इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिंदी के पाठ पॉंच रोज (Roj Class 12 Hindi) कहानी को पढ़ेंगें। इस कहानी का पूराना नाम गैंग्रीन था। बाद में लेखक ने इस कहानी का नाम रोज रख दिया। गैंग्रीन एक प्रकार के बीमारी होता है।
प्रस्तुत पाठ ‘रोज’ हमारे पाठ्यपुस्तक हिन्दी साहित्य से लिया गया है और यह पाठ सच्चीदानन्द हिरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय जी के द्वारा रचित उनके जीवन का एक अंश है।
इस कहानी का प्रमुख पात्र मालती है। जो लेखक के दूर की बहन होती है। यह वहीं लड़की थी जिसके साथ लेखक का बचपन बीता था। लेखक उसे सखी कहना अधिक पसंद करते थे। साथ खेलना, लड़ना, झगड़ना, साथ पढ़ना, लिखना पसंद करते थे। वह बहुत ही चंचल थी। मालती के विवाह के करीब चार साल बाद लेखक उससे मिलने उसके घर जाते हैं। वहाँ लेखक मालती के घर का रंग-ढ़ंग देखकर वह बहुत उदास हो जाते हैं। मालती बहुत सुस्त और उदास रहती है। वह बहुत कमजोर हो गई होती है। उसका एक बेटा होता है, जो हमेशा रोता रहता था या हमेशा सोता रहता था। मालती घर में पूरे दिन अकेली रहती थी और अपने पति का इंतजार करते रहती है। उसका जीवन चारदिवारी में कैद हो गया था।
मालती के पति महेश्वर एक पहाड़ी गाँव में एक सरकारी डॉक्टर होते हैं। जिसके कारण वह समय पर अस्पताल जाता था तथा समय पर लौटकर आता । वह के मरीजों के कभी हाथ तो कभी पैर का इलाज करता था। मालती को अपने पति का इंतजार करना,नल से पानी आने का इंतजार करना और रोज-रोज घर के काम एवं अपने रोते-बिलखते बेटे टिटी कर ख्याल रखना आदि यह सभी कार्य मालती के थे।
एक दिन महेश्वर कुछ आम लाए थे। जो अखबार में लपेटकर लाए थे। महेश्वर उसे धोने को कहते है। मालती उस अखबार के टूकड़े को पढ़ती है। लेखक उसकी पढ़ाई को देखकर मालती के अतित की याद करते हुए सोंचते हैं कि यह मालती पढ़ने से दूर भागती थी। बचपन में खेल-कूद और कहानी पढ़ने के सुदंर एहसास थे। अब वहीं मालती है। जिसके पास अपनी गृहणी दिनचार्य से बाहर देखने का भी समय नहीं है।
अतः इस कहानी से महिलाओं के प्रति लिखा गया है। ऐसी बहुत सारी महिलाएँ है जो अपनी जिंदगी जीती नही हैं बल्कि देती है।
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