Bihar Board Class 8 Hindi बच्चे की दुआ (Bache Ki Dua Class 8th Hindi Solutions) Text Book Questions and Answers
8. बच्चे की दुआ
(मो० इकबाल)
अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
पाठ से :
प्रश्न 1. आपको यदि अल्लाह / ईश्वर से कुछ माँगने की जरूरत हो तो आप क्या–क्या माँगेंगे ?
उत्तर – यदि मुझे अल्लाह / ईश्वर से कुछ माँगने की जरूरत होगी तो मैं ईश्वर से एक सच्चा मानव बनने की अभिलापा प्रकट करूँगा, क्योंकि सच्चा मानव ईमानदार, सत्यवादी, कर्मठ, आचारवान्, स्नेही, त्यागी, परोपकारी, देशप्रेमी, स्वाभिमानी तथा दूसरों के दुःख–सुख में हाथ बँटानेवाला होता है । किन्तु जिनमें ये गुण नहीं होते, वे स्वार्थी, ईर्ष्यालु, कुमार्गी, अभिमानी, छिद्रान्वेषी झूठा आदि होते हैं। ऐसे व्यक्तियों को लोग घृणा की दृष्टि से देखते हैं तथा इनसे सदा दूर रहने में अपनी भलाई समझते हैं । जो लोग इन दुर्गुणों से अछूते होते हैं, उन्हें हर कोई सम्मान की दृष्टि से देखता है तथा आदर्श पथ-प्रदर्शक मानता है । इसीलिए मैं एक सच्चा मानव बनाने की प्रार्थना ईश्वर से करूँगा ताकि जीवन धारण का उद्देश्य सफल हो सके ।
प्रश्न 2. कविता में संसार को बेहतर बनाने की कामना मुखर हुई है। उन कामनाओं को अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर – कोई भी देश तभी शोभा पाता है जब उस देश का नागरिक अपने देश के चतुर्दिक विकास के लिए प्रयासरत रहता है। इसके लिए देशवासियों को देशप्रेमी, त्यागी, स्वाभिमानी, कर्मनिष्ठ, सहिष्णु, पराक्रमी तथा आत्मनिर्भर होना आवश्यक होता है। इसीलिए कवि चाहता है कि संसार के सभी लोग एक स्वस्थ मानव बनें। क्योंकि जिनमें मानवता का भाव होता है, वह सारे संकीर्ण विचारों तथा भेदभावों से दूर विश्वबंधुत्व की भावना से ओतप्रोत होता है । उसमें अपने–पराया की भावना नहीं होती। वह अपने समान सबको देखता है तथा आत्मनिर्भर एवं आत्मविश्वासी होता है। अतः कविता में एक नेक इंसान में जो गुण होता हैं, उन्हीं गुणों की प्राप्ति की कामना की गई है ताकि एक नये समाज की स्थापना हो सके ।
पाठ से आगे :
प्रश्न 1. अल्लाह बुराई से बचाना मुझको तथा नेक राह में चलने की शक्ति प्रदान करना–नज्म की किन पंक्तियों में ऐसा भाव स्पष्ट किया गया है। नज़्म की उन पंक्तियों को लिखिए।
उत्तर : मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको,
नेक जो राह हो, उस राह पे चलाना मुझको ।
प्रश्न 2. आपके घर में या पड़ोस में बुजुर्ग होंगे, आप उनकी देखभाल कैसे करना चाहेंगे ? उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – मैं अपने घर में या पड़ोस के बुजुर्ग की देखभाल एक सदस्य के संमान करूँगा। उनकी हर जरूरत का ध्यान रखूंगा। उनसे प्रेमपूर्वक बात करूँगा । उनकी हर समस्या को अपनी समस्या मानकर यथोचित प्रयास करूँगा । कोई ऐसा अवसर न आवे जिससे उन्हें आत्मकष्ट महसूस हो, इसका पूर्ण ख्याल रखूँगा । उनकी सेवा अपना परिवार मानकर करूँगा क्योंकि अंत में हर किसी को इस अवस्था से गुजरना पड़ता है । इसलिए इनकी सेवा करना मेरा पुनीत कर्तव्य है । फलतः इस कर्तव्य भावना से दूसरे भी प्रेरित हांगे, जिससे आनेवाली पीढ़ियाँ भी बुजुर्गों की सेवा करना सीखेंगी ।
प्रश्न 3. अल्लाह और ईश्वर में कोई फर्क नहीं है । इस बात से आप कहाँ तक सहमत है ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – अल्लाह और ईश्वर दोनों एक ही हैं। दोनों ईश्वर का ही नाम है । अल्लाह का अर्थ होता है– जो किसी के प्रेमपूर्ण पुकार या आन्तरिक (आर्त्तनाद) पुकार पर प्रकट होते हैं किंतु खुदा जो स्वयं प्रकट होकर द्रुष्टों का संहार करते हैं तथा धर्म की स्थापना करते हैं । अर्थात् जब दुष्टों के आतंक या पाप से धरती त्राहि–त्राहि करने लगती है तब ईश्वर रूप मानव प्रकट होकर संसार में शांति की स्थापना करते हैं और मानव कल्याण का संदेश देते हैं। अतः दोनों एक ही हैं। इस बात से मैं पूर्ण सहमत हूँ ।
प्रश्न 4. व्याख्या कीजिए :
(क) ज़िन्दगी हो मेरी परवाने की सूरत या रब । इल्म की शम्अ से हो मुझको मुहब्बत या–रब ।
(ख) हो मेरे दम से यूं ही मेरे बदन की ज़ीनत । जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत ।
(ग) मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको । नेक जो राह हो, उस राह पे चलाना मुझको ।
उत्तर :
(क) पाठ की व्याख्या संख्या 4 देखें । प्रार्थना गीत 4 को देखें ।
(ख) पाठ की व्याख्या संख्या 3 देखें । प्रार्थना गीत 3 को देखें ।
(ग) व्याख्या के पाठ की अन्तिम प्रार्थना गीत देखें ।
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