Bihar Board Class 8 Hindi दीनबंधु ‘निराला’ (Deenbandhu ‘Nirala’ Class 8th Hindi Solutions) Text Book Questions and Answers
15. दीनबंधु ‘निराला’
(आचार्य शिवपूजन सहाय)
अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
पाठ से :
प्रश्न 1. निराला को ‘दीनबंधु’ क्यों कहा गया है ?
उत्तर – निराला ने जीवनभर दीन-दुखियों की सेवा की। जहाँ कहीं भी उन्हें दीन–दुखी मिल जाते, वे पूरी आत्मीयता से उनकी सहायता करते थे। वे गरीबों के सच्चे मित्र थे। दीनबंधु ईश्वर को कहा जाता है। दीनों की चिंता करनेवाला भी उसी दीनबंधु के समान हो जाता है– “जो रहीम दीनहिं लखै दीनबंधु सम होय ।” इसीलिए निराला को दीनबंधु कहा गया है।
प्रश्न 2. निराला संबंधी बातें लोगों को अतिरंजित क्यों जान पड़ती हैं?
उत्तर – आधुनिक युग में कोई निराला की तरह दीन-दुखियों का सच्चा मित्र नहीं मिलेगा। वे खुद मामूली कपड़ों में गुजर कर गरीबों को अपना नया कपड़ा, कंबल इत्यादि दान कर देते थे । अपना सब कुछ देकर वे मस्तमौला फकीर बन जाते थे । वे अपने सामने परोसी हुई थाली तक किसी भूखे को दे देते थे। आज के युग में भला कौन ऐसा मिलेगा। इसीलिए आज निराला संबंधी बातें लोगों को अतिरंजित जान पड़ेंगी।
प्रश्न 3. निम्न पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए :
(क) “जो रहीम दीनहिं लखै, दीनबंधु सम होय ।”
उत्तर – कवि रहीम ने दीनबंधु के विषय में अपना विचार प्रकट करते हुए कहा है कि जो दीनदुखियों की सहायता के लिए सदा तत्पर रहता है, दीनबंधु भगवान के समान होता है। निरालाजी इसके ज्वलंत प्रमाण थे । उन्होंने दीन-दुखियों के लिए ही शरीर धारण किया था। उनका काम ही था, कलकत्ता की सड़कों पर बिलखते भूखों-नंगों के बीच भोजन तथा वस्त्र बाँटना । उन्हें दुःखियों का दर्द सहन नहीं होता था, इसलिए अपने शरीर पर से कपड़े भी उतारकर दे देते थे । अतः निरालाजी सच्चे अर्थों में दीनबंधु थे ।
(ख) “पुण्यशील के पास सब विभूतियाँ आप ही आप आती हैं ।”
उत्तर – लेखक के कहने का भाव है कि जो व्यक्ति उदार अथवा सहयोगी प्रवृत्ति का होता है, उसके पास सारी विभूतियाँ स्वतः आ जाती है। इसका मुख्य कारणं यह होता है कि ऐसा व्यक्ति निःस्वार्थी एवं पुण्यशील आचरण का होता है, इसलिए हर कोई श्रद्धा की दृष्टि से देखता है । निरालाजी इसी आचरण के व्यक्ति थे । उन्होंने दीनबंधुता को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था। इसी का परिणाम है कि मृत्यु के बाद भी उनका सादर स्मरण किया जा रहा है। यह उनके पुण्याचरण का प्रभाव है । इसीलिए लेखक ने कहा- पुण्यशील के पास सारी विभूतियाँ स्वतः आ जाती हैं।
(ग) “धन उनके पास अतिथि के समान अल्पावधि तक ही टिकने आता था ।”
उत्तर – लेखक ने निराला जी की विशेषता के बारे में बताया हैं कि वह अति उदार स्वभाव के व्यक्ति थे। वह अपनी कमाई दीनदुःखियों की सेवा में तथा जरूरतमंदों के सहयोग में खर्च कर देते थे। वह अपनी जरूरत से अधिक दूसरों की जरूरतों की पूर्ति करना आवश्यक समझते थे । इसी कारण धन उनके पास अतिथि के समान अल्पावधि तक ही टिकने आता था ।
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