Bihar Board Class 7 Hindi बूढ़ी पृथ्वी का दुख (Boodhee Prthvee Ka Dukh Class 7th Hindi Solutions) Text Book Questions and Answers
16. बूढ़ी पृथ्वी का दुख
(निर्मला पुतुल)
अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
पाठ से :
प्रश्न 1. निम्नलिखित पंक्तियों के अर्थ स्पष्ट कीजिए ।
(क) इस घाट अपने कपड़े और मवेशियाँ धोते
सोचा है कभी कि उस घाट
पी रहा होगा कोई प्यासा पानी
या कोई स्त्री चढ़ा रही होगी। किसी देवता को अर्घ्य ?
उत्तर – कवयित्री को वैसे लोगों के व्यवहार पर दुख हो रहा है जो जल को गंदा कर रहे हैं। जल ही जीवन है, ऐसी बात हर के मुँह से सुनने को तो मिलती है, लेकिन कपड़े धोकर, मवेशियों को नहलाकर, कूड़े-कचरे फेंककर, मृत्त पशुओं को बहाकर तथा कारखाने एवं नालियो के गंदे जल को बहाकर अमृत तुल्य जल में विप बोल रहे हैं वे यह भूल जाते हैं कि इसी जल को पीकर प्राणी प्यास बुझाते हैं तो भक्त अयं देते हैं। कवयित्री को ऐसे ही अविवेकशील मानव की दुर्बुद्धि पर खीझ होती है ।
(ख) अगर नहीं तो क्षमा करना ।
मुझे तुम्हारे आदमी होने पर संदेह है!
उत्तर – कवयित्री वैसे लोगों पर तरस खाती है जो स्वरूप से तो मानव जैसे हैं लेकिन उनका आचरण पशुओं से भी बदतर है। पशु भी अपने हित अनहित को समझता है, जिसमें सोचने-समझने की शक्ति नहीं होती । किन्तु ईश्वर ने जिस मानव को अच्छे- बुरे की समझ दी है, वह मानव अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए पेड़ों को काट कर, पहाड़ों को ढाहकर, नदियों में सड़े-गले पदार्थ फेंककर तथा जमीन में रासायनिक पदार्थों का उपयोग कर भूमि, जल, हवा सबको दूपित कर रहे हैं। कवयित्री वैसे लोगों से क्षमा–याचना करती हुई कहती है कि जिस मानव में अपने जीवन की रक्षा का ख्याल नहीं है, उसे मानव कैसे माना जा सकता है ।
प्रश्न 2. नदियों के रोने से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – नदियों के रोने से तात्पर्य है कि जिसका जल पीकर सारे प्राणी अपनी प्यास बुझाते हैं तथा देवताओं को जलदान करते हैं, उस अमृत जैसे जल को कपड़े धोकर, मवेशियों को नहला कर, कूड़े-कचड़े डालकर मृत पशुओं को बहाकर, कारखाने तथा नालियों का गंदाजल डालकर लोगों ने दूषित बना दिया है। प्रदूषण के कारण वर्षा कम होने लगी है जिस कारण नदियों की धारा सिकुड़ गई है और उसकी कल-कल ध्वनि में शिथिलता आ गई है। नदियों की धारा भी इसी संकुचनता तथा जल की अस्वच्छता को कवयित्री ने नदियों का रोना कहा है।
पाठ से आगे :
प्रश्न 1. पृथ्वी को बूढ़ी क्यों कहा गया है ?
उत्तर – पृथ्वी को बूढ़ी इसलिए कहा गया है क्योंकि जिस प्रकार बुढ़ापा आने पर व्यक्ति के चेहरे की चमक क्षीण पड़ जाती है और शिथिलता आ जाती है, उसी प्रकार धरती की शोभा पेड़, पर्वत, नदी मानव की क्रूरता के कारण नष्ट–भ्रष्ट हो गए हैं। इन प्राकृतिक उपादानों के विनाश के कारण धरतों का सौन्दर्य नष्ट हो गया है । इसीलिए पृथ्वी को बूढ़ी कहा गया है ।
प्रश्न 2. पेड़ का कटकर गिरना एवं पेड़ का टूटकर गिरना में क्या अंतर है ?
उत्तर – पेड़ का कटकर गिरना तथा पेड़ का टूटकर गिरना में यह अन्तर है कि पेड़ का कटकर गिरना मानवीय कृत्य है जबकि पेड़ का टूटकर गिरना प्राकृतिक कारण है। मानव को तो हम समझा-बुझा कर पेड़ काटने से रोक सकते हैं, लेकिन प्रकृति को रोकना किसी के बस में नहीं है । आँधी आने पर पेड़ टूटेंगे ही, जिसे कोई रोक नहीं सकता ।
प्रश्न 3. पृथ्वी को प्रदूषण से बचाने हेतु आप क्या कर सकते हैं?
उत्तर – पृथ्वी को प्रदूषण से बचाने के लिये हम अनेक उपाय कर सकते हैं। पेड़ कम काटेंगे और अधिक नये पेड़ लगाएँगे। नदियों और अन्य जल स्रोतों को प्रदूषित नहीं होने देंगे। सरकार पर दबाव डालकर कारखानों से कहेंगे कि अपने अवशिष्ट जल का शोधन कर ही नदियों में गिराएँ। शहरों की नालियों के गन्दे जल–मल को भी शोधित किया जाएगा और तब उन्हें नदियों में छोड़ जाएगा। नदी में पशुओं को नहलाने तथा शवों को बहाने पर रोक लगानी होगी ।
Read more – Click here
YouTube Video – Click here
Leave a Reply