इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड के कक्षा 10 इतिहास के पाठ सात ‘व्यापार और भूमंडलीकरण (Vyapar or Bhumandalikaran class 10th solutions and notes)’ के नोट्स और सभी प्रश्नों के उत्तर को पढ़ेंगे।
7. व्यापार और भूमंडलीकरण
विश्व बाजार- उस तरह के बाजारों को हम विश्व बाजार कहेंगे जहाँ विश्व के सभी देशों की वस्तुएँ आमलोगों को खरीदने के लिए उपलब्ध हो। जैसे- भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई।
वाणिज्यिक क्रांति- व्यापार के क्षेत्र में होने वाला अभूतपूर्व विकास और विस्तार जो जल और स्थल दोनों मार्ग से सम्पूर्ण विश्व तक पहुँचा। इसका केन्द्र यूरोप ( इंगलैंड ) था।
औद्योगिक क्रांति- वाष्प शक्ति से संचालित मशीनों द्वारा बड़े-बड़े कारखानों में व्यापक पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन। इसका केन्द्र इंग्लैण्ड था- वह 1750 के बाद आरंभ हुआ।
साम्राज्यवाद- यूरोपीय देशों द्वारा एशिया और अफ्रीका के क्षेत्रों पर सैनिक शक्ति द्वारा विजय प्राप्त कर उसे अपने प्रत्यक्ष अधीन में रखना।
आर्थिक मंदी- अर्थतंत्र में आनेवाली ऐसी स्थिति जब उसके तीनों आधार कृषि, उद्योग, और व्यापार का विकास अवरूद्ध हो जाए। लाखों लोग बेरोजगार हो जाए, बैंकों और कंपनियों का दिवाला निकल जाए तथा वस्तु और मुद्रा दोनों की कीमत नहीं रहे।
शेयर बाजार- वैसा स्त्तिन जहाँ व्यापारिक और औद्योगिक कंपनियों के बाजार मूल्य का निर्धारण होता है।
सट्टेबाजी- कंपनियों में पूँजी लगा कर उसका हिस्सा खरीदना ताकि उसका मूल्य बढ़े और पुनः उसे बेच देना।
संरक्षणवाद- अपने वस्तुओं को विदेशी वस्तुओं के आमद से होने वाले नुकसान से उसे बचाने के लिए विदेशी वस्तु पर ऊँची आयात शुल्क लगाना।
न्यू-डील- जनकल्याण की एक बड़ी योजना से संबंधित नई नीति जिसमें आर्थिक क्षेत्र के अलावा राजनीतिक और प्रशासनिक नीतियों को भी नियमित किया गया।
अधिनायकवाद– वैसी राजनैतिक प्रशासनिक व्यवस्था जिसमें एक व्यक्ति के हाथ सारी शक्तियाँ केन्द्रित होती है। वह व्यक्ति परिस्थितियों का लाभ उठाकर जनता के बीच नायक की छवि बनाता है।
भूमंडलीकरण- जीवन के सभी क्षेत्रों का एक अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप, जिसने दुनिया के सभी भागों को आपस में जोड़ दिया है- सम्पूर्ण विश्व एक बड़े गाँव के रूप में परिवर्तित हो गया है।
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पूँजीवाद- पूँजी पर आधारित एक व्यवस्था जो बाजार और मुनाफा के ऊपर टिका है।
शीत युद्ध- राज्य नियंत्रित और बाजार नियंत्रित अर्थव्यवस्था वाले देशों के नेतृत्वकर्ता देशों सोवियत रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच सामरिक तनाव।
बहुराष्ट्रीय कंपनी- कई देशों में एक ही साथ व्यापार और व्यवसाय करने वाले कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनी कहा जाता है। 1920 के बाद से इस तरह की कंपनियों का उत्कर्ष हुआ जो द्वितीय महायुद्ध के बाद काफी बढ़ा।
उपनिवेशवाद- उपनिवेशवाद एक ऐसी राजनैतिक आर्थिक प्रणाली जो प्रत्यक्ष रूप से एशिया और अविकसित अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका में यूरोपीय देशों द्वारा त्याग किया गया। इसका एक मात्र उद्देश्य था इन देशों का आर्थिक शोषण करना।
