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Class 9th Physics ( भौतिकी ) Chapter 6. ध्वनि | Dhwani Class 9th Science Notes in Hindi

October 14, 2023 by Leave a Comment

Dhwani Class 9th Science Notes in Hindi

6. ध्वनि

ध्‍वनि— अपने कान से हम जो कुछ सुनते हैं उसे ध्‍वनि कहते हैं।

ध्‍वनि की उत्‍पत्ति कंपन से होती है। ध्‍वनि तब तक उत्‍पन्न नहीं हो सकती जब तक किसी वस्‍तु में कंपन न हो।

ध्‍वनि का प्रत्‍येक स्‍त्रोत कंपन करती हुई वस्‍तु ही होती है।

ध्‍वनि के संचरण के लिए माध्‍यम की आवश्‍कता होती है। कोई भी ध्‍वनि हमारे कानों तक इसलिए पहुँचती है क्‍योंकि स्‍त्रोत और कान के बीच हवा है। जो माध्‍यम का कार्य कर रहा है।

प्रश्‍न 1. क्‍या चंद्रमा पर हम बात कर सकते हैं ?
उत्तर- चंद्रमा पर ध्‍वनि नहीं सुनी जा सकती है। इसका कारण है कि चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है। ध्‍वनि को एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक चलने के लिए माध्‍यम की आवश्‍कता होती है। इसलिए चंद्रमा पर कोई ध्‍वनि चल नहीं सकती है।

प्रश्‍न 2. किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है?
उत्तर: जब कोई वस्तु कम्पन करती है तो यह अपने चारों ओर विद्यमान माध्यम के कणों को कंपमान कर देती है। कंपमान वस्तु के सम्पर्क में रहने वाले माध्यम के कण अपनी सन्तुलित अवस्था से विस्थापित होते हैं। ये अपने समीप के कणों पर एक बल लगाते हैं जिसके फलस्वरूप निकटवर्ती कण अपनी विरामावस्था से विस्थापित हो जाते हैं। निकटवर्ती कणों को विस्थापित करने के पश्चात् प्रारम्भिक कण अपनी मूल अवस्थाओं में वापस लौट आते हैं। माध्यम में यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि ध्वनि हमारे कानों तक नहीं पहुँच जाती है।

Dhwani Class 9th Science Notes in Hindi

प्रश्‍न 3. आपके विद्यालय की घंटी ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?
उत्तर: घंटी आगे और पीछे तेज गति करती है जिस कारण वायु में संपीडन और विरलन की एक श्रेणी बन जाती है। यही संपीडन और विरलन ध्वनि तरंग बनाते हैं जो माध्यम से होकर संचरित होती है।

प्रश्‍न 4. ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें क्यों कहते हैं?
उत्तर:
ध्वनि तरंगों को संचरित होने के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। अतः उन्हें यान्त्रिक तरंगें कहा जाता है। ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों की गति द्वारा अभिलक्षित की जाती हैं।

प्रश्‍न 5. मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चन्द्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पायेंगे?
उत्तर : नहीं, क्योंकि ध्वनि तरंगों को संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। चन्द्रमा पर वायुमण्डल न होने के कारण ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम नहीं है। अतः हम अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि नहीं सुन पायेंगे।

प्रश्‍न 6. तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है?
(a) प्रबलता (b) तारत्व।

उत्तर:
(a) आयाम
(b) आवृत्ति।

प्रश्‍न 7. अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है—
(a) गिटार
(b) कार का हॉर्न।

उत्तर: गिटार का तारत्व कार के हॉर्न से अधिक है क्योंकि गिटार के तारों से उत्पन्न ध्वनि की आवृत्ति कार के हॉर्न से अधिक होती है। जितनी अधिक आवृत्ति होगी उतना अधिक तारत्व होगा।

प्रश्‍न 8. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति, आवर्तकाल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर: तरंगदैर्घ्य- दो क्रमागत संपीडनों (c) अथवा दो क्रमागत विरलनों (R) के बीच की दूरी तरंगदैर्घ्य कहलाती है। इसका SI मात्रक मीटर (m) है।

