• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer

Top Siksha

Be a successful student

  • Home
  • Contact Us
  • Pdf Files Download
  • Class 10th Solutions Notes
  • Class 9th Solutions
  • Class 8th Solutions
  • Class 7th Solutions
  • Class 6th Solutions
  • NCERT Class 10th Solutions Notes

BSEB Class 9 Hindi पद्य Chapter 6. आ रही है रवि की सवारी | Aa Rahi Hai Ravi ki Sawari Sawari Class 9th Hindi Solutions

October 29, 2023 by Leave a Comment

Bihar Board Class 9 Hindi आ रही है रवि की सवारी (Aa Rahi Hai Ravi ki Sawari Sawari Class 9th Hindi Solutions) Text Book Questions and Answers

6. आ रही है रवि की सवारी

कवि – हरिवंश राय बच्‍चन

नव-किरण का रथ सजा है,
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
बादलों-से अनुचरों ने स्वर्ण की पोशाक धारी
आ रही रवि की सवारी !

अर्थ-कवि सूर्योदय का वर्णन करते हुए कहता है कि सूर्योदय के समय सूर्य नई किरणों से सजा रथ पर संवार प्रतीत होता है तो उस समय कलियों एवं फूलों से प्रकृति सज-धज जाती है। जलपूर्ण बादल सूर्य की लाल किरणों के पड़ने से सुनहले रंग का हो जाता है। कवि को यह दृश्य ऐसा प्रतीत होता है, जैसे-कोई राजा सोने की पोशाक धारण कर रथ पर सवार होकर आ रहा हो।

व्याख्या– प्रस्तुत पंक्तियाँ कविवर बच्चन द्वारा लिखित कविता ‘आ रही रवि की सवारी’ से ली गई हैं। इनमें कवि ने सूर्योदय का बड़ा ही मोहक वर्णन किया है।

किरण रूपी रथ पर सवार सूर्य कवि को एक राजा के रथ के समान प्रतीत होता है। उसे लगता है कि घोड़े से सुसज्जित राजा का रथ हो और स्वर्ण की पोशाक पहने राजा उस पर सवार हो तथा उनके मार्ग को फूलों से सज़ा-धजा दिया गया हो, ठीक वैसे ही सूर्योदय के समय उदित हो रहे सूर्य की किरणें रथ के घोड़े के समान लगती हैं, फूलों के खिलने से वातावरण मोहक बन जाता है । जल से पूर्ण बादल का रंग सुनहला हो जाता है। सुबह के समय का ऐसा दृश्य देखकर कवि को लगता है, जैसे सूर्य की सवारी आ रही हो । अतः प्रस्तुत कविता में कवि ने सूर्योदय कालीन प्राकृतिक दृश्य का स्वाभाविक चित्र उपस्थित किया है।

विहग बंदी और चारण,
गा रहे हैं कीर्ति-गायन,
छोड़कर मैदान भागी तारकों की फौज सारी !
आ रही रवि की सवारी !

अर्थ—कवि बच्चन जी कहते हैं कि सूर्योदय के समय पक्षीगण कलरव करने लगते हैं, बंदी तथा चारण ईश्वर अथवा राजा के गुणगान करने लगते हैं तथा सूर्य के प्रकाश में आकाश में टिमटिमाते तारे प्रकाश हीन अर्थात् लुप्त हो जाते हैं। इस प्रकार, कवि को सूर्योदय के समय का दृश्य प्रतीत होता है।

व्याख्या— प्रस्तुत पंक्तियाँ कविवर हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखित कविता ‘आ रही रवि की सवारी’ से उद्धृत है। इसमें कवि ने सूर्योदय कालीन दृश्य का स्वाभाविक वर्णन किया है।

कवि का कहना है कि सुबह होते ही पक्षीगण अपने कलरव से वातावरण को गुंजायमान बना देते हैं, बंदी तथा चारण प्रभु (राजा) की स्तुति करने लगते हैं तो प्रकाश के फैलते ही तारे समूह ओझल हो जाते हैं। कवि के कहने का तात्पर्य है कि सुबह होत हा प्रकृति म परिवर्तन हो जाता है। प्रकृति के कण-कण में एक नया उत्साह, नया जोश तथा नई जागृति आ जाती है। सभी अपने-अपने नियत कर्म में लग जाते हैं । कवि रवि का सवारी की तुलना राजा की सवारी से करते हुए कहना चाहता है कि जिस प्रकार राजा का यशोगान प्रजा करती है; उसी प्रकार सूर्योदय के स्वागत में प्रकृति अपनी सौन्दर्य सुषमा बिखेर देती है।

चाहता, उछलूँ विजय कह,
पर ठिठकता देखकर यह
रात का राजा खड़ा है राह में बनकर भिखारी !
आ रही रवि की सवारी !

