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Class 9th Physics ( भौतिकी ) Chapter 3. बल तथा गति के नियम | Bal Tatha Gati Ke Niyam Class 9th Science Notes

October 12, 2023 by Leave a Comment

 Bal Tatha Gati Ke Niyam Class 9th Science Notes

3. बल तथा गति के नियम

बल (Force): बल एक प्रकार का धक्का या खिंचाव है जिसमें किसी वस्तु की अवस्था में परिवर्तन करने की प्रवृति होती है ।

दुसरे शब्दों में ;

किसी वस्तु पर लगने वाले धक्का, खिंचाव या चोट को बल कहते हैं। यानी खिंचने और धकेलने को बल कहते हैं। इसमें वस्तु में गति ला सकने की क्षमता होती है।

बल का S.I मात्रक न्यूटन (N) या kgms-2 होता है।

यह एक सदिश राशि है। इसमें परिमाण और दिशा दोनों होते हैं।

बल के कारण ही किसी वस्तु में गति आती है।

Bal Tatha Gati Ke Niyam Class 9th Science Notes

बल के प्रकार (Type of forces):

1. घर्षण बल (Friction force): यह वह बल है जो किसी वस्तु की गति की दिशा के विपरीत दिशा में कार्य करता है। यह दो सतहों के बीच कार्य करता है। घर्षण बल वस्‍तु के खुदरेपन पर निर्भर करता है।

उदाहरण:

(i) जब हम चलते हैं तो यह बल हमारे चप्पल या जूते और धरती के बीच कार्य करता है।

(ii) जब सड़क पर कोई कार दौड़ती है तो यह बल सड़क और टायर के बीच कार्य करती है।

घर्षण बल को कम करना

घर्षण बल को कम करने के लिए हम निम्न चीजों का उपयोग करते हैं :

(i) चिकनी गोली (Smooth marble) जैसे- चक्‍कों में में बॉल बैरिंग का उपयोग

(ii) चिकनी समतल (Smooth plane)

(iii) समतल की सतह पर चिकनाई युक्त पदार्थ (लुब्रिकेंट) का उपयोग

2. अभिकेन्द्रीय बल (Centripital force): जब कोई वस्तु वृतीय पथ पर गति करता है तो उसके केंद्र से उस पर एक बल लगता है जो उसे प्रत्येक बिंदु पर केंद्र की ओर खींचता है। इस बल को अभिकेन्द्रीय बल कहते हैं ।

3. चुम्बकीय बल (Magnetic force): चुम्बक द्वारा किसी चुम्बकीय धातु पर लगाया गया बल चुम्बकीय बल कहलाता है । अथवा विद्युत चुम्बक द्वारा अपने चारों फैले चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय धातु द्वारा बल का अनुभव करना ।

4. गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force): दो पिंडो के बीच लगने वाले बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते है । जैसे – पृथ्वी और सूर्य के बीच लगने वाला बल।

बल की प्रबलता के आधार पर बल दो प्रकार के होते हैं—

(i) संतुलित बल (Balanced force): किसी वस्तु पर लगने वाले अनेक बलों का यदि परिणामी बल शून्य हो तो ऐसे बल को संतुलित बल कहते हैं ।

(ii) असंतुलित बल (Unbalanaced force): किसी वस्तु पर लगने वाले सभी बालों का परिणामी बल शून्य नहीं है तो ऐसे बल को असंतुलित बल कहते हैं।

यदि किसी वस्तु पर असंतुलित बल लगाया जाता है तो वस्तु की चाल में या तो उसके गति की दिशा में परिवर्तन होता है।

किसी वस्तु की गति में त्वरण उत्पन्न करने के लिए असंतुलित बल की आवश्यकता होती है ।

वस्तु की चाल में परिवर्तन तब तक बनी रहेगी जब तक वस्तु पर असंतुलित बल लग रहा है ।

गति के नियम को प्रस्तुत करने का श्रेय महान वैज्ञानिक सर आइजक न्यूटन को जाता है । इन्होने ने गति के तीन नियम दिए जिसे न्यूटन का गति का नियम कहा है ।

(1) गति का प्रथम नियम (The First Law of Motion)

(2) गति का द्वितीय नियम (The Second Law of Motion)