गिरमिटिया मजदूर- औपनिवेशिक देशों के ऐसे श्रमिक जिन्हें एक निश्चित समझौता द्वारा निश्चित समय के लिए अपने शासित क्षेत्रों में ले जाते थे, इन्हें मुख्यतः नकदी फसलों जैसे- गन्ना के उत्पादन में लगाया जाता था। भारत के भोजपुरी भाषी क्षेत्रों (पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बिहार) पंजाब, हरियाणा से गन्ना की खेती के लिए जमैका, फिजी, त्रिनिदाड एवं टोवैको, मॉरिशस आदि देशों में ले जाया गया।
प्राचीन विश्व बाजार का स्वरूप और स्पष्ट प्रमाण अलेक्जेण्ड्रीया नामक बड़ा व्यापारिक केन्द्र की चर्चा के क्रम में मिलता है।
यह शहर तीन महादेशों अफ्रीका, यूरोप और एशिया के व्यापारियों का केन्द्र था।
विश्वबाजार का स्वरूप और विस्तार
वाष्प् इंजन से चलने वाले कारखानों से वस्तुओं का उत्पादन काफी बढ़ा।
उपनिवेशवाद नामक एक नवीन शासन प्रणाली का उदय हुआ।
19वीं शताब्दी में विश्वबाजार का स्वरूप का आधार कपड़ा था।
औद्योगिक क्रांति के फैलाव के साथ-साथ बाजार का स्वरूप विश्वव्यापी होता गया।
कारखानों से निर्मित वस्तुओं को विश्व के कोने-कोने तक पहुँचाया जाता था।
रोजगार की तालाश में श्रमिकों का पलायन होता था।
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औपनिवेशिक देशों से लोगों को निश्चित अवधि के लिए एक समझौता के तहत यूरोपीय देशों में ले जाते थे। इन्हें कृषि कार्य जैसे- नगदी फसलों के उत्पादन में लगाया जाता था। इस तरह के मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर कहा जाता था।
विश्वबाजार की उपयोगिता :
किसानों को अपने उपज का अच्छा रिटर्न मिलता था, क्योंकि बाजार ज्यादा प्रतिस्पर्धी होता है।
रोजगार के नए अवसर सृजित होते है।
आधुनिक विचार और चेतना का प्रसार होता है।
विश्व बाजार के लाभ
विश्व बाजार से आधुनिकीकरण और औद्योगीकरण का विकास हुआ।
औपनिवेशिक देशों में रेलमार्ग-सड़क, बन्दरगाह, खनन, बागवानी जैसे संरचनात्मक क्षेत्र का विकास हुआ।
नवीन तकनिक की खोज की गई।
रेलवे, वाष्प इंजन, भाप का जहाज, टेलीग्राफ, बड़े जलपोत जैसे नए-नए तकनीकों की खोज की गई।
शहरीकरण का विकास तथा जनसंख्या का विकास तेजी से हुआ।
विश्वबाजार के हानि
एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशवाद को जन्म दिया।
भारत जैसे पुराने उपनिवेशों का काफी तेजी से शोषण हुआ।
विश्व बाजार से साम्राज्यवाद का उदय हुआ।
कृषि, लघु तथा कुटिर उद्योगों का पतन हो गया।
औपनिवेशिक देशों में अकाल और भुखमरी की समस्याओं को जन्म दिया।
यूरापीय देशों के बीच साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा पैदा किया।
इसने उग्र राष्ट्रवाद का जन्म दिया। जिससे प्रथम विश्व युद्ध जैसे विनाशकारी परिणाम सामने आया।
आज जीविकोपार्जन और भूमंडलीकरण का अन्तर्साम्य संबंध
शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद से सैनिक शक्ति को आर्थिक शक्ति द्वारा पीछे छोड़ दिया गया।
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1991 के बाद सम्पूर्ण विश्व में सेवा क्षेत्र का विस्तार काफी तीव्र गति से हुआ है, जिससे जीवीकोपार्जन के कई नए क्षेत्र खुल गए हैं।
यातायात की सुविधा (बस, टैक्सी, हवाई जहाज) बैंक और बीमा क्षेत्र में दी जानेवाली सुविधा, दूरसंचार, और सूचना तकनिक (मोबाइल, फोन, कम्प्यूटर, इंटरनेट) होटल और रेस्टोरेंट, बड़े शहरों में शॉपिंग मॉल, कॉल सेंटर आदि काफी तेजी से फैला है।
पर्यटक स्थल का विकास हो रहा है।
लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
- विश्व बाजार किसे कहते हैं ?
