Bihar Board Class 7 Hindi हुएनत्सांंग की भारत यात्रा (Huenatsaanng Kee Bhaarat Yaatra Class 7th Hindi Solutions) Text Book Questions and Answers
18. हुएनत्सांग की भारत यात्रा
(बेलिन्दर एवं हरिन्दर धनौआ)
अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
पाठ से :
प्रश्न 1. हुएनत्सांग भारत क्यों आना चाहते थे ?
उत्तर – हुएनत्सांग भारत के नालंदा नामक महाविद्यालय के वृद्ध भिक्षुक शीलभद्र के साथ योगशास्त्र पर चर्चा करने के उद्देश्य से भारत आना चाहते थे। साथ ही, उन्हें बौद्ध एवं ब्राह्मण ग्रंथों के अध्ययन की उत्कट अभिलाषा थी । उस समय नालंदा विश्वप्रसिद्ध शिक्षा का केन्द्र था । यहाँ का धर्म, ज्ञान एवं दर्शन की पुस्तकें विश्वविख्यात थीं। इन्हीं विशेषताओं को जानने-समझने के लिए हुएनत्सांग भारत आना चाहते थे ।
प्रश्न 2. भारत आने में हुएनत्सांग को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ?
उत्तर – भारत आने में हुएनत्सांग को ऊँचे-ऊँचे पर्वत, सागर की भयंकर लहरों तथा चीनी नियमों का सामना करना पड़ा। क्योंकि उस समय चीन के कानून के मुताबिक लोगों को देश छोड़ने की आज्ञा नहीं थी । इसलिए हुएनत्सांग ने छिपे रूप में भारत की यात्रा की। इसके साथ ही, यहाँ के रास्ते के बारे में जानकारों ने कहा— पश्चिमी रास्ते मुश्किल और खतरनाक हैं। कभी रेत के तूफान रास्ता रोक देते हैं तो नर-पिशाचों तथा लू-लपट से भरे आँधी-तूफानों का खतरा भी है। इस प्रकार हुएनत्सांग को अनेक प्रकार के मानवी एवं प्राकृतिक कठिनाइयों का सामना करा पड़ा ।
प्रश्न 3. हुएन त्सांग और शीलभद्र के मिलन का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – हुएनत्सांग जब शीलभद्र के सामने आए तो उन्होंने घुटनों के बल बैठ कर श्रद्धापूर्वक उनके चरणों का चुम्बन किया और भूमि पर सिर रख दिया। इसके बाद वे नम्रतापूर्वक बोले- मैंने आपके निर्देश में शिक्षा ग्रहण करने के लिए चीन से यहाँ आया हूँ। मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप मुझे अपना शिष्य बना लें। यह सुनते ही शीलभद्र की आँखें भर आईं। उन्होंने कहा- हमारा गुरु-शिष्य का संबंध देव निर्धारित है । दुःखदायी बीमारी के कारण अपनी जीवन लीला समाप्त करने की मैंने इच्छा प्रकट की थी, किंतु तीन देवों के आग्रह पर मुझे मरने की इच्छा वापस लेनी पड़ी। देवों का आदेश था कि चीनी भिक्षुक को भली-भाँति शिक्षित करना । इन दोनों का मिलन अति आह्लादकारी था ।
प्रश्न 4. नालंदा का वर्णन हुएनत्सांग ने किन शब्दों में किया ?