(3) गति का तृतीय नियम (The Third Law of Motion)

(1) गति का प्रथम नियम (The First Law of Motion):

गति के प्रथम नियम के अनुसार;

“प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में बनी रहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल कार्यरत न हो।”

दुसरे शब्दों में: सभी वस्तुएँ अपनी अवस्था परिवर्तन का विरोध करती हैं।

न्‍यूटन के प्रथम नियम को गैलिलियो का या जड़त्‍व का नियम भी कहते हैं।

गति के प्रथम नियम से हमें यह पता चलता है कि किसी वस्तु पर असंतुलित बल लगाने से गति करता है। अर्थात किसी वस्तु पर असंतुलित बल लगाया जाय तो यह बल के कारण गति करता है ।

गति का प्रथम नियम यह बताता है कि किसी वस्तु पर लगने वाला असंतुलित बाह्य बल उसके वेग में परिवर्तन है और वस्तु त्वरित हो जाती है।

जड़त्व (Inertia):

परिभाषा (Defintion): किसी वस्तु के विरामावस्था में रहने या समान वेग से गतिशील रहने की प्रवृत्ति को जड़त्व कहते हैं। यही कारण है कि गति के पहले नियम को जड़त्व का नियम भी कहते हैं।

जड़त्व प्रत्येक वस्तु का गुण या प्रवृति है ।

जड़त्व को वस्तु के द्रव्यमान से मापा जाता है।

इसका मात्रक किलोग्राम (kg) होता है ।

भारी वस्तु का जड़त्व किसी हल्के वस्तु से अधिक होता है।

जड़त्व का नियम

विराम अवस्था की वस्तुएं विरामावस्‍था में ही बनी रहती है और गतिमान वस्तुएं गति की अवस्था में बनी रहती है। जब तक उस पर बाहरी बल ना लगाया जाए। इस नियम को जड़त्व का नियम कहते हैं।

जड़त्व के प्रकार : जड़त्‍व दो प्रकार का होता है।

1. विराम का जड़त्व— इस जड़त्‍व के कारण वस्‍तु की विरामावस्‍था में ही रहने की प्रवृति होती है।

2. गति का जड़त्व— इस जड़त्‍व के कारण वस्‍तु एक सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्‍था में अपनी गति की अवस्‍था को बनाए रखने की प्रवृति होती है।

विराम के जड़त्‍व का उदाहरण
1. कार में यात्रा— जब हम किसी कार में यात्रा करते हैं तो चलती हुई कार के सापेक्ष हमारा शरीर गति की अवस्था में रहता है परंतु जब ब्रेक लगाया जाता है तो गाड़ी के साथ-साथ सीट भी विराम अवस्था में आ जाता है परंतु हमारा शरीर जड़त्व के कारण गति की अवस्था में ही बना रहना चाहता है इसलिए हमारा शरीर ब्रेक लगने पर आगे की तरफ तेजी से झुकता है। इससे हमें गहरी चोट भी लग सकती है। यहां तक की मृत्यु भी हो सकती है। यही कारण है कि कार में यात्रा करते समय सुरक्षा बेल्ट का उपयोग करते हैं। सुरक्षा बेल्ट हमारे आगे बढ़ने की गति को धीमा करता है।

गति के जड़त्‍व का उदाहरण
चलती गाड़ी के अचानक रूकने पर उसके यात्री आगे की ओर झूक जाते हैं— चलती हुई बस या रेलगाड़ी के अचानक रूकने पर उसपर सवार व्‍यक्ति के पैर रुक जाते हैं, किंतु शरीर का ऊपरी भाग जड़त्‍व के कारण गति में बना रहता है। जिसके कारण गति की दिशा में यानी आगे की ओर झुक जाता है।

द्रव्यमान— किसी वस्तु में उपस्थित पदार्थ की मात्रा को उस वस्तु का द्रव्यमान कहते हैं। इसका SI मात्रक किलोग्राम (kg) होता है। द्रव्‍यमान किसी वस्तु के जड़त्व का माप होता है।