अर्थ–कवि बच्चनजी कहते हैं कि सूर्योदय के इस मनोरम दृश्य को देखकर मन प्रसन्न हो उठता है, परन्तु निस्तेज चाँद को देखकर मन खिन्न हो उठता है कि संसार में कुछ भी शाश्वत नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति या वस्तु का पतन या विनाश निश्चित है।

व्याख्या– प्रस्तुत पंक्तियाँ कविवर हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखित कविता ‘आ रही रवि की सवारी’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने संसार की क्षणभंगुरता की ओर ध्यान आकृष्ट किया है।

कवि सूर्योदय कालीन प्राकृतिक सौन्दर्य देख अपना हार्दिक प्रसन्नता प्रकट करना चाहता है, लेकिन रात भर अपनी चाँदनी से शीतलता प्रदान करने वाले निस्तेज चाँद को देखकर ठिठक जाता है, क्योंकि रात का राजा चाँद असहाय भिखारी के समान प्रतीतहोता है। कवि को ऐसा परिवर्तन यह सोचने को विवश कर देता है कि उत्थान-पतन अथवा जीवन-मरण प्रकृति का शाश्वत नियम है। इसलिए व्यक्ति को अपने उत्थान या ऐश्वर्य पर न तो इठलाना चाहिए और न ही पतन पर व्यथित होना चाहिए। प्रकृति अपने नियम से चलती है, इसलिए सुख-दु:ख दोनों स्थितियों में व्यक्ति को समान भाव में रहना चाहिए। “गीता’ का यही संदेश है। भाषा खड़ीबोली हिन्दी है।

अभ्यास के प्रश्न और उनके उत्तर

कविता के साथ :

प्रश्न 1. ‘आ रही रवि की सवारी’ कविता का केन्द्रीय भाव क्या है?
उत्तर – प्रस्तुत कविता ‘आ रही रवि की सवारी’ भाव प्रधान कविता है । इसके माध्यम से कवि ने मानव-जीवन की सच्चाई को उद्घाटित किया है । कवि सुबह की फूटती पहली किरण देख उत्साहित होता है। उसे लगता है कि जीवन में दुःख-सुख आते-जाते ही रहते हैं । यह प्रकृति का नियम है। पहली पत्नी की मृत्यु से आहत कवि निष्क्रिय हो जाता है। उसके मन का सारा उत्साह क्षीण हो जाता है। वह अवसादग्रस्त हो जाता है लेकिन जैसे ही सुबह में नई किरण को देखता है, उसमें आशा का संचार होने लगता है 1 वह अपने जीवन पथ पर आगे बढ़ता है । अतः कवि के कहने का मूल भाव यह है कि मानव जीवन सुख-दुःख, उत्थान-पतन तथा आशा-निराशा के झूले पर सदा झुलता रहता है । दोनों में अन्योन्याश्रय संबंध है ।

प्रश्न 2. कवि ने किन-किन प्राकृतिक वस्तुओं का मानवीकरण किया है?
उत्तर— कवि ने ‘रवि’ को राजा के रूप में मानवीकरण किया है तो नव किरण को रथ के घोड़े के रूप में ‘बादलों से अनुचरों’ को सेवक के रूप में, तारे- समूह को सेना के रूप में, तथा चन्द्रमा को भिखारी के रूप में मानवीकरण किया है

प्रश्न 3. ‘आ रही रवि की सवारी’ कविता में चित्रित सवारी का वर्णन करें ।
उत्तर – प्रस्तुत कविता ‘आ रही रवि की सवारी’ में सवारी का चित्रण राजा के रथ से किया गया है । कवि का मानना है कि जिस प्रकार रथ में अनेक घोड़े जुते होते हैं और उन घोड़ों की लगाम सवार के हाथ में होता है, उसी प्रकार सूर्य से फूटती किरणें घोड़ों के लगाम जैसी प्रतीत होती हैं तथा सूर्य रथ पर बैठै सवार जैसे । तात्पर्य कि किरण रूपी रथ पर सवार सूर्य को राजा के रथ के रूप में किया गया है। इसमें काफी समानता है क्योंकि राजा का रथ जिस मार्ग से गुजरता है, उसे काफी सजा-धजा दिया जाता है, उसी प्रकार प्रकृति उगते सूर्य के स्वागत में कलि- कुसुमों से मनोरम दृश्य उपस्थित कर देती हैं ।

प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए :
चाहता, उछलूँ विजय कह,
पर ठिठकता देखकर यह
रात का राजा खड़ा है राह में बनकर भिखारी !