उत्तर – नालंदा के विषय में हुएनत्सांग ने लिखा है कि मठ के चारों ओर ईंटों की दीवारें थीं। वहाँ आठ बड़े कक्ष थे। एक द्वार महाविद्यालय के रास्ते में खुलता था । भवन कलात्मक एवं बुर्जों से सुसज्जित था । वेधशालाएँ सुबह में कुहासे में छिप जाती थीं और ऊपरी कमरे बादलों में खोए प्रतीत होते थे । तालाबों के स्वच्छ जल में नील कमल खिले हुए थे। आम्रकुंजों से आम के बौर खुशबू बिखेर रहे थे। बाहरी सभी आँगनों में चार मंजिल कक्ष पुजारियों के लिए थे। लाल-मुगिया खंभों पर बेल-बूटे उकेरे गये थे। जगह- जगह रोशनदान बने थे। फर्श चमकदार ईंटों की बनी हुई थी। राजा पुजारियों का सम्मान करता था । सौ गाँवों के लगान को इस संस्थान को धर्मार्थ दिया करता था । यहाँ के भिक्षु विद्वान एवं दक्ष थे । मठ के कठोर नियम थे, जिनका पालन करना आवश्यक था। दिनभर अध्ययन-अध्यापन का कार्य होता था । दर्शनार्थी एवं शास्त्रार्थ करनेवालों को द्वारपाल के प्रश्नों का उत्तर देने के बाद ही प्रवेश करने की आज्ञा मिलती थी ।
पाठ से आगे :
प्रश्न 1. निम्नलिखित अंश ‘हुएन त्सांग’ के किस पक्ष को दर्शाता है ?
“जब तक मैं बुद्ध के देश में नहीं पहुँच जाता, मैं कभी चीन की तरफ मुड़कर भी नहीं देखूँगा । ऐसा करने में यदि रास्ते में मेरी मृत्यु हो जाए तो उसकी भी चिन्ता नहीं ।”
उत्तर – दिया गया अंश हुएन त्सांग के उस पक्ष को दर्शाता है, जो उन्हें बुद्ध के देश में आने को बेचैन करता था। बुद्ध के देश में पहुँचने में वे अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करते। वे किसी भी तरह बौद्ध और ब्राह्मण ग्रन्थों का अध्ययन करना चाहते थे । शीलभद्र जैसे बौद्ध विद्वान से मिलना एक अन्य पक्ष था ।
प्रश्न 2. आप अपने आस-पास के किसी धर्मिक, ऐतिहासिक स्थल पर जाइए और उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।
संकेत : छात्र शिक्षक के साथ किसी धार्मिक या ऐतिहासिक स्थल की यात्रा का कार्यक्रम बनावें और उस यात्रा में देखे गए स्थलों की विशेषताओं को लिखें ।
कुछ करने को :
प्रश्न 1. गया और नालंदा की तरह बिहार की कुछ प्रसिद्ध ऐतिहसिक स्थलों की सूची बनाइए ।
उत्तर – गया और नालंदा की तरह कुछ प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल हैं : राजगीर, वैशाली, पावापुरी, विक्रमशिला, सीतामढ़ी, अहिल्यास्थान, अम्बिकास्थान, मनेरशरीफ आदि ।
प्रश्न 2. अपने शिक्षकों/अभिभावकों से पता कीजिए कि बिहार में मेले कहाँ–कहाँ लगते हैं और वे क्यों प्रसिद्ध हैं?
उत्तर – बिहार में मेले हरिहर क्षेत्र, सीता जन्म स्थान, बनियापुर, बैकठपुर, राजगीर (मलमास मैला) आदि स्थानों पर लगते हैं ।
पाठ से महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. हुएन त्सांग ने सुमेरु पर्वत के संबंध में क्या कहा है?
उत्तर – हुएनत्सांग को लगा कि यह दैवी सुमेरु पर्वत महान समुद्र के मध्य में से उभरा है। यह पर्वत उन्हें सोना, चाँदी, रत्नों और जवाहरातों का बना हुआ सुंदर एवं विशाल लग रहा था ।
प्रश्न 2. टावर के संबंध में आदमी ने क्या कहा ?
उत्तर – टावर के सम्बंध में आदमी ने कहा कि इसके बाद पाँच सिग्नल टावर हैं। इन टावरों की निगरानी प्रहरी करता है जो बिना अनुमति के चीन से बाहर जाने वाले आदमी को नहीं जाने देता ।
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