उत्तर :- उस तरह के बाजार को हम विश्व बाजार कहेंगे जहाँ विश्व के सभी देशों की वस्तुएं आम लोगों को खरीदने के लिए उपलब्ध हो। जैसे :- भारत की आर्थिक राजधानी ‘मुंबई ‘।
- औद्योगिक क्रांति क्या है ?
उत्तर :- वाष्प शक्ति से संचालित मशीनों द्वारा बड़े-बड़े कारखानों में व्यापक पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन। इसका केंद्र इंग्लैंड था। यह 1750 के बाद आरंभ हुआ।
- आर्थिक संकट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :- वैसी स्थिति जब उसके तीनों आधार कृषि, उद्योग और व्यापार का विकास अवरुद्ध हो जाए। लाखों लोग बेरोजगार हो जाए। बैंकों और कंपनियों का दिवाला निकल जाए तथा वस्तु और मुद्रा दोनों की बाजार में कोई कीमत नहीं रहे।
- भूमंडलीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर :- जीवन के सभी क्षेत्रों का एक अंतरराष्ट्रीय स्वरूप, जिसने दुनिया के सभी भागों को आपस में जोड़ दिया है। संपूर्ण विश्व एक बड़े गाँव के रूप में परिवर्तित हो गया है।
- ब्रेटेन वुड्स सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर :- ब्रेटेन वूंड्स सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर या आर्थिक सहयोग व स्थिरता कायम करना था जिस पर विश्वशांति की नीव टिकी थी।
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- बहुराष्ट्रीय कंपनी क्या है?
उत्तर :- कई देशों में एक ही साथ व्यापार और व्यवसाय करने वाले कंपनी को बहुराष्ट्रीय कंपनी कहा जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
- 1929 के आर्थिक संकट के कारणों को संक्षेप में स्पष्ट करें।
उत्तर :- 1929 के आर्थिक मंदी का बुनियादी कारण स्वयं अर्थव्यवस्था के स्वरूप में ही समाहित था। प्रथम विश्व युद्ध के 4 वर्षों में यूरोप को छोड़कर बाजार आधारित होता गया। मुनाफे बढ़ते चले गए। अधिकांश लोग गरीब होते रहे। ऐसी स्थिति हो गई थी कि जो कुछ उत्पादन किया जाता था। उसे खरीदने वाले लोग बहुत कम थे।
- औद्योगिक क्रांति ने किस प्रकार विश्व बाजार के स्वरूप को विस्तृत किया।
उत्तर :- औद्योगिक क्रांति ने बाजार को तमाम आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बना दिया। इसी के साथ जैसे-जैसे औद्योगिक क्रांति का विकास हुआ। बाजार का स्वरूप विश्वव्यापी होता चला गया और 20वी शताब्दी के पहले सभी महादेशों में अपनी उपस्थिति कायम कर ली। 18 वीं शताब्दी के मध्य भाग से इंग्लैंड में बड़े बड़े कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन हुआ। और कच्चे माल की आवश्यकता हुई। इंग्लैंड ने उतरी अमेरिका, एशिया, भारत और अफ्रीका की ओर अपना ध्यान खींचा और वहां कच्चा माल और बनाया बाजार में भी मिला विश्व बाजार के इस स्वरूप का आधार कपड़ा उद्योग था।
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- विश्व बाजार के स्वरूप को समझाएँ।