भाव—इन पंक्तियों के माध्यम से कवि यह संदेश देता है कि उत्थान के बाद पतन होता ही है । जिस प्रकार रात का राजा अर्थात् चाँद रातभर अपनी स्निग्ध चाँदनी से धवलित प्रतीत होने वाला सूर्य के उदय होते ही निस्तेज असहाय भिखारी के समान प्रतीत होता है, उसी प्रकार सुखपूर्ण जीवन व्यतीत करने वालों की भी दशा भी दुखमय हो जाता है। अतएव इस क्षणभंगुर संसार में अपने क्षणिक सुख पर इठलाना नहीं चाहिए ।

प्रश्न 5. रवि की सवारी निकलने के पश्चात प्रकृति उसका स्वागत किस प्रकार करती है ?
उत्तर—रवि की सवारी निकलने के पश्चात् प्रकृति उसके स्वागत में अपनी श्री सुषमा से उसके पथ को सजा देती है । अर्थात् सुबह होते ही सारे फूल खिल जाते हैं तथा वातावरण को मधुमय बना देते हैं ।

प्रश्न 6. रात का राजा भिखारी कैसे बन गया ?
उत्तर—रात का राजा चाँद सुबह होने के कारण भिखारी बन गया । तात्पर्य कि जिस प्रकार व्यक्ति निर्धनता अथवा सम्पत्तिहीनता के कारण भिखारी और परमुखापेक्षी हो जाता है, उसी प्रकार सूर्य के तेज प्रकाश में चाँद निस्तेज भिखारी के समान असहाय प्रतीत होने लगता है । अर्थात् सूर्योदय होते ही रात खत्म हो जाती है और चाँद के साम्राज्य पर सूर्य का अधिकार हो जाता है । इस प्रकार रात का राजा भिखारी हो जाता है ।

प्रश्न 7. इस कविता में रवि को राजा के रूप में चित्रित किया गया है। अपने शब्दों में यह चित्र पुनः स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – कवि ने इस कविता में रवि (सूर्य) को राजा के रूप में चित्रित किया है । कवि का कहना है कि जिस प्रकार राजा रथ पर सवार होकर चलता है तो साथ में उसके सेवक होते हैं । जिस मार्ग से राजा का रथ गुजरता है, उसे सजा-धजा दिया जाता है। बंदी तथा चारण राजा का यशोगान करने लगते हैं । उसी प्रकार सुबह के समय सूर्य किरण रूपी रथ पर सवार होकर चलता है तो सूर्य की लाल किरणों के संयोग से नीला आकाश सुनहले रंग का हो जाता है, सरोवरों तथा उद्यानों में फूल खिल जाते हैं तथा सुबह होने की खुशी में पक्षी बंदी तथा चारण जैसे सूर्य का यशोगान करने लगते हैं ।

प्रश्न 8. कवि क्या देखकर ठिठक जाता है और क्यों ?
उत्तर—कवि रात का राजा चाँद को भिखारी की भाँति निस्तेज तथा असहाय देखकर ठिठक जाता है । कवि चाँद की ऐसी दशा देखकर सन्न रह जाता है । वह सोचने लगता है कि रात भर अपनी स्निग्ध चाँदनी से संसार को आलोकित करने वाला चाँद सुबह होते ही तेज हीन हो जाता है । तात्पर्य कि संसार परिवर्तनशील है। इस परिवर्तन के कारण जीवन में सुख-दुःख का आना स्वाभाविक है । अतएव व्यक्ति को कभी भी अपने-आप पर गर्व नहीं करना चाहिए ।

प्रश्न 9. सूर्योदय के समय आकाश का रंग कैसा होता है? पाठ के आधार पर बताएँ ।
उत्तर – सूर्योदय के समय आकाश का रंग सुनहला होता है, क्योंकि सूर्य की किरणें लाल होती हैं तथा आकाश का रंग नीला होता है। लाल तथा नीला के संयोग से सुनहले रंग का दिखाई पड़ने लगता है

प्रश्न 10. ‘चाहता उछलूँ विजय कह’ में कवि की कौन-सी आकांक्षा व्यक्त होती है?
उत्तर—‘चाहता उछलूँ विजय कह’ में कवि की उच्च अभिलाषा अर्थात् उत्साह अभिप्रेरित हृदयोद्गार की आकांक्षा प्रकट होती है ।

प्रश्न 11. राह में खड़ा भिखारी किसे कहा गया है?
उत्तर – राह में खड़ा भिखारी चाँद को कहां गया है ।