आवृत्ति – एकांक समय में होने वाले कुल दोलनों की संख्या को आवृत्ति (υ) कहते हैं। इसका SI मांत्रक हर्ट्ज (Hertz) है।

आवर्तकाल– किसी माध्यम में घनत्व के एक सम्पूर्ण दोलन में लिया गया समय ध्वनि तरंग का आवर्तकाल कहलाता है। इसे T अक्षर से निरूपित करते हैं। इसका SI मात्रक सेकण्ड (s) है।

आयाम– किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते हैं। इसे साधारण अक्षर A से निरूपित किया जाता है।

प्रश्‍न 9. आपके विद्यालय की घंटी ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?
उत्तर: घंटी आगे और पीछे तेज गति करती है जिस कारण वायु में संपीडन और विरलन की एक श्रेणी बन जाती है। यही संपीडन और विरलन ध्वनि तरंग बनाते हैं जो माध्यम से होकर संचरित होती है।

प्रश्‍न 10. ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें क्यों कहते हैं ?
उत्तर: ध्वनि तरंगों को संचरित होने के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। अतः उन्हें यान्त्रिक तरंगें कहा जाता है।

प्रश्‍न 11. मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चन्द्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पायेंगे?
उत्तर: नहीं, क्योंकि ध्वनि तरंगों को संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। चन्द्रमा पर वायुमण्डल न होने के कारण ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम नहीं है। अतः हम अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि नहीं सुन पायेंगे।

प्रश्‍न 12. कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं ?
उत्तर: कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार बनाई जाती हैं जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुँच जाए।

प्रश्‍न 13. सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परिसर क्या है ?
उत्तर: सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परिसर लगभग 20 Hz से 20,000 Hz है।

प्रश्‍न 14. निम्न से सम्बन्धित आवृत्तियों का परिसर क्या है ?
(a) अवश्रव्य ध्वनि
(b) पराध्वनि।

उत्तर: (a) अवश्रव्य ध्वनि- अवश्रव्य ध्वनि का परिसर 20 Hz से कम है।
(b) पराध्वनि- पराध्वनि का परिसर 20 kHz या 20,000 Hz से अधिक है।

प्रश्‍न 15. ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है ?
उत्तर: ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में श्रवण का संवेदन उत्पन्न करती है। ध्वनि विभिन्न वस्तुओं के कम्पन के कारण उत्पन्न होती है।

Dhwani Class 9th Science Notes in Hindi

प्रश्‍न 16. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है ?
उत्तर: ध्वनि तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समान्तर होता है। कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते लेकिन अपनी विराम अवस्था से आगे-पीछे दोलन करते हैं। अतएव ध्वनि तरंगें अनुदैर्घ्य तरंगें हैं।

प्रश्‍न 17. ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है ?
उत्तर: ध्वनि की गुणता (timbre) वह अभिलक्षण है जो किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे हमारे मित्र की आवाज पहचानने में हमारी सहायता करता है।

प्रश्‍न 18. तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है ?
उत्तर: ध्वनि की गति (344 m/s) प्रकाश की गति (3 x 108 m/s) की तुलना में कम है। अतः तड़ित की गर्जन पृथ्वी तक पहुँचने में उसकी चमक से ज्यादा समय लेती है। यही कारण है कि हमें तड़ित की चमक दिखाई देने के कुछ सेकण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है।

प्रश्‍न 19. क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं? इन नियमों को बताइए।
उत्तर: ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश तरंगें करती हैं। ध्वनि के आपतन होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा, परावर्तक सतह पर खींचे गए अभिलम्ब से समान कोण बनाते हैं और ये तीनों एक ही तल में होते हैं।

प्रश्‍न 20. ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर: ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग—
(1) ध्वनि तरंगों के परावर्तन का उपयोग सोनार में किया जाता है। सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसमें जल में स्थित पिण्डों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।

(2) स्टेथोस्कोप में भी ध्वनि तरंगों के परावर्तन का उपयोग होता है। स्टेथोस्कोप में रोगी के हृदय की धड़कन की ध्वनि, बार-बार परावर्तन के कारण डॉक्टर के कानों तक पहुँचती है।

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