उत्तर :- औद्योगिक क्रांति के फैलाव के साथ-साथ बाजार का स्वरूप बढ़ता गया। इसने व्यापार, श्रमिकों का पलायन और पूँजी का प्रवाह, इन तीन आर्थिक प्रवृत्तियों को जन्म दिया। व्यापार कच्चे मालों को इंग्लैंड और यूरोपीय देशों तक पहुँचाते हैं। कारखानों में निर्मित वस्तुओं को विश्व के कोने-कोने में पहुँचाने तक सीमित था।
श्रमिकों के प्रवाह के अंतर्गत औपनिवेशिक देश (भारत) के लोगों को निश्चित अवधि के लिए एक समझौता के तहत यूरोपीय देश अपने यहाँ ले जाते थे। मजदूरों की मजदूरी काफी कम होती थी।
- भूमंडलीकरण में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के योगदान (भूमिका) को स्पष्ट करें।
उत्तर :- भूमंडलीकरण राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विश्वव्यापी समायोजन की एक प्रक्रिया है। जो विश्व के विभिन्न भागों के लोगों को भौतिक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर एकत्रित करने का सफल प्रयास करती है। भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का महत्वपूर्ण योगदान है।
- 1950 के बाद विश्व अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर प्रकाश डालें।
उत्तर :- द्वितीय महायुद्ध समाप्त होने के बाद उससे उत्पन्न समस्याओं को हल करने तथा व्यापक तबाही से निपटने के लिए पूर्ण निर्माण का कार्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आरंभ हुआ। संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपना सारा कार्य अपने विभिन्न और संघीय संस्थाओं (यूनेस्को, विश्व स्वास्थ्य, संगठन, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, इत्यादि) के माध्यम से करना आरंभ किया।
वह अपनी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीतियों और संबंधों को निर्धारित करने में इसका भरपूर इस्तेमाल करता था।
- भूमंडलीकरण के भारत पर प्रभाव को स्पष्ट करें।
उत्तर :- भूमंडलीकरण के भारत पर व्यापार प्रभाव पड़ा है। 1919 ई० की आर्थिक नीति की घोषणा के बाद भारत में पूँजी निवेश और व्यापार में काफी बदलाव हुआ। भूमंडलीकरण के कारण देश में सेवा क्षेत्र का काफी तीव्र गति से विस्तार हुआ। सेवा क्षेत्र के अंतर्गत बैंकिंग, बीमा, संचार, व्यापार आदि क्षेत्र में भारत आज विश्व का अग्रणी देश है।
- विश्व बाजार के लाभ हानि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर :- विश्व बाजार में व्यापार और उद्योग की तीव्र गति से बढ़ाया। व्यापार और उद्योगों के विकास में पूँजीपति, मजदूर और मजबूत मध्यमवर्ग नामक तीन शक्तिशाली सामाजिक वर्ग को जन्म दिया। औपनिवेशिक देशों में रेल मार्ग, सड़क, बंदरगाह, खनन, बागवानी जैसे संरचनात्मक क्षेत्र का विकास हुआ।
विश्व बाजार में नवीन तकनीकी को सृजित किया। इन तक नीतियों में रेलवे, वाष्प इंजन, भाप का जहाज, टेलीग्राम, बड़े जलापोत, महत्वपूर्ण तकनीकी ने विश्व बाजार और उसके लाभ को कई गुना बढ़ा दिया। औपनिवेशिक आदेशों में विश्व बाजार ने अकाल, भुखमरी गरीबी जैसे मानवीय संकट को भी जन्म दिया।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