प्रश्न 12. ‘छोड़कर मैदान भागी तारकों की फौज सारी’ का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट करें
उत्तर – कवि ने तारे समूह का मानवीकरण करते हुए यह स्पष्ट किया है कि जिस प्रकार सेना शत्रु की उग्रता देखकर मैदान छोड़कर भाग जाती है उसी प्रकार तारे समूह सूर्योदय होते ही अदृश्य हो जाते हैं । भाषा खड़ीबोली है। मानवीकरण अलंकार है । लाक्षणिकता के कारण भाव- गांभीर्य है। प्रातःकालीन प्राकृतिक दृश्य का वर्णन है ।

नोट : पाठ के आस-पास के प्रश्नों के उत्तर छात्र स्वयं तैयार करें

भाषा की बात (व्याकरण संबंधी प्रश्न एवं उत्तर ) :

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें :
उत्तर :
शब्द                  पर्यायवाची शब्द
रवि                   सूर्य, भानु, तरणि
किरण                रश्मि, अंशु, कर
कुसुम                फूल, पुष्प, प्रसून
स्वर्ण                  कंचन, सुवर्ण, सोना
विहग                 खग, पक्षी, अंडज
रात                     निशि, निशा, रात्रि

प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों का वाक्य प्रयोग द्वारा लिंग निर्णय करें :
सवारी, कलि, पोशाक, मैदान, फौज, भिखारी

उत्तर : सवारी— राजा की सवारी आ रही है ।
कलि – फूल की कली खिल गई ।
पोशाक – तुम्हारी पोशाक गंदी है।
मैदान – मैदान बड़ा है ।
फौज – हमारी फौज सीमा पर लड़ रही है ।.
भिखारी – दरवाजे पर भिखारी खड़ा है ।

प्रश्न 3. कविता में प्रयुक्त उपमानों को चुनें।
उत्तर—नव-किरण, कलि-कुसुम, स्वर्ण, विहग, बंदी और चारण तथा भिखारी ।

प्रश्न 4. कलि- कुसुम और कीर्ति-गायन में कौन-सा समास है?
उत्तर – कलि- कुसुम = कलि और कुसुम = द्वन्द्व समास ।
कीति-गायन = कीर्ति (यश) का गायन (गान) = षष्ठी तत्पुरुष ।

प्रश्न 5. कविता में आए देशज और विदेशज शब्दों को चुनें।
उत्तर- देशज       विदेशज
         सवारी                पोशाक
         तारक              
         भिखारी

प्रश्न 6. निम्नलिखित पंक्तियों से विशेषण चुनें।
नव- किरण का रथ सजा है,
कलि- कुसुम से पथ सजा है
बादलों से अनुचरों ने स्वर्ण की पोशाक धारी ।

उत्तर- नव, कलि-कुसुम, स्वर्ण ।

प्रश्न 7. ‘विहग, बंदी और चारण’ कौन-सा अलंकार है ।
उत्तर—रूपक अलंकार ।

प्रश्न 8. निम्नलिखित शब्दों के बहुवचन रूप लिखें ।
उत्तर : शब्द                    बहुवचन रूप
किरण                            किरणें
कलि                             कलियाँ
पोशाक                          पोशाकें
सवारी                            सवारियाँ

प्रश्न 9. यह कविता एक रूपक है। रूपक अलंकार के बारे में अपने शिक्षक से जानकारी हासिल करें तथा उनसे यह जानकारी लें कि इस कविता में रूपक का क्या स्वरूप है
उत्तर – जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप होता है, वहाँ रूपक अलंकार होता है। इस कविता में सूर्योदय का रूपक उपस्थित किया गया है।

Aa Rahi Hai Ravi ki Sawari Sawari Class 9th Hindi Solutions

Read more – Click here
YouTube Video – Click here

Filed Under: Hindi

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • BSEB Class 10th Non–Hindi Objective Chapter 10. राह भटके हिरण के बच्चे को (Rah Bhatake Hiran Ke Bachche Ko)
  • BSEB Class 10th Non–Hindi Objective Chapter 9. सुदामा चरित (Sudama Charit)
  • BSEB Class 10th Non–Hindi Objective Chapter 8. झाँसी की रानी (Jhaansee Kee Raanee)

Footer

About Me

Hey ! This is Tanjeela. In this website, we read all things, which is related to examination.

Class 10th Solutions

Hindi Solutions
Sanskrit Solutions
English Solutions
Science Solutions
Social Science Solutions
Maths Solutions

Follow Me

  • YouTube
  • Twitter
  • Instagram
  • Facebook

Quick Links

Class 12th Solutions
Class 10th Solutions
Class 9th Solutions
Class 8th Solutions
Class 7th Solutions
Class 6th Solutions

Other Links

  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions

Copyright © 2021 topsiksha