Bihar Board Class 8 Hindi खुशबू रचते हैं हाथ (Khushaboo Rachate Hain Haath Class 8th Hindi Solutions) Text Book Questions and Answers
17. खुशबू रचते हैं हाथ
(अरूण कमल)
अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
पाठ से :
प्रश्न 1. खशबू रचने वाले हाथ कैसी परिस्थितियों में रह रहे हैं ?
उत्तर – खशबू रचने वाले हाथ अति दयनीय परिस्थितियों में रह रहे हैं । इनके निवास के चारों ओर कूड़े-कर्कट के ढेर जमा हैं। शहर के गंदे जल निकलनेवाला नाला इन्हीं के घर पास में बहता है । फलतः वंचित लोगों के मुहल्ले का वातावरण अति दूषित है। कूड़े कचड़े से निकलने वाली दुर्गंध से मुहल्ले के निवासियों का जीना दूभर हो रहा है। कवि खेद प्रकट करते हुए कहता है कि जिन हाथों से दूसरों को स्वच्छ वातावरण में रहने का अवसर मिलता है, वे हाथ स्वयं गंदे वातावरण में जीवन बिताने को मजबूर हैं। यह कितनी बड़ी विडंबना है ।
प्रश्न 2. ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ कहने का कवि का तात्पर्य है कि जिन हाथों की मदद से लोग सुखमय जीवन का आनंद लेते हैं अथवा जिनके श्रम के परिणामस्वरूप स्वर्गिक सुख का भोग करते हैं। हर काम श्रमिक के सहयोग से ही सम्पन्न होता है। बिना श्रम के किसी काम की पूर्णता की कल्पना तक नहीं की जा सकती । श्रम पर ही सारी सफलता निर्भर करती है। तात्पर्य कि एक-से-एक अद्भुत वस्तु इन्हीं हाथों के श्रम की देन है अतः व्यक्ति का भाग्य या सुख इन्हीं हाथों के श्रम पर आश्रित होता है । इसीलिए कवि को कहना पड़ा ‘खुशबू रचते हैं हाथ जो कटु सत्य है ।
पाठ से आगे :
प्रश्न 1. आपके विचार से इस कविता का मुख्य उद्देश्य क्या हो सकता है ?
उत्तर – मेरे विचार से इस कविता मुख्य उद्देश्य श्रम के महत्व को प्रतिपादित करना हो सकता है। श्रम ही सफलता की जननी होती है। हर काम की सफलता का राज श्रम में निहित होता है । इसलिए कवि चाहता है कि उन हाथों के प्रति लोगों को संवेदनशील होना आवश्यक है । जो हाथ सुख-सृजन का आधार होता है, अगर वे हाथ निर्बल हो जाते हैं तो फिर संसार को समृद्ध बनाने का काम कौन करेगा ? क्योंकि सुख का दूसरा नाम श्रम है। श्रम बल पर ही यह संसार टिका हुआ है। इसलिए हर व्यक्ति को श्रम के प्रति ईमानदार होना अनिवार्य है । यदि इस ईमानदारी में कोई खोट होगा तो इसका भयानक दुष्परिणाम होगा । इसलिए श्रम की महत्ता स्वीकार करने में ही सबका कल्याण है
प्रश्न 2. व्याख्या कीजिए :
यहीं इस गली में बनती हैं
मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
बनाते हैं केवड़ा, गुलाब, खस और रातरानी अगरबत्तियाँ
उत्तर – पाठ की व्याख्या संख्या तीन देखें ।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) ‘उभरी नसोंवाले हाथ’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर – ‘उभरी नसों वाले हाथ’ से तात्पर्य है कि दीनता की चक्की में पिसने के कारण जिनका शरीर दुर्बल हो गया है । उभरी हुई नसें इस बात को सिद्ध करती हैं कि उसने सुख-सुविधा के साधन जुटाने में कठिन परिश्रम किया है ।
(ख) ‘पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ’ का क्या अर्थ है ?
उतर – ‘पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ’ से कवि का तात्पर्य उन कोमल हाथों से है जो सृष्टि शृंगार के उद्देश्य से श्रम करते हैं । उनका विश्वास है कि श्रम बल पर ही सुखमय जीवन का आनंद लिया जा सकता है । क्योंकि बिना श्रम के किसी आवश्यकता की पूर्ति हो ही नहीं सकती ।
प्रश्न 4. अमीरी एवं गरीबी की खाई को कैसे पाटा जा सकता है ? अपना सुझाव दीजिए ।
उत्तर – अमीरी एवं गरीबी की खाई पाटने के लिए सर्वप्रथम व्यक्ति को सहृदय होना होगा । धन की सीमा निश्चित करनी होगी। मजदूरों को उसके श्रम के अनुरूप पारिश्रमिक दिया जाए। गरीबों को उत्थान के लिए भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा आदि की निःशुल्क सुविधा दी जाय । गरीब बच्चों के लिए अलग से स्कूल तथा छात्रावास की व्यवस्था हो । अमीरों की सुख-सुविधा की वस्तु पर टैक्स लगाए जाएँ। रोजगार के लिए ऋण दिया जाए। आर्थिक सहायता देकर सूदखोर महाजनों के चंगुल से छुटकारा दिलाया जाए। इन सब कृत्यों से अमीरी-गरीबी की खाई पाटी जा सकती है।
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