- 1929 के आर्थिक संकट के कारण और परिणामों को स्पष्ट करें ।
उत्तर :- 1929 के आर्थिक संकट का बुनियादी कारण स्वयं इस अर्थव्यवस्था के स्वरूप में ही समाहीत था। प्रथम महायुद्ध के 4 वर्षों में यूरोप को छोड़कर बाजार आधारित अर्थव्यवस्था का विस्तार होता चला गया। उसके मुनाफे बढ़ते चले गए। दूसरी तरह अधिकांश लोग गरीबी और अभाव में पिसती रहे। नवीन तकनीकी प्रगति तथा बढ़ते हुए मुनाफे के कारण उत्पादन में भी जो भारी वृद्धि हुई उससे ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई। कि जो कुछ उत्पादित किया जाता था उसे खरीद सकने वाले लोग बहुत कम थे।
1920 ई० के दशक में मध्य में बहुत सारे देश ने अमेरिका से कर्ज लेकर अपनी युद्ध से तबाह हो चुके थे। अमेरिका में संकट के लक्षण प्रकट होते ही उसने कुछ सनरक्षात्मक उपाय करना आरंभ किया।
इस मंदी का बुरा प्रभाव अमेरिका को ही झेलना पड़ा। मंदी के कारण बैंकों ने लोगों को कर्ज देना बंद कर दिया, और दिए हुए कर्ज की वसूली तेज कर दी। किसान अपनी उपज को बेच नहीं पाने के कारण तबाह हो गए। बैंकों ने लोगों के सामनो, मकान, कार, जरूरी चीजों को कुर्क कर लिया। कर्ज की वसूली नहीं होने से बैंक बर्बाद हो गया। कई कंपनियाँ बंद हो गई। 1933 ई० तक 4000 से ज्यादा बैंक बंद हो चुका था। लगभग 110000 कंपनियाँ चौपट हो गई थी।
महामंदी ने भारतीय व्यापार को भी प्रभावित किया। 1928-1934 ई० के बीच देशों के आयात निर्यात घटकर लगभग आधी हो गई। मंदी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को आरंभ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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- 1945 से 1960 के बीच विश्व स्तर पर विकसित होने वाले आर्थिक संबंधों पर प्रकाश डालें।
उत्तर :- 1945 से 1960 के दशक के बीच विकसित होने वाले अंतरराष्ट्रीय आर्थिक विभाजित हैं। 1945 ई० के बाद विश्व में दो भिन्न अर्थव्यवस्था का प्रभाव पड़ा और दोनों ने विश्व स्तर पर अपने प्रभाव तथा नीतियों को बढ़ाने का प्रयास किया। जबकि भारत जैसे देशों को वह सिर्फ अपने प्रभाव में ही ला सका।
पूँजीवादी अर्थतंत्र वाले देश का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था। इसका प्रमुख अर्थ तंत्र और विचार के बढ़ते प्रभाव को रोकता था इस पर अमेरिका हर कीमत पर अपना नियंत्रण कायम रखना चाहता था ।
1945-60 के दशक में पश्चिमी यूरोप का विश्व राजनीति और अर्थ तंत्र के प्रभाव काफी क्षीण हो गया। 1970 ई० तक एशिया और अफ्रीका में उपनिवेश उनसे छीन गए।1957 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना की ब्रिटेन 1960 ई० में इसका सदस्य बना।
एशिया और अफ्रीका के नव स्वतंत्र देशों में नवीन आर्थिक संबंधों का विकास हुआ। 1947 ई० के बाद भारत की आजादी के बाद उन देशों के स्वतंत्र की लहर हुई और 15 वर्षों में सभी देश स्वतंत्र हो गए।.