जिस वस्‍तु का द्रव्‍यमान अधिक होता है उसका जड़त्‍व भी अधिक होता है।

जड़त्‍व और द्रव्यमान में अंतर
जड़त्‍व किसी वस्तु का गुणिय प्रवृत्ति है जबकि द्रव्यमान किसी वस्तु में उपस्थित पदार्थ की मात्रा होता है।
किसी वस्तु के जड़त्व को उसके द्रव्यमान से मापा जाता है जबकि द्रव्‍यमान मान स्वयं ही माप है में आने वाला राशि है।

गति का दूसरा नियम
इस नियम द्वारा बल का समीकरण प्राप्‍त होता है। इसके अनुसार संवेग परिवर्तन की दर बल के समानुपाती होता है।

संवेग P1 = mv1
P2  = mv2
P = mv2 – mv1

गति का दूसरा नियम यह बताता है कि किसी वस्तु में उत्पन्न त्‍वरण इस पर लगाए गए बल पर निर्भर करता है तथा लगाए गए बल को मापने की विधि को बताता है। गति का द्वितीय नियम किसी वस्तु पर लगाए गए बल को ज्ञात करने का सूत्र प्रदान करता है यदि कोई वस्तु त्वरित होती है तो हम जानते हैं कि अधिक त्‍वरण प्राप्त करने के लिए अधिक बल लगाने की आवश्यकता होती है किसी वस्तु द्वारा उत्पन्न प्रभाव उसके द्रव्यमान और वेग पर निर्भर करता है जैसे हम हथौड़ी से किसी के ऊपर चोट मारते हैं तो चोट का प्रभाव कितना प्रबल होगा। यह हथोड़ी के द्रव्यमान और उसके वेग पर ही निर्भर करता है।

संवेग एक प्रकार की राशि है जिसे न्यूटन ने प्रस्तुत किया था परिभाषा : किसी वस्तु के द्रव्यमान वे के गुणनफल को कहते हैं। यह एक सदिश राशि है क्योंकि इसके परिणाम और दिशा दोनों होते हैं। इसकी दिशा वही होती है जो वेग की दिशा होती है। इसका SI मात्रक kgms-1 होता है

P = mv

गति का द्वितीय नियम या बताता है कि किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगने वाले बल की दिशा में बल के समानुपातिक होती है।

गति का द्वितीय नियम किसी वस्तु पर लगने वाले बल को मापने का नियम या विधि देता है।

Bal Tatha Gati Ke Niyam Class 9th Science Notes

हमारे दैनिक जीवन में संवेग में परिवर्तन की दर या बल को काम कैसे करें।
गति के द्वितीय नियम का दैनिक जीवन में प्रयोग

एक क्रिकेट खिलाड़ी बॉल लपकती समय अपना हाथ खींच लेता है— क्रिकेट मैच के दौरान मैदान में क्षेत्र रक्षक को तेज गति से आ रहे गेंद को लपकते समय हाथ को पीछे की ओर खींच लेता है। तेज घूमती बोल में उसके वेग के कारण संवेग की मात्रा अधिक होती है इसलिए बॉल में काफी बल होता है। समय को बढ़ाने के लिए क्षेत्र रक्षक हाथ पीछे खींच लेता है। इस प्रकार से क्षेत्र रक्षक गेंद के वेग को शून्‍य करने में अधिक समय लगाता है और गेंद में संवेग परिवर्तन की दर कम हो जाती है इस कारण तेज गति से आ रही गेंद पर प्रभाव हाथ पर कम पड़ता है। हाथ चोटिल होने से बच जाता है।

ऊंची छलांग के लिए स्‍पंज का उपयोग किया जाता है— ऊँची कूद का एक खिलाड़ी स्‍पंज के गद्दे पर गिरकर संवेग में परिवर्तन की दर को कम करता है, जिससे उसको चोट कम लगती है।

गति का तृतीय नियम

गति के तीसरे नियम के अनुसार जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तब दूसरी वस्तु द्वारा भी पहली वस्तु पर बल लगाया जाता है। यह दोनों बाल परिमाण में सदैव समान लेकिन दिशा में विपरीत होते हैं। इसका तात्पर्य है कि बल सदैव युगल रूप में होते हैं।

