इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 10 के हिन्दी के गद्य भाग के पाठ दो विष के दाँत (Vish ke dant class 10 summary) का हिन्दी व्याख्या के साथ इसका सारांश पढ़ेंगे।
2. विष के दाँँत
सेन साहब एक अमीर आदमी थें। उसकी पाँच बेटियाँ और एक बेटा था। बेटियों के लिए हर काम करने के लिए नियम बना दिया गया था। जैसे वो मुस्कुराना चाहे तो सिर्फ शाम के समय। उसका खेलना, पढ़ना, लिखना सभी का समय बना दिया गया था। सेन साहब के पास एक कार थी जिसपे उनका बहुत नाज (घमंड) था। अगर उस कार पर थोड़ा भी गंदा लग जाता तो क्लिनर और सोफर (सफाई करने वाला और ड्राइवर) को गालियाँ सुनने को मिलती थी। चूँकि कासु सेन साहब का सबसे छोटा बेटा उनके आँखो का तारा था।
एक दिन की बात है सेन साहब का ड्राइवर एक औरत से उलझ पड़ा। क्योंकि उसका 5-6 साल का बेटा मदन कार को छुकर गंदा कर रहा था। और जब सोफर मना किया तो उल्टा उससे उलझ पड़ी। तबतक कासु ने कार की निछली बत्ती का लाल शिशा फोर डाला लेकिन सेन साहब हुरा नहीं मानें।
दूसरे दिन कासु शाम को बगल वाली गली में जा पहुँचा। वहा मदन बच्चों के साथ लट्टू नचा रहा था। जब कासु ने लट्टू माँगा ‘मैं भी नचाऊँगा लट्टू‘ तो मेदन ने भगा कर बोला जा अपने बाबा की कार पर बैठ। कासु को गुस्सा आ गया। वो घर में भी अपने बहनों और नौकरों पर हाथ उठाया करता था। उसी तरह मदन को खिंचकर एक घुस्सा दिया। मदन भी कासु पर टूट पड़ा और उसकी दो दाँत (विष के दाँत) तोड़ डाली। और घर पर मार खाने के डर से रात को देर से घर लौटा। जब जबरदस्त की भूख लगी तो चुपके से घर आया। जब मदन सोने के लिए जा रहा था तो उसका पैर रखे लोटे से टकराया तो उसके पिता आवाज सुनकर आए तो मदन डर गया कि आज भी मुझे मार पड़ेगी। लेकिन उसके पिता ने उसे लपककर पकड़ा और उसे इतना प्यार किया जितना पहले कभी नही किया था और उसके पिता ने गर्व से कहा ‘शबास बेटा‘ एक तेरा बाप है और तुने तो वे कासु के दो-दो दाँत तोड़ डाले।
मदन के पिता सेन साहब के घर नौकरी करते थे। इस डर से सेन साहब के अत्याचार को सहते थे कि कहीं वह नौकरी से न हटा दें। लेकिन इस बार मदन के पिता का सीना चौड़ा हो गया था। वह अपने बेटे पर गर्व कर रहे थे। अब उन्हें नौकरी जाने का कोई डर नहीं था। क्योंकि उसका बेटा मदन कासु के विष का दाँत तोड़ दिया था।
यह है विष के दाँत की कहानी जिसके द्वारा कहानीकार ने अमीरों की गरीबों पर अत्याचार करना और गरीब भी सहन करते करते उसका उचित जवाब देते हैं।
कहानी के उद्देश्य गरीबों पर अमीरों के शोषण एवं अत्याचार पर प्रकाश डाला है। दूसरे शब्दों में ‘विष के दाँत‘ महल और झोंपड़ी की लड़ाई कि कहानी है। इस लड़ाई में महल कि जीत में भी हार दिखाया गया हैं।
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