिडमाउण्ट का नया शासक ‘विक्टर इमैनुएल‘ राष्ट्रवादी विचारधारा का था और उसके प्रयास से इटली के एकीकरण का कार्य जारी रहा।
अपनी नीतियां के लागू करने के लिए विक्टर ने ‘काउंट कावूर‘ को प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
काउंट कावूर :
कावूर एक सफल कुटनीतिज्ञ एवं राष्ट्रवादी था। वह इटली के एकीकरण में सबसे बड़ी बाधा ऑस्ट्रीया को मानता था।
इसलिए उसने ऑस्ट्रीया को पराजित करने के लिए फ्रांस के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया तथा क्रिमीया के युद्ध 1853-54 में फ्रांस के आग्रह के बिना शामिल हो गया।
युद्ध समाप्त होने के बाद पेरिस की शांति सम्मेलन में फ्रांस तथा ऑस्ट्रीया के साथ पिडमाउण्ट को भी बुलाया गया।
इस सम्मेलन में कावूर ने इटली में ऑस्ट्रीया के हस्तक्षेप को गैरकानूनी बताया।
इसने इटली की समस्या को सम्पूर्ण यूरोप की समस्या बना दिया।
फ्रांस के शासक नेपोलियन प्प्प् ने कावूर से एक संधि के तहत ऑस्ट्रीया के खिलाफ पिडमाउण्ट को सैन्य समर्थन देने का वादा किया।
1859-60 में ऑस्ट्रीया तथा पिडमाउण्ट में सीमा संबंधी विवाद के कारण युद्ध शुरू हो गया। इस युद्ध में फ्रांस ने इटली के समर्थन में अपनी सेना उतार दी।
इस प्रकार 1862 ई० तक दक्षिण इटली रोम तथा वेनेशिया को छोड़कर बाकी रियासतों का विलय रोम में हो गया और सभी ने विक्टर इमैनुएल को शासक माना।
गैरीबाल्डी :
गैरीबाल्डी पेशे से एक नाविक था और मेजिनी के विचारों का समर्थक था।
गैरीबाल्डी ने अपने कर्मचारियों तथा स्वयं सेवकों की सशस्त्र सेना बनायी।
उसने अपने सैनिकों को लेकर इटली के प्रांत सिसली तथा नेपल्स पर आक्रमण किये। इन रियासतों की अधिकांश जनता बूर्वों राजवंश के निरंकुश शासन से तंग होकर गैरीबाल्डी की समर्थक बन गयी।
गैरीबाल्डी ने यहाँ गणतंत्र की स्थापना की तथा विक्टर इमैनुएल के प्रतिनिधि के रूप में वहाँ को सत्ता सम्भाली।
1862 ई० में गैरीबाल्डी ने रोम पर आक्रमण की योजना बनाई, तो कावूर ने इसका विरोध किया। इसी बीच गैरीबाल्डी को भेंट कावूर से हुई और उसने रोम के अभियान की योजना त्याग दी। दक्षिणी इटली के जीते गए क्षेत्र को बिना किसी संधि के गैरीबाल्डी ने विक्टर इमैनुएल को सौंप दिया।
गैरीबाल्डी बिना शर्त के अपनी सारी सम्पिŸा राष्ट्र के नाम कर साधारण किसान की भांति जीवन जीने लगा।
1862 में गैरीबाल्डी के मत्यु के बाद रोम तथा वेनेशिया के रूप में शेष इटली का एकीकरण विक्टर इमैनुएल ने स्वयं किया।
1870-71 में फ्रांस और प्रशा के बीच युद्ध छिड़ गया जिस कारण फ्रांस के लिए पोप को संरक्षण प्रदान करना संभव नहीं था। विक्टर इमैनुएल ने इस परिस्थिति का लाभ उठाया।
इमैनुएल ने पोप के राजमहल को छोड़कर बाकी रोम को इटली में मिला लिया और उसे अपनी राजधानी बनायी।
इस प्रकार 1871 ई० तक इटली का एकीकरण मेजिनी, कावूर, गैरीबाल्डी जैसे राष्ट्रवादी नेताओं एवं विक्टर इमैनुएल जैसे शासक के योगदानों के कारण पूर्ण हुआ। Itli Ka Ekikaran

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