उदाहरण

नाव से उतरने पर नाव पीछे चली जाती है।

बंदूक से गोली चलाने पर झटका देती है।

रॉकेट नीचे की ओर बल लगाता है जिस कारण वह ऊपर की ओर जाता है।

तैरने में व्‍यक्ति जल को पीछे धकेलता है जिस कारण जल व्‍यक्ति को आगे की ओर धकेलता है।

क्रिया बल- जब किसी वस्तु पर कोई वस्तु बल लगाती है तो इस प्रकार लगने वाले बल को क्रिया बल कहते हैं। प्रतिक्रिया बल- जब कोई वस्तु किसी वस्तु पर लगाती है तो वह वस्तु भी विपरीत दिशा में बल लगाती है इस प्रकार विपरीत दिशा में लगने वाले बल को प्रतिक्रिया बल कहते हैं। क्रिया और प्रतिक्रिया हमेशा एक साथ लगते हैं।

संवेग संरक्षण का नियम

दो वस्तु का संयोग का योग टकराने से पहले और टकराने के बाद बराबर रहता है जबकि उन पर कोई असंतुलित बल कार्य न कर रहा हो। इसे संवेग संरक्षण का नियम कहते हैं। इसे इस प्रकार भी व्यक्त कर सकते हैं कि 2 वस्तुओं का कुल संवेग टकराने की प्रक्रिया में अपरिवर्तनीय या संरक्षित रहता है।

इसका व्‍यंजक है—

प्रश्‍न 1. किसी पेड़ की शाखा को तीव्रता से हिलाने पर कुछ पत्तियाँ झड़ जाती हैं, क्यों ?
उत्तर: इसका कारण न्यूटन के गति के प्रथम नियम से समझा जा सकता है। पत्तियाँ व पेड़ दोनों विरामावस्था में हैं। पर जब पेड़ को तीव्रता से हिलाया जाता है तब पेड़ गतिमान होता है व पत्तियाँ विरामावस्था में। अतः विरामावस्था में रहने के कारण पेड़ को हिलाने पर कुछ पत्तियाँ झड़ जाती हैं।

प्रश्‍न 2. जब कोई गतिशील बस अचानक रुक जाती है तो आप आगे की ओर झुक जाते हैं और जब विरामावस्था से गतिशील होती है तो आप पीछे की ओर हो जाते हैं, क्यों ?
उत्तर: चलती हुई बस में, हम बस की गति की दिशा में गतिमान होते हैं। ब्रेक लगाने पर बस रुक जाती है। परन्तु हमारा शरीर जड़त्व के कारण गतिज अवस्था में ही बने रहने की प्रवृत्ति रखता है। अतः हम आगे की ओर झुक जाते हैं। जब बस विरामावस्था से गतिशील होती है तो हमारा पैर जो बस के फर्श के सम्पर्क में रहता है, गति में आ जाता है। परन्तु शरीर का ऊपरी भाग जड़त्व के कारण इस गति का विरोध करता है। अतः हम पीछे की ओर हो जाते हैं।

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प्रश्‍न 2. यदि क्रिया सदैव प्रतिक्रिया के बराबर है, तो स्पष्ट कीजिए कि घोड़ा गाड़ी को कैसे खींच पाता है ?
उत्तर: घोड़ा पृथ्वी पर पीछे की ओर बल लगाता है या धकेलता है। इसकी प्रतिक्रिया में वह आगे की ओर बढ़ता है। यहाँ घोड़ा गाड़ी को आगे की दिशा में खींचता है किन्तु गाड़ी घोड़े पर विपरीत दिशा में बल लगाती है। चूँकि घोड़ा गाड़ी पर असमान बल लगाता है अत: वह उसे खींच पाता है।

प्रश्‍न 3. एक अग्निशमन कर्मचारी को तीव्र गति से बहुतायात मात्रा में पानी फेंकने वाली रबड़ की नली को पकड़ने में कठिनाई क्यों होती है ? स्पष्ट करें।
उत्तर: पानी फेंकने वाली रबड़ की नली में से जब बहुतायात मात्रा में तीव्र गति से पानी निकलता है तो गति के तीसरे नियम के अनुसार वह नली पर पीछे की ओर समान बल लगाता है। अतः अग्निशमन कर्मचारी को तीव्र गति से बहुतायत मात्रा में पानी फेंकने वाली रबड़ की नली को पकड़ने में कठिनाई होती है।

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