- भूमंडलीकरण के कारण आम लोगों के जीवन में आने वाले परिवर्तनों को स्पष्ट करें।
उत्तर :- वर्तमान परिदृश्य में भूमंडलीकरण के प्रभाव को आर्थिक क्षेत्र में अधिक स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। भूमंडलीकरण के आर्थिक स्वरूप का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। मुक्त बाजार, मुक्त व्यापार, बहुराष्ट्रीय निगमों का प्रसार उद्योग तथा सेवा क्षेत्र का निजीकरण उक्त आरती भूमि कौन भूमंडलीकरण के मुख्य तत्व है।
भूमंडलीकरण का प्रभाव आम जीवन पर साफ दिख रहा है। भूमंडलीकरण के कारण जीविकोपार्जन के क्षेत्र में जो बदलाव आया है। उसकी झलक शहर कस्बा और गाँव की सभी जगह साफ दिखाई पड़ रहा है। 1991 के बाद संपूर्ण विश्व में सेवा क्षेत्र का विस्तार काफी तीव्र गति से हुआ है। कई क्षेत्र भूमंडलीकरण के दौरान काफी तेजी से फैला है जिससे लोगों को जीविकोपार्जन कई जमीन अवसर मिले हैं।
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- 1919 से 1945 के बीच विकसित होने वाले राजनैतिक और आर्थिक संबंधों पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर :- 1919 के बाद जो भी अंतरराष्ट्रीय संबंध विकसित हुआ उसमें आर्थिक कार्य को या आर्थिक स्थिति का महत्वपूर्ण स्थान था। 1929 के आर्थिक मंदी को आधार वर्ष मानकर 1929 से 1945 के बीच बनने वाले आर्थिक संबंधों को दो भागों में बाँटा। 1919 से 1929 तक विकास का काल था। प्रथम महायुद्ध के बाद विश्वा से यूरोप का प्रभाव क्षिण हो गया। वह माँग में कमी के कारण उत्पन्न हुआ। 1922 ई० के बाद कुछ स्थिति बदली। वहाँ तकनीकी उन्नति के आधार पर औद्योगिक विस्तार काफी हुआ 1928-29 ई० में पचास लाख कार की बिक्री हुई।
सेवियत रूस और जापान इन दोनों देशों ने भी 1919 ई० से 1929 ई० के बीच आर्थिक क्षेत्र में काफी प्रगति की और भारत और अन्य औपनिवेशिक देशों में राष्ट्रीय चेतना का प्रसार हुआ।
1929 ई० के बाद जो अंतरराष्ट्रीय संबंध विकसित हुआ। इस महा मंदी की शुरुआत अमेरिका से हुआ। जो 1933 ई० तक बना रहा। इसका मुख्य उद्देश्य कृषि और उद्योग में संतुलन लाना था। जनकल्याण के तहत रेल,मार्ग, सड़क, पुल, आदि कार्य किया जाता था।
इटली और जर्मनी के लोकतंत्र को विफलता और अधिनायक वादी तंत्र का उदय के कई और देशों को अपने लपेटे में ले लिया। जैसे – स्पेन, यूनान, ऑस्ट्रिया आदि।
- दो महायुद्ध के बीच और 1945 के बाद औपनिवेशिक देशों में होने वाले राष्ट्रीय आंदोलन पर एक निबंध लिखें।
उत्तर :- प्रथम विश्वयुद्ध में मानवीय सभ्यता को व्यापार स्तर पर प्रभावित किया जो 20 वर्षों के दौरान औपनिवेशिक देशों ने काफी विकास और फैलाव हुआ जैसे भारत में कपड़ा, जूट, खनन आदि। का विकास हुआ 1928 से 1934 ई० के बीच आयात निर्यात लगभग आधी हो गई। कृषि उत्पादों की कीमतें काफी गिर गई मंदी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को आरंभ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद एशिया और अफ्रीका के नव स्वतंत्र देशों में एक नवीन आर्थिक संबंध विकसित हुआ। 1947 में भारत की आजादी के बाद इन देशों में स्वतंत्रता की एक लहर पैदा हो गई। और अगले 15 वर्षों में सभी देश लगभग आजाद हो